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Geetu pandey
Late Night Conversations लिखूं या सोचूं तुझे, पढ़ू या इबादत करू तेरी... #तू #ही #बता, #करूं #मैं #क्या #करूं
Prerit Modi सफ़र
एक शायरी हुस्न के नाम- वो हुस्न उनका देख के आईना भी टूट गया तारीफ़ अब करूं मैं क्या उनकी सब तो आईना कह गया एक शायरी हुस्न के नाम- वो हुस्न उनका देख के आईना भी टूट गया तारीफ़ अब करूं मैं क्या उनकी सब तो आईना कह गया #yqbaba #yqdidi #quote #quoteoft
Farhan Raza Khan
बदल गए हैं मिजाज़ उनके नज़दीक तो हैं पास नही ये गवारा करूं मैं तुम्हारे मिजाज़ का हैरत तो ना करूं मैं क्या है जो तुम बदल गए क्या मैं भी बदला हूँ क्या ये सवाल तो नहीं जवाब है क्या ।। बदल गए हैं मिजाज़ उनके नज़दीक तो हैं पास नही ये गवारा करूं मैं तुम्हारे मिजाज़ का हैरत तो ना करूं मैं क्या है जो तुम बदल गए क्या मैं भी बद
Rohit singh
............... ©Rohit singh कोई ना हैं हमनवां मेरा......... जिस से बातें में किया करूं..!! इश्क़ हैं ही कहां मुझे में यारों जो मैं इश्क़ जिया करूं ......!! ये सांसे
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
#नाकाम_ए_मुहब्ब़त.. यूँ तो मुकम्मल है जिंदगी जीने के लिए.. बस एक मोहब्ब़त के लिए अबतक नाकाम रही..। किश्त-दर-किश्त ही सौदा हुआ था जज्बातों का शायद... उसी बाकी एक कर्ज पर जिंदगी अबतक होती नीलाम रही...। खरीद लाए हैं शामें यादों की उनके मुकर्रर ठिकानों से.. क्योंकि अब बिक चुके वो चाँद की छत पर चर्चा ये कल से सरेआम रही..। हर्फ़-हर्फ़ अधूरा है किस्से के उस इकलौते किरदार का मेरे रूब़रू रहकर उसके ख़यालों के भी अरसे से मैं उससे गुमनाम रही....। वो निकल गया है दूर तलाश में..नई ख्वाहिशों के अपनी.. जिसके टूटते ख्वाब़ के जर्रे - जर्रे का मैं इल्ज़ाम रही....। यकीनन लौट आता वो ग़र मैं अजनबी हो जाती.. ....शख़्सियत से उसकी... मगर करूं मैं क्या उसी की राहे-गुजर में आकर ही तो अब तक मैं बदनाम रही...। दिल तोड़ना आदत ना थी उसकी..महज़ फित़रत थी ....वफा-आजमाइश की.. इसी रंजिश की तलब़ में शायद उसका मैं आखिरी इंतकाम रही...। ": अंकुर:" #नाकाम_ए_मुहब्ब़त.. यूँ तो मुकम्मल है जिंदगी जीने के लिए.. बस एक मोहब्ब़त के लिए अबतक नाकाम रही..। किश्त-दर-किश्त ही सौदा हुआ था जज्बातो
एक इबादत
हृदय के भीतर उमडा़ यह प्रेम का बवंडर जब थम जायेगा हर ओर सैलाब सा ,तब जीवन को ढे़र सा मलबा बनाऊंगा, रूक जायेंगे प्रेम संगीत हर रूह से मेरे आह निकलेगी जितना प्रेम किया है उनसे कई अधिक तब खुद को तड़पाऊंगा सहज,सरल,सरस बनकर प्रीत संगम की जो मुझे आस थी कैसे बह आगे बढ़ गयी संग पवन का छोड़ वो नीर लहर जिसका प्रीत नदी से ,प्रीत प्रवाह से, प्रीत सागर तक का साथ था अफसोस करूं मैं क्या अब इसका मुझे तो अटूट विश्वास था चल कवि अब हर लफ्ज़ को आग बनाकर जलाया जायें धधकाया जायें शोलो सा दिल को अपने बना उनके खामोशी को वजह खुद को जला इतना कि अस्तित्व को अपनी राख कर दें मोहब्बत मिला दे फिर उस राख में अपनी राख को रंगीन बना दें रूप दे फिर उस रंगीन राख को सिंदूर का फिर अपनी जिंदगी कि मांग में किसी और के हाथ से भरवा दें हृदय के भीतर उमडा़ यह प्रेम का बवंडर जब थम जायेगा हर ओर सैलाब सा ,तब जीवन को ढे़र सा मलबा बन जायेगा -🔥जलती कलम✍️🔥 😭😭😭😭😭😭😭 😀😀😀😀😀😀😀 💘💘💘💘💘💘💘 हृदय के भीतर उमडा़ यह प्रेम का बवंडर जब थम जायेगा हर ओर सैलाब सा ,तब जीवन को ढे़र सा मलबा बनाऊंगा, रूक जायेंगे प्र
Altaf Husain
हां, मैंने अपने चाचा को मारा-2 वो छूते मेरे अंग-अंग, जहा लज्जा बसती हयां के संग। किसी से कहती तो वो खौफ दिखाते चाचा हू कहकर फिर फुसलाते। मै
Sanjana Chaubey
क्या करूं किसपर यकीन करूं कुछ लोग अपने होकर भी अपने नही, कोई मेरी बुराइयां पीठ पीछे करता है तो कभी मेरे सामने अच्छा बनता है, कोई मेरी कमियों का मजाक बनाता है तो कोई ताने भरता है, कभी कभी लगता हैं की सब ठीक हो गया है और फिर लगता है नही यार सब वैसा ही है, मैं जितना भी कोशिश कर लू मुझे तकलीफ देने वालों को खुद से दूर करने की पर फिर से कोई आ ही जाता है, क्या करूं कैसे करू कुछ समझ नही आता है ©Sanjana Chaubey मैं क्या करूं
Ali sir (A+A)
"समझ न आए मै क्या करूं" कोई नशा करूं या ख़ता करूं, समझ न आए मै क्या करूं, दुआ करूं या बददुआ करूं, है लम्हा 2 नाज़ुक मै क्या करूं, मै गुम हो गया हूँ, मै खो गया हूँ, मै कैसे जागूं मै क्या करूं, है दुनिया रुठी है क़िस्मत फूटी, जो तुम भी रूठे तो मै क्या करूं, न चैन दिल को न कुछ खुशी है, हरारत है ग़म की मै क्या करूं, ©A. R. Zaidi मैं क्या करूं
jagruti Bhardwaj
"क्या करू" किसकी सुनु , मैं क्या करू मैं। अपने सपनों को किसी कमरे मैं बंद कर दिये, बस समाज क्या कहेगा यही सुनतीं हुं मैं , क्या करूं मै। अच्छे कपड़े पहन लिए तो उडो मत , किसी से बात न करूं, किसी से बात नहीं करतीं, बस समाज क्या कहेगा यही सुनतीं हुं। क्या करूं , अगर अपनी मर्जी से कुछ करना चाहा तो निकल गई ,शक कि नागाहो से देखने लगते हैं, बस चार दिवारी मे बंद कर दिया कुछ न करो , और तु कुछ नहीं कर सकतीं , क्या करूं , एक बार सुनो तो मुझे भी, एक बार करने तो दो, जरा देखने तो उनको भी जो हंसते है मुझ पर , क्या करूं मैं , बता सकतीं हुं मैं भी, क्या करूं मैं।। ©jagruti Bhardwaj क्या करूं मैं।। #freebird