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Andy Mann
White दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए ©Andy Mann #GoodMorning Ashutosh Mishra sushil Sangeet... Mahesh Patel Niaz (Harf)
#GoodMorning Ashutosh Mishra sushil Sangeet... Mahesh Patel Niaz (Harf)
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White सोहनी और माहीवाल सोहनी थी चांदनी रातों सी, उसकी आँखों में काजल की बातों सी। दरिया किनारे जब खड़ी वो जाती, हर लहर उसके कदमों को सजाती। माहीवाल, वो प्रेम दी रीत था, दिल का सौदा, वो अमर गीत था। चरवाहा सादा, पर दिल का शहज़ादा, सोहनी के लिए था उसका वादा। दरिया ने देखा जब प्रेम का खेल, सोहनी तैरती, घड़ा था मेल। माही ने दिल से उसे पुकारा, "सोहनी, बिना तेरे दुनिया है सूनी सारा।" पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, दो प्रेमियों का प्रेम अधूरा था। लहरों ने घड़ा तोड़ डाला, सोहनी को अपने माही से दूर कर डाला। पर कहते हैं, वो अमर प्रेम है, दरिया की हर लहर में उसका स्पर्श है। सोहनी-माहीवाल की यह दास्तान, सिखाती है, सच्चा प्रेम अमर वरदान। ©aditi the writer #love Kumar Shaurya Sarfraz Ahmad Irfan Saeed Niaz (Harf) Raman
love Kumar Shaurya Sarfraz Ahmad Irfan Saeed Niaz (Harf) Raman
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White मुझ को "फिक्र" है कैसे हो इलाज "ज़ख्मों" का, . हाथ "जल" गए जिनके, "मेरा" घर "जलाने" में..! ©Andy Mann #sad_quotes Ashutosh Mishra Pooja Udeshi Ak.writer_2.0 Niaz (Harf) SEJU
#sad_quotes Ashutosh Mishra Pooja Udeshi Ak.writer_2.0 Niaz (Harf) SEJU
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White जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मैंने महसूस किया है कि मेरे जीने के दिन अब उतने नहीं बचे जितने मैंने जी लिए हैं। इस अहसास ने मेरे जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं: 1. अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की बारी आएगी, मेरी भी। 2. मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा। 3. अब सामने वाले की संपत्ति, शक्ति या पद से डर नहीं लगता। 4. अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी। 5. छोटे व्यापारियों और फेरीवालों से मोलभाव करना बंद कर दिया है, और कभी-कभी जानबूझकर थोड़ा ज्यादा दे देता हूँ। 6. जरूरतमंदों को बिना मांगे छोटी-छोटी मदद देकर उनके चेहरे की खुशी में आनंद ढूँढता हूँ। 7. जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ। 8. बुजुर्गों और बच्चों की बार-बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ। 9. ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ। 10. जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है। अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है। हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी। देर से ही सही, लेकिन अब मुझे जीना आ गया है। 😊 ©Andy Mann #GoodNight Ashutosh Mishra Arshad Siddiqui Niaz (Harf) अदनासा- Rajesh Arora
#GoodNight Ashutosh Mishra Arshad Siddiqui Niaz (Harf) अदनासा- Rajesh Arora
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ग़फ़लत का दौर मुल्क से शायद गुज़र गया मख़्लूक़ होती जाती है बेदार आज-कल ©Andy Mann #शायद अदनासा- Ak.writer_2.0 Arshad Siddiqui Niaz (Harf) Sh@kila Niy@z
#शायद अदनासा- Ak.writer_2.0 Arshad Siddiqui Niaz (Harf) Sh@kila Niy@z
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हां…. आज आप सबको एक राज़ की बात बतानी थी…. अरे भई… मेरी नहीं… हम सभी की…. आप सबने यह तो सुन ही रक्खा होगा कि प्रेम अंधा होता है… जी हां… आंखें तो होती हैं… मगर दिखाई नहीं देता… है न मजे की बात….. लेकिन राज़ की बात जो बताने जा रहा हूं वो ये कि अंधे के साथ साथ बहरा भी होता है तभी तो समझाने वाला लाख सर पटक ले मगर सामने वाले के कान पर जूं तक नहीं रेंगती तो इसको बहरा ही कहेंगे न इतना ही नहीं… ये गूंगा भी हो जाता है इसकी जुबां भी बंद हो जाती है… तो हुआ न अंधा , बहरा , गूंगा हां … इतना तो पता है मगर लूला , लंगड़ा भी होता है… पता नहीं वैसे एक बार गिर कर देख लें यदि हाथ पैर टूटे तो लूला , लंगड़ा भी…. आप एक ट्राई तो कर ही सकते हो न…. इस आपाधापी दौड़ में थोड़ा सा हंस लें तो क्या बुराई है… सबको खुशी ही तो मिलेगी न…. करिए… करिए… प्रेम अंधा , गूंगा , बहरा और शायद लूला लँगड़ा ©Andy Mann #love_shayari puja udeshi Arshad Siddiqui Niaz (Harf) Ak.writer_2.0 KK क्षत्राणी
#love_shayari puja udeshi Arshad Siddiqui Niaz (Harf) Ak.writer_2.0 KK क्षत्राणी
read moreAndy Mann
मैं " पुरुष " हूँ मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ टूटता हूँ , बिखरता हूँ भीतर ही भीतर रो नही पाता कह नही पाता पत्थर हो चुका क्योंकि मैं पुरुष हूँ मैं भी सताया जाता हूँ जला दिया जाता हूँ उस दहेज की आग में जो कभी मांगा ही नही था स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का तिनका - तिनका कमाया था जिसे मैंने मगर आह नही भर सकता क्योकि मैं पुरुष हूँ . मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की हमेशा धकेल दिया जाता हूं रिश्तों का वजन बांध कर जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी कभी अपना दर्द बता नही सकता किसी भी तरह जता नही सकता बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ क्योंकि मैं पुरुष हूँ ©Andy Mann #पुरुष Dr Udayver Singh Niaz (Harf) Ak.writer_2.0 अदनासा- vinay panwar
#पुरुष Dr Udayver Singh Niaz (Harf) Ak.writer_2.0 अदनासा- vinay panwar
read moreDRx Khan
एक दाने के बदले हजारों दाने वापिस करती हैं! सच में खेती से बड़ा कोई बैंक नहीं देखा!! ©DRx Khan #Sad_Status Smeera Ritu Tyagi Sana naaz Niaz (Harf) KK क्षत्राणी
#Sad_Status Smeera Ritu Tyagi Sana naaz Niaz (Harf) KK क्षत्राणी
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