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Sandhya Rani Das
ए कमबख़्त प्यार क्या किया जो दिन-रात सूकून के चेन नहीं, उस से अच्छा के एकले ही रहते ना किसी को मनाने ना किसी से रूठते कोई झंझट होता नहीं । #प्यार झंझट
Sandhya Rani Das
ए कमबख़्त प्यार क्या किया जो दिन-रात सूकून के चेन नहीं, उस से अच्छा के एकले ही रहते ना किसी को मनाने ना किसी से रूठते कोई झंझट होता नहीं । #प्यार झंझट
विनय शुक्ल 'अक्षत'
गीत--तेरी याद दिला जाते हैं! **************** धवल चाँदनी धरे शीतकण, तन मन को दहका जाते हैं। तेरी याद दिला जाते हैं... चुभतीं ज्यों विषदंत हो गयीं। लगतीं आज अनंत हो गयीं। समय ओढ़कर जो सोई थीं, स्मृतियाँ जीवंत हो गयीं। सुधियों के पर मन पंछी को, जाने कहाँ उड़ा लाते हैं। तेरी याद दिला जाते हैं.... तिरछी नजरें चंचल चितवन। वह तेरी चिड़ियों सी चहकन। रोमांचित कर देने वाली, वह तेरी पल भर की बहकन। जाने क्यों मन के आँगन को, बीते दिन महका जाते हैं। तेरी याद दिला जाते हैं..... बरसों बाद दुबारा मिलना। बिन बोले अधरों का हिलना। अनचाहे भी इक दूजे की, आँखों में आँखों का खिलना। पहला प्यार चाहकर के भी, आखिर कहाँ भुला पाते हैं? तेरी याद दिला जाते हैं... रचनाकार...#सुरेन्द्र #सिंह #झंझट सुरेंद्र सिंह "झंझट"जी का प्यारा सा गीत
Navi बादशाह
सवाल Writer by Haryanvi jani घणी बन-ठन के ना चाल्या कर ,तू सारा गाम में रोला करवादेगी ,, तेरी काली-काली जुल्फ लहरावे हवा मैं , सच्ची कई आशिका का कत्ल करवा देगी ,, र थोड़ा काबू करले अपनी मस्त अदाओं पे , तू इस सिंपल छोरे ने आशिक़ बनादेगी ,, 🍫🍫🍫🍫 जवाब Writer By Navi Punia या तो नु ए बन-ठन के चालेगी , गाम की बात करे लाड़ले जग में रोला करवादेगी ,, इसका तो काम स ज़ुल्फ़ लहराने का , आशिका के दिल प छुरी चलाने का ,, सिंपल छोरे तू खुद ए करले अपने दिल प काबू , ना तो लाड़ले तेरी भी गिनती बेवड्या में करवादेगी ,, ©Navi बादशाह शायर vs शायर ....
Govinda Tayade
जो जिंदगी भर न मिटे वो जख्म दिया है तूने पलभर के लिए लगा हमे खत्म किया है तूने ©Govinda Tayade शायर#हिंदी शायर
Rohit
Shahban Malik Shahban
आज फिर याद मुहबबत की कहानी आई आज फिर याद चोट पुरानी आई मुददतो बाद मे यससर हुआ दरीया हम से मुददतो बाद हमे पियास बुझानी आआ चिखता शायर शाहबान मलिक चिखता शायर लिखता शायर
Shahban Malik Shahban
#OpenPoetry हर खवाहिश ऐसी के हर खवाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले ,,मिरजा गालिब,, जहा जहा सनम हम निकले वहा वहा तुं निकले हमे शक था निकला मे खाने से जाहिद अब उममिद ऐसी के मे खामे से हम निकले निकलना कहा से हे ये समझ ना आया हम जहा पे निकले सनम तुम वहा से निकले चिखता शायर शाहबान मलिक चिखता शायर लिखता शायर