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Ak
हर नारी में दुर्गा हैं... सिर्फ मां का ही नहीं... हर नारी का इज्जत करना जरूरी है... मां इतना ही कामना करू आपसे... मैं किसी के दर्द की वजह ना बनूं... #maa#love#life
mithunkumAr
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया झूठा साबित कर रहे , हमको झूठे लोग । क्या बतलाऊँ आपसे , मैं इनके विनियोग ।। मैं इनके विनियोग , करे यह तो सब चोरी । कहकर यह विज्ञान , करे ये तो बरजोरी ।। प्रखर भरोसा तोड़ , रहे वह खुद ही रूठा । और सनातन धर्म , बताए बैठा झूठा ।। हमें भरोसा आज यह , यही यहाँ भगवान । बातें इनकी मानकर , बन जाऊँ इंसान ।। बन जाऊँ इंसान , करूँ फिर इनकी सेवा । देगें जब आशीष , चखोगें हम भी मेवा ।। याद नही है आज , मातु का पहला बोसा । वही बताई बात , करो सुत आज भरोसा ।। ०५/०५/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR झूठा साबित कर रहे , हमको झूठे लोग । क्या बतलाऊँ आपसे , मैं इनके विनियोग ।। मैं इनके विनियोग , करे यह तो सब चोरी । कहकर यह विज्ञान , करे ये
JALAJ KUMAR RATHOUR
हे! राम आपने ने छला है लव खुश के बचपन को, आपने ने छला है सिया के वैवाहिक जीवन को, आपने ने छला है दशरथ कि मुखाग्नि को, प्रश्न मन में यही कि फिर आप कैसे पुरुषों में उत्तम हो, आज मैं प्रश्न आपसे यही पूछता हूँ सात वचनो को आपने निभाया नहीं ,क्यूँ, माता सीता से पहले आपने अग्नि को गले लगाया नही ,क्यूँ, शूलों पर चलीं फूलों पर चलने वाली क्यूँ आपके होते हुए, क्यूँ नहीं आपने उर्मिला के प्रश्न लक्ष्मण के समक्ष प्रस्तुत किये, मैं आज आप को कट घरे में खड़ा करता हूँ इन प्रश्नो को लिए, कारण आपके साधारण दिन को त्यौहार किया, रामराज्य के लिए प्रजा ने 14 वर्ष इंतजार किया, फिर बीच मझदार में नाव छोड़ने का फैसला क्यूँ, कैसे कह सकते हो आप कि" मैं केवट का मित्र हूँ", प्रश्न आपसे मैं यही पुछता हूँ, आपके होते ही सूर्पनखा का अपमान क्यूँ, अंगद और बालि की सुलह आपने कराई नहीं ,क्यूँ, विभीषण को भ्राताद्रोह है गलत का उपदेश नहीं,क्यूँ, लक्ष्मण के साथ रावण से उपदेश लेने आप गए नहीं, क्यूँ, माँ सीता का अपहरण था रावण का पाप, फिर उसके वंश का विनाश, क्यूँ प्रश्न आपसे मैं यही पुछता हूँ, .............. #जलज हे! राम आपने ने छला है लव खुश के बचपन को, आपने ने छला है सिया के वैवाहिक जीवन को, आपने ने छला है दशरथ कि मुखाग्नि को, प्रश्न मन में यही
Anil Ray
बढ़ती जिंदगी निर्झर सरिता-सी बह रही है देखता हूँ जिंदगी को मैं प्रतिदिन आँखों से संध्या-सी यह भी ढ़लती जाये शनै-शनै.. मैं देख रहा हूँ चलते हुए हाथों से लगाए अपने पेड़ से गिरती हुई पीली-पीली पत्तियों को शायद! उन सब में से एक हूँ मैं भी.. अचानक लौट आती है प्रज्ञा, और मैं मुस्कुराने लगता हूँ धीरे-धीरे अगले ही पल पीली पत्तियों को समेटकर डाल देता हूँ मैं सड़-गलकर उत्तम उर्वरक बनाने के लिए.. मैंने मेरे वर्तमान को सहेज लिया है आगामी भविष्य के लिए स्वजीवन हेतु फिर मुस्कुराऊंगा मैं खूबसूरत फूल बनकर फल बनकर सहेज लूँगा मैं नये-नये बीज को हाँ! मैं रहुंगा अनंत तक अमर अनिल बनकर.. ©Anil Ray 🌟🌟✨अब बदलने लगा हूँ✨🌟🌟 जलती थी शिकायत अनिल अनल-सी अब अपने ही ख्यालों में खोने लगा हूँ। देखें नही कोई आँखें मेरी अश्रुधारा को यही सोचकर मैं
lalitha sai
माँ के लिए एक प्यार भरा चिट्टी...... Dedicating a #testimonial to Karishma Jain प्रिय माँ, मेरी माम्मा... आप के लिए मैंने पहली बार चिट्टी लिख रही हूँ कुछ भी गलती हो गई तो माफ कर
Pankaj Singh Chawla
पर्किंग वाला प्यार भाग -23 (अंतिम भाग) (Read In Caption) पर्किंग वाला प्यार 23 सुनो...! 'मनु' के जन्म के बाद हुआ कुछ ऐसे की... हम सब बहुत खुश थे हमारी 'मनु' के साथ दिनभर कैसे बीत जाता पता ही नहीं ल