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Praveen Singh Sindal
मेरे जज्बातों से वाकिफ है मेरी क़लम भी, जब भी कुछ लिखने लगता हूँ तेरा नाम लिख जाता है। -प्रवीण #प्रवीण
Praveen Singh Sindal
हुनर सबका का अपना अपना अलग होता है साहेब, बस फर्क अब इतना सा रह गया, किसी का छिप जाता है और किसी का छप जाता हैं। -प्रवीण #प्रवीण
Praveen Singh Sindal
यादे अब तुम्हारी है, और दर्द हमारा है। चेहरे पर ना इतराओ,आईना हमारा है। उम्र भर तो कोई भी,साथ दे नही सकता, वो भी छूट जायेगा,तजुर्बा हमारा है। ओ जाने जाना तुम,ठोकर खा कर मानोगी, पहला वार तुमने कर दिया,दूसरा हमारा है। बैठी हो झरोखे में,शाम का किनारा है। अब खुद के ही उतर जाओ,ये चाँद भी हमारा है। नशे में झूम रही थी,ज़िन्दगी कोई शायद, अबके फिर हवाओँ में,क्या दुप्पटा तुम्हारा है। बेदर्द हवाओँ में,ये उड़ना हमारा है। इनके पैरहन की भी, ये काफिया हमारा है। तू गिरेगी ए लड़की,अब कहा-कहा देखे, शाक शाक पर भी,आशियाना हमारा है। -#प्रवीण #प्रवीण
praveen prakash
अतीत की बातें न जाने वो दिन कैसे होंगे मोबाईल के बिन जब रहते होंगे कैसै देते होंगे अपनी खबर जब रहते होंगे वीरान शहर सुबह डाकिये को चिट्ठी दिया तो देता होगा दोपहर न जाने वो दिन कैसे होंगे जब रहते होंगे घर से बाहर साधनो की भी कमी होगी पर कम न होगा लोगों में प्यार सीधे साधे लोग होंगे और अद्भुत होगा उनका व्यवहार कम होती होगी दुनिया दारी और सीमित होंगे सबके यार दो वक्त की रोटी भी नहीं तो देते होंगे सबको प्यार आनाजो की भी कमी होगी पर व्वहारिक होगा सभ्य समाज उधारी का भी नियम होगा तो नहीं लेते होंगे अपनो से ब्याज उन दिनों की मैं कल्पना करू तो दुःख होता है सबको आज न जाने वो दिन कैसे होंगे जब प्यार से गले लगाते होंगे न करते होंगे हिन्दू मुस्लिम न होता होगा जातिवाद भाईचारे से रहते होंगे सब ना होता होगा कोई विवाद न जाने वो दिन कैसे होंगे जब होता होगा सीमित अखबार खबरों की भी कमी होगी पर न देते होंगे झूठी समाचार जनमत की भी कमी होगीपर सच्चे होंगे पत्रकार पता परिचय कम होगा पर आपस मे होगा प्रेम व्यवहार न जाने वो दिन कैसे होंगे जब मिलते होंगे सबके विचार ✍प्रवीण प्रकाश प्रवीण प्रकाश
प्रवीण प्रकाश #कविता
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और कुछ किस्से,कहानियां, अधूरे ही ख़त्म हो जाते है, -प्रवीण क़िस्से@प्रवीण
क़िस्से@प्रवीण
read morePraveen Kushwah
बचपन के सपने बचपन ही खिलता हुआ गुलाब आप उसको जिस प्रकार बनाना च चाहे उस प्रकार बन सकता है इसलिए बचपन को इस प्रकार बनाओ कि वह आगे जाकर उन्नति का मार्ग चुने प्रवीण कुशवाहा
प्रवीण कुशवाहा
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कुछ नया सुनना - कुछ पुराना सुनना, अगर दोबारा मिलो तो कुछ नया बहाना बुनना। -प्रवीण बुनना#प्रवीण
बुननाप्रवीण
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सुनो,आज तुझे देखा था उस नये लड़के के साथ, लेकिन जो कान के पुराने झुमके थे ना, बताओ वो,अपनी पहली मुलाकात वाले थे ना। -प्रवीण झुमके,#प्रवीण
झुमके,#प्रवीण
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