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Ravendra
Ram Krishn Hri
Vedantika
गुड़हल के फूलों मे छुपी हुई महक, मुझे तेरी याद दिलाती है न जाने क्यों? क्योंकि इसे ही तो चुना था तुमने भी, अपने प्यार का इजहार करने के लिए नहीं चुना था तुमने किसी और को, बस चुना था तुमने इस गुड़हल को, मेरे और अपने प्यार की याद में ही गुड़हल का फूल दिखने में जितना सुंदर होता है, उतना ही अधिक शिक्षा देने वाला भी। मैं जब भी गुड़हल के फूल की खुली हुई पत्तियों को देखती हूँ तो सो
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खिलते थे मुरझाए फूल भी तेरे इश्क़ के उन किताबों में •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज १२》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सक
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चुभे नश्तर सी तेरी बेवफाई प्यास नफ़रत की बुझती नहीं •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज ११》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सक
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जीवन की आहुति देकर जिसने आज़ादी हैं पाई उस देश के वीर को देखो मृत्यु भी ना हरा पाई •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज १०》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सक
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उनकी नज़र तुम्हें निहारे जो क्यो मन को मेरे ना भाये तू तो है मेरी ही बंजारन दिल को भला कौन समझाये •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज ९》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सकत
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ज़माने में फिर हमें सभी एक जैसे मिले जो दोष दे रहे थे हमें सब गुनहगार मिले •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज ८》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सकत
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छाया हो जीवन में जैसे चहुँओर बसंत प्रेम का ओ मेरे प्रियतम •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज ७》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सकत
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जब तुम्हारे होंठो ने छुआ था उस आखिरी वक्त पर उस कप पर उस लम्हें के निशान अभी भी बाकी है •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़ ५•☆• 《हिंदी चैलेंज ६》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में अपना कोलाॅब लिख सकत