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chahat
आपको नमन धेर्यपुरुष नमन आपके बलिदान को। आपको नमन हे वीरपुरुष नमन आपके उस अविश्वसनीय कार्य को।। बच्चा बच्चा सुनकर वीर गाथा, नमन करता है आपको। नमन ऐसी मां को, जिनकी शिक्षा ने नन्हे नन्हे वीर जवानों को झुकने न दिया। कायम रखा धर्म वर्चस्व और हारने न दिया तज दिए प्राण अपने। जब शहीद हो गए बेटे कर्तव्य भूमि पे लड़ते लड़ते।। वो वीर भूमि कहलाई गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब। जो ठंडा बुर्ज पाठशाला कहलाई जहां सब पढ़ते गुरुग्रंथ साहिब।। आपको नमन हे धर्मपुरुष धर्म रक्षा के लिए आपने चारो पुत्रो की दी खुशी खुशी विदाई। यह वीर बाल दिवस सदा सदा ही अमर कहलगा। जिस अमरत्व गाथा कभी कोई भूल न पाएगा ।। जो धरा धर्मवीर भूमि कहलाई।। ©chahat वीर बाल दिवस
Richa Dhar
कुर्बानी✍️✍️✍️✍️💐💐💐💐 कुर्बानी की मिसाल जो दुनियां में कहीं न मिलेगी गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों की शहादत कभी न मिटेगी कोशिशें तो बहुत हुई इतिहास गलत पढ़ा के बरगलाने की चाचा नेहरू के जन्म दिवस पे बाल दिवस मनाने की लेकिन अब फिर से सत्य का संशोधन किताबों में किया जाएगा फतेहगढ़ साहिब और चमकौर का इतिहास पढ़ाया जाएगा मुगलों के अत्याचार से भी जिन्होंने अपना शीश नहीं झुकाया धर्म की रक्षा के लिए जिनका मन नहीं डगमगाया कभी न भूलने वाला ये शहादत का दिन हमेशा याद रखा जाएगा 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाएगा। ©Richa Dhar #RepublicDay वीर बाल दिवस
Dilip Thakur
सो जा मेरे मुन्ने सोजा, रात हुई अब नींद में खोजा। तेरे पीड़ा का उठाया बीड़ा, तेरे सर पे नहीं है कोई बोझा। ©Dilip Thakur मुन्ने सोजा #motherlove
कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद
बाल बाल ले आज डूबती कश्ती को दरीया से निकाल आया तूफाँ ; देखों बनके महाकाल चल चाल की दुश्मन हो जाये पस्त तभी बचेगें हम सब आज बाल बाल कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद बाल बाल.....कीर्तिप्रद
Kaushal Kumar
असली - नकली का भेद प्रिये, अब मुझसे ना होने वाला। बोलो क्यों केश करूँ काला।। असली में अब मैं तरुण नही, और न तुम ही अब तरुणी हो। फिर क्यों मिथ्या दिखलाने की, कोशिश में मुझ पर बिगड़ी हो। पैंतिस से पंद्रह दिखने का, श्रम मुझसे ना होने वाला। बोलो क्यों केश करूँ काला।। कोई कह दे मैं वृद्ध हुआ, तो कहने से कुछ फर्क नही। जो यही देखते फिरते हैं, उनसे मैं करता तर्क नही। सौंदर्यबोध कर वृत्तिनाश, अब मुझसे ना होने वाला। बोलो क्यों केश करूँ काला।। हाँ बात तुम्हारी दीगर है, सब तुमको क्रोध दिलाते हैं। तुमको कह वृद्धे की गृहणी, वृद्धा का बोध कराते हैं। पर फिर भी ऐसी बातों से, सच झूठ नही होने वाला। बोलो क्यों केश करूँ काला।। जो धवल रंग से नही मिले, यदि वह काले से मिल जाए। ऐसा क्षणभंगुर क्या पाना, जो चंद दिवस में हिल जाए। अंदर - बाहर से अलग - अलग, देखो मैं ना दिखने वाला। बोलो क्यों केश करूँ काला।। ©Kaushal Kumar #सफेद बाल-काले बाल