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fahmi Ali
लोगों के अंधेरे के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण अंधेरे की भावनाओं को व्यक्त करने की कोशिश की है ,,, जो ख़ुद अंधरे की ज़बानी है ,,,, तो अंधेरा कहता है..... मैं अंधेरा ही सही मेरी बुराई न करो अपने अशआर से यूं मुझपे चढ़ाई न करो अहमियत मैंने उजालों की बताई तुमको मै अंधरा था मगर राह दिखाई तुमको तुम भला कितनी उजालों की सफ़ाई दो गे मुझमें आओ गे,तभी सबको दिखाई दो गे तेरे हर ऐब को मैं ख़ुद में छिपा लेता हूं तेरी हल्की सी ज़ेया सबको दिखा देता हूं सामने तुम कभी सूरज के न टिक पाओ गे तुम उजालों की चकाचौंध में खो जाओ गे सुर्ख़ सूरज के मोक़ाबिल ये दिया कुछ भी नहीं साग़र-र-नूर में थोड़ी सी ज़ेया कुछ भी नहीं इस क़दर दिन के थकते हैं उजाले तुमको याद फ़िर रात में आती है हमारी*तुमको गुल दिया कर के हवाले मेरे हो जाते हो मेरी आग़ोश में आते हो तो सो जाते हो ग़म जो दुनिया के हैं वो सारे भुला देता हूं मैं ज़रा देर सही तुमको सोला देता हूं मैं अंधेरा ही सही मेरी बुराई न करो... अंधेरे का शिकवा
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अपने दिल की गहराई में झांको और विश्वास करो कि आपने बस कुछ ख़ास कुछ विशेष कार्य करने हेतु जन्म लिया है...और इसके लिए एक छोटा सा सकारात्मक विचार आपके पूरे दिन को बदल सकता है..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की नकारात्मकता में सकारात्मकता खोजो -अंधेरे में प्रकाश बनो-तूफान में शांत रहो और युद्ध के समय शांति से रहो ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हम जिन चीजों को पीछे छोड़ते हैं, आगे उनसे भी कहीं बेहतर चीजें हमारा इंतजार कर रहीं होती हैं, अगर मन में ठान लिया तो समझो, आधी जीत हो गई..., आखिर में एक ही बात समझ आई की हो सकता है की एक सकारात्मक दृष्टिकोण आपकी सभी समस्याओं को हल नहीं कर पाए , लेकिन यह लोगों को निरंतर प्रयास के लायक बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' अंधेरे में प्रकाश
Meenakshi Sharma
शायरी अंधेरे में कम रोशनी सूरज को प्रकाश की जरूरत नहीं होती, क्यों कि रोशनी खुद उसके पास आती हैं, उसी प्रकार रात के अंधेरे में, उजाले की जरूरत नहीं होती, क्यूं कि चांदनी खुद रोशनी, रोशनी ले कर आती हैं। Meenakshi Sharma अंधेरे में रोशनी
Gyan Prakash Yadav
दुनिया को देखता हूं मैं किसी की नजरों से अपनी नजरें तो यहीं धंसी पड़ी है जागी थी दुनिया अंगड़ाई लेते हुए सी रही थी एक फटी कमीज को एक पजामा का नाड़ा कस रही थी पर अब थक गई है,काफी थक गई है देखो तो करवट नही बदल रही लगता है सो गई है या प्यार से थपक थपक कर सुलाया है किसी ने अभी नहीं उठेगी, आवाज़ दे रहे हो क्या चीख रहे हो क्या पर क्यूं मुरौवत करो और जाने दो झपकी नही है की झकझोर दो देखो अंधेरा काफी है अंधेरे में रहने दो देखो तो जुगनू भी सो गए है दुनिया की गोद में अब उठेगी दुनिया बिना अंगड़ाई लिए जुगनू भी अब तुम्हे नजर आएंगे अंधेरे में फिर मैं कहूंगा दुनिया को देखता हूं मैं पर अब खुद की नजरों से जागी चुकी है दुनिया , अब तक जाग रही है लगता है काफी सोई थी।। ©Gyan Prakash Yadav अंधेरे में जुगनू
Parasram Arora
आखिर कौन है . जिम्मेदार मेरी नैतिक विकृतियों क़े नैपथ्य मे? क्यों है सम्वेदनशून्यताये मेरे जीवन मे? क्यों है आकुलताये इतनी और ये हताशा मे रंगी हुई व्यकुलताये क्यों है मेरी लंगड़ी वासनाओ क़े लिए इतनी सारी वैसाखिया? क्या ये विचार सत्य की दिशा मे किसी ठोस अनुसंधान को जन्म दे सकती है,? अथवा मै कही झूठ क़े आध्यात्मिक पहलू. पर कोई विश्लेषण करने. का विचार तो नहीं कर रहा हूँ? #विश्लेषण....