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Ek villain
आधुनिक भारत के राष्ट्रीय निर्माताओं ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया है संविधान सभा में लंबे विमर्श के बाद हिंदी को यह दर्जा मिला है 20 से अधिक सदस्य ने हिंदी की सब पक्ष और विपक्ष में तर्क दिया लेकिन अंत में राजश्री पुरुषोत्तम दास टंडन की एकमात्र बोर्ड से हिंदी को राजभाषा बनाने में सभा ने अपनी मुहर लगाई इस प्रक्रिया में आने प्रश्न उठते हैं परंतु 12 से 14 सितंबर 1949 के बीच उनके समाधान के जो प्रयास 73 साल पहले आरंभ हुए थे वह लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं संविधान द्वारा घोषित राजभाषा हिंदी की विकास यात्रा यू तो लक्ष्य यूनिक रही है लेकिन इसकी राष्ट्रव्यापी प्रसार की राह में चुनौतियां अब भी कायम है यही कारण है कि अंग्रेज गए पर अंग्रेजी ता नहीं गई अंग्रेज के लिए इसे जंजाल के चलते राज्य से 100% हिंदी प्रयोग का लक्ष्य अभी भी दूर है परंतु असंभव नहीं इसी क्रम में 73 साल बाद पहली बार राजधानी दिल्ली से बाहर गुजरात के रत में 14-15 सितंबर को आयोजित होने वाले हिंदी दिवस समारोह का एक नया अध्याय लिखने का प्रयास है ©Ek villain #अखिल भारतीय स्वरूप में उभरते हिंदी #Walk
Mahadev Son
देवों के महादेव अनादि अदिपती उत्तपति इस्तिति संहार कर्ता त्रिलोकी स्वामी संसार ऱचयिता जगतपिता बैराग्य रूद्र भैरव पशुपति नाथ रूप सृष्टि स्त्रोत्र ज्योतिष शास्त्र, लय प्रलय के स्वामी स्वरूप प्रकीर्ति सामंजस बनाये गौरी शंकर परिवार जटा गंगधार सिर चंन्द्रमा सोहे, कंठ में विष सर्पो की गल माल, अमिर्तव्य व विष समेठे, हाथ में डमरू धुन नाचे दूजे त्रिशूल विकराल, पुरुष अर्धनारीश्वर एक गृहस्थ श्मशानवासी, वीतरागी वैरागी, सौम्य रुद्र रूप भूत-प्रेत, नंदी सिंह सवार, मयूर मूषक सभी समभाव! स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व समाये महान विचार परिचायक, सृष्टि संचालक मेरे महादेव महाकाल ! 🙏ॐ नमः शिवाय🙏 (M S Singh...✍️) ©Mahadev Son महादेव के स्वरूप विवरण
officialuntold.tj
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं नवीन कविता हिंदी स्वरूप आपके अनुरूप। धन्यवाद nojoto
rajkumar shastri
जिसने भरी जवानी में चमचमाती हुई सौंदर्य से ओत - प्रोत धर्मपत्नी से नाता तोड़कर , आनंद सुधारस परमात्मा से नाता जोड़ा । महात्मा बुद्ध #Buddha_purnima दिव्य स्वरूप के मूर्ति
लेखक ओझा
इतिहास भी परिहास बना है क्या इसमें भी शंका है? तो क्यों न रखे मजबूत अपने आधारों को जिस पर खड़ी हमारी लंका है। ©लेखक ओझा जीवन के बदलते स्वरूप और अस्तित्व
Ayush kumar
हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है, यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति हैं. ©Pinki Devi , हिंदी दिवस के लिए एक हिंदी शायरी