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vs dixit
चक्रब्यूह ............. दिनों दिन बुनते हुए सपने बढ़ती हुई अभिलाषायें और उड़ान की चाहत के बीच उतरती चढ़ती मानव की मन: स्थिति कभी कभी ऐसी फंस जाती है जैसे हो मकड़ी के जाले बीच अंधकार से भरे चक्रब्यूह में बेचैन, भटकता उस चक्रब्यूह को तोड़ने की जितना कोशिश करता है फंसता ही चला जाता है हजार कोशिशें करता है पर निकलने में नाकाम रहता है बस फंसता ही चला जाता है अन्त में थक हार कर अपने को छोड़ देता है सारी इच्छाओं को छूटते देखता हुआ ठगा सा छटपटाता हुआ समर्पण कर देता है सदा के लिए सो जाता है अंधेरे चक्रव्यूह में समा जाता है| @वीएस दीक्षित ©vs dixit #चक्रव्यूह
ANSARI ANSARI
चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख ईसाई हम सब उनके बच्चे हैं। हमारे लिए है दुनिया बनाई। कितना बन गये नादान हम सब आपस में करते हैं लड़ाई। ©ANSARI ANSARI लड़ाई
Dr. Bhagwan Sahay Meena
शीर्षक:--- अभिमन्यु अभिमन्यु आज फिर फंस गए, बेकारी बेरोजगारी भुखमरी गरीबी और कुंठा दुश्चिंता तनाव से निर्मित, सात घेरों के विकट भयावह चक्रव्यूह में। तैयार कर दिए और करते रहेंगे, विद्यालय विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष निरन्तर, बेरोजगारों की चतुरंगिणी सेना, लड़ने को जीवन का महाभारत। निहत्थे यौद्धाओं को भेंट किए जाते है, कागज़ी उपाधियों के जंग लगे अस्त्र-शस्त्र। हुई कर्म से फलीभूत शिक्षा, किंतु फल लब्ध असंभव कठिन। कैसे जीतेंगे जीवन में कुरूक्षेत्र का युद्ध, इंद्रप्रस्थ के अस्त्र-शस्त्र रोजगारोन्मुखी नहीं है। कैसे तोड़ पायेंगे अभिमन्यु, जयद्रथ अश्वत्थामा द्रोण समतुल्य व्यूह रचेता द्वार। चारों तरफ यायावर से भटकते बेरोजगार शिक्षित सिपाही। घोर चुनौती मुंह बाए खड़ी, रोटी कपड़ा और मकान। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा,जयपुर,राजस्थान। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani #LetMeDrowm अभिमन्यु और चक्रव्यूह
Pushpendra Pankaj
झूठ को पालना, पालकर संभालना, संभालकर संवारना , संवारकर निखारना, विश्वास के सांचे मे ठाल- सत्य सा उभारना, नए जमाने मे, बस यही चल रहा है, झूठ, सत्य के वेश मे, सत्य को ही छल रहा है । पुष्पेन्द्र"पंकज " ©Pushpendra Pankaj #City झूठ का चक्रव्यूह
Sita Prasad
Black जंग का ऐलान अजर जंग लगती है ज़िन्दगी तुम्हे पताका अर्जुन का है या दुर्योधन का देख लेना! जब हो बरसात शब्दों के तीरों की मौन तुम्हारा दृतराष्ट्र का है या पांचाली का देख लेना! करें जब अपने दुश्मनों सा आक्रमण कृष्ण का साथ तुम माँग लेना! अर्जुन ना बन पाओ गर तुम योद्धा बन जाना सच के संरक्षक बन जाना यहाँ कभी- कभी सब लगते हैं योद्धा तुम बस प्रेम व निःस्वार्थ हो अपनी लड़ाई लड़ना! हर सुबह डंका बजेगा, ऐलान जंग का होगा तुम भी हर दिन कृष्ण के संग, अपना कर्तव्य निभाना! सीता प्रसाद ©Sita Prasad #Morning #ज़िन्दगी #लड़ाई