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Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ
आज अपनी उलझी हुई ज़िन्दगी से थोड़ी फुरसत होकर जब मैं एकांत में बैठी तो मेरे अंतर्मन ने मुझसे ये सवाल किया जी लिए तुम दुनियां के लिए खुद के लिए भी कभी जीया क्या लोगों को खुश करते करते तुमने खुद को जैसे खो दिया जिन्दगी का तुमने एक भी लम्हा अपने नाम किया क्या सुकून मिलता है ना तुम्हें शामिल होकर लोगों के सुख दुख में पर क्या तुम्हें भी ऐसी हमदर्दी किसी के साथ मिला क्या मैं ये नहीं कहती की तू सिर्फ अपनी परवाह कर जिन्दगी तो दूसरों के लिए जीने का नाम है पर इसमें तो शामिल तू भी है अपने लिए कुछ किया क्या कभी बेचैन से रहते हो, कभी परेशान हो जाते हो, शिकायत भी हो जाती है, कि कोई तुम्हें समझा ही नहीं कैसे समझे कोई तुमको, तुमने खुद को कभी समझा क्या क्यों वजूद भूल गए तुम खुद का क्या तेरी जिंदगी, जिंदगी नहीं, इस लाजवाब जिंदगी का कभी मीठा सा स्वाद चखा क्या अपने हर जख्म छुपा करके तुम हंसकर मिल जाते हो सबसे ऐसा घुट घुट कर जीने से कभी तुम्हें खुशी मिला क्या जिन्दगी है बहुत खूबसूरत देखो तुम खुद को भी थोड़ा वक्त दो, जीए नहीं जब खुद के लिए, आखिर जिंदगी तुमने जीया क्या.... ©Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ #Zindagi❤ कभी कभी ऐसा हो जाता है कि जिंदगी के सफ़र में चलते चलते हम इतना व्यस्त हो जाते हैं कि जिंदगी जीना ही भूल जाते हैं, दूसरों के लिए
@Devidkurre
*मर रही है इंसानियत* अगर तुम्हारे घर के सामने मरी पड़ी हो इंसानों कि लाशें और चीखें निकल रही हो हर समय हर वक्त तब तुम क्या करोगे..? अगर तुम्हारे घर पे दागे जा रहे हो अनगिनत विस्फोटक मिसाइलें और तबाह कर दिये जाए तुम्हारे सपनों का घर तब तुम क्या करोगे..? अगर तुम्हारे लोग तितर - बितर हो जाए अपने ही लोगों से दिखाईं न दे एक पिता अपने बच्चे को, खो जाए तुम्हारा अनमोल रत्न, मरी पड़ी हो तुम्हारी बेटी और पत्नी, दब गए हो कहीं तुम्हारे बहन और भाई तब तुम क्या करोगे..? अगर तुम्हें हर समय डर सताये किसी को खोने का ,खुद के मर जाने का, रहने और सोने का , भुख और प्यास का और तुम्हारे लिए रोक दिया जाए आशाओं कि हर एक रास्ते को तब तुम क्या करोगे...? अगर तुम सच में एक इंसान हो तो सोचोंगे उस मरी हुई लाशों के बारे में जो तुम्हारे घर के सामने पड़ी हुई है....! अगर तुममें बची हुई है इंसानियत तो ! पूछोंगे हर एक देश के प्रधानों से ! हर एक मरी हुई लाशों के विषय में कि ! क्यों मारा गया है उनको ! और उनकी गलती क्या थी..? अगर तुम एक समझदार ,सचेत व्यक्ति हो तो तुम लड़ोगे उन सब के खिलाफ जिन्होंने मारी है इंसानियत को ,जिसने रूला दिये हो मानवता को ,जिसने हत्या की हो किड़े - मकौड़े कि तरह इंसानों की ....! अगर तुम नहीं सोच पाए,नहीं देख पाए इन सब को तो तुम एक मृत व्यक्ति हो ! जिसमें कुछ नहीं बचा है यहां तक कि इंसानी चरित्र भी..! *डेविड* #filistin #everyone #EveryoneFollow #humanity #मानवता ©@Devidkurre #Preying *मर रही है इंसानियत* अगर तुम्हारे घर के सामने मरी पड़ी हो इंसानों कि लाशें और चीखें निकल रही हो हर समय हर वक्त तब तुम क्या कर
Anuj Ray
White लगा के आग दिल में , छोड़ दी है सर्दी रातों को, बेखुदी का हाल बताने, तुम बिन जाए तो जाए कहां। ©Anuj Ray ₹ तुम बिन जाए तो जाए कहां"
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh आईना सच बताने लग जाए तो, गलतियों को दिखाने लग जाए तो, पैरहन के अलावा भी है और कुछ, भेद घर का बताने लग जाए तो, मर्ज़ का नुस्खा बताए ख़ुद मरीज, चाराग़र को सिखाने लग जाए तो, पहुँचकर थाने में सारे चोर ख़ुद ही, रपट बरबस लिखाने लग जाए तो, झूठ की देकर दलीलें कोर्ट में, फैसला ख़ुद सुनाने लग जाए तो, सेंकने वाले सियासी रोटियों को, आग दिल में जलाने लग जाए तो, सोचता हूँ संकटों के जनक गुंजन, समस्या को भगाने लग जाए तो, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #लग जाए तो#
Manpreet Benipal
White क्यों न बेफिकर हो के सोया जाए.... अब बचा ही क्या है जिसे खोया जाए.... ©Manpreet Benipal खोया जाए...... #Befikar #BefikrTeBeparwah
Santosh Verma
White अब तोड़ भी दो लबों की चुप्पी, देर ना हो जाए । मेरे जाने के बाद ये मलाल ना हो कि काश ........ प्रणाम 🙏🏻 ✍🏻संतोष ©Santosh Verma #देर ना हो जाए
Anuj Ray
और दम निकल जाए " किसी के इश्क़ जीने का, असली मज़ा तो तब है, कि वो जिसका का इन्तज़ार करें ,और वो आ जाए। देखते ही उसको, प्यास मिट जाए सूखी आंखों की, लग के सीने से ज़ोर से धड़के दिल, और दम निकल जाए। ©Anuj Ray # और दम निकल जाए"
मेरी कलम के दो शब्द
White एहतियात बरतती है जिन्दगी भी की। कहीं कोई शक्स गुमराह ना हो जाए।। ©मेरी कलम के दो शब्द गुमराह ना हो जाए
Shashi Bhushan Mishra
White कर दे जब मौसम बेज़ार, लगे नियति बेबस लाचार, पतझड़ गुजरी आया बसंत, होती रहती है जीत हार, ख़ुशियों की है आवा-जाही, कर दूँ सारा कुछ दरकिनार, बरसे मधुमय रस प्रेमपूर्ण, आकर छेड़े मन का सितार, देकर सुकून कुछ पल का ही, फिर गुज़र जाए चाहे बहार, भर दे शीतलता धरती पर, सावन में घिर गिरकर फुहार, बाक़ी कर दे दिल पर 'गुंजन', दो पल की ही ख़ुशियाँ उधार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #गुज़र जाए चाहे बहार#