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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Vishnu Bhagwan दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । करता हूँ अरदास अब , मिले मुझे आराम ।। मिले मुझे आराम , कृपा अब रघुवर कीजै । सह जाऊँ मैं पीर , और अब साहस दीजै ।। विनय प्रखर की आज , सुना रघुनंदन माने । स्वप्न दिखाया दास , छोड़ अब हम सब जाने ।। २९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क
AbhiJaunpur
Meri Mati Mera Desh रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। सीता राम सीता राम,भज प्यारे तू सीता राम। रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,सबको सन्मति दे भगवान। रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। जय रघुनंद जय सियाराम,जानकी वल्लभ सीताराम। रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। कौशल्या के प्यारे राम,दशरथ राज दुलारे राम। रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। लखन भरत के प्यारे राम,हनुमत के हो सहारे राम। रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। रात को निंदिया दिन तो काम,कभी भजोगे प्रभु का नाम। करते रहिये अपने काम,लेते रहिये हरि का नाम। रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम। ©AbhiJaunpur #MeriMatiMeraDesh #रघुपति #सियाराम #रघुनंदन #AbhiJaunpur Rajesh Arora vineetapanchal शिवम् सिंह भूमि Anshu writer Rakesh Srivastava Madhu
katha Darshan
दूध नाथ वरुण
Jai Shri Ram हे रघुनंदन हे जग वंदन,ये जीवन है तुझको अर्पन। हम आए बड़ी आस लगाए,देदो प्रभु अब मुझको दर्शन।। ©दूध नाथ वरुण #हे रघुनंदन
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बैरवे छन्द :- १२,७ पर यति जग में प्रभु का ही है, सुंदर नाम । करते हैं हम सब ही, नित्य प्रणाम ।। प्रेम अटल है प्रभु का, जन-जन हेतु । छुपा नहीं रहस्य अब , कहता सेतु ।। चलें भक्त रघुनंदन के, अब दरबार । माता सीता देंगी, अब उपहार ।। करो कृपा भक्तों पर , हे रघुनाथ । बैठे हैं हम सारे , है नत माथ ।। दसों दिशाओं में है , ये गुणगान । सुन अवध विराजेंगे , अब भगवान ।। भक्त सभी जपते हैं ,जय सिय-राम । होगी प्राण प्रतिष्ठा , रघुवर धाम ।। १७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बैरवे छन्द :- १२,७ पर यति जग में प्रभु का ही है, सुंदर नाम । करते हैं हम सब ही, नित्य प्रणाम ।। प्रेम अटल है प्रभु का, जन-जन हेतु ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मेरे राम पुनः आ जाओ , सजा अवध है आज । आज पुनः स्थापित तुम कर दो , जग में अपना राज ।। मेरे राम पुनः आ जाओ .... हम सब बालक है रघुनंदन , करो भूल सब माफ । हुई गलतियाँ हैं हम सबसे , लेकिन दिल से साफ ।। आज तुम्हारे स्वागत में हम , मिलकर छेड़े साज । मेरे राम पुन: आ जाओ .... घेर रहा है माया रूपी , मानव को अब काल । फेंक रहें हैं अजब-गजब से ,निर्धन पे वह जाल ।। आकर उन्हें बचाओ रघुवर , रखकर सिर पर ताज । मेरे राम पुनः आ जाओ .... आज तुम्हारे दर्शन करके , सफल हुआ अवतार । राम-राम जपने से ही यह , स्वप्न हुआ साकार ।। आकर अवध विराजो तुम ही , करे सनातन नाज । मेरे राम पुनः आ जाओ .... मेरे राम पुनः आ जाओ , सजा अवध है आज । आज पुनः स्थापित तुम कर दो , जग में अपना राज ।। १६/०१/२०२४ / महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मेरे राम पुनः आ जाओ , सजा अवध है आज । आज पुनः स्थापित तुम कर दो , जग में अपना राज ।। मेरे राम पुनः आ जाओ .... हम सब बालक है रघुनंदन , कर