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Vivek
अपने घर की खिड़की पे बैठकर सिर्फ़ यही सोचती है मैं उसके बगैर क्या कर रहा होऊंगा उसके गुलाबी गालों पे और माथे पे भी चलो काजल का टीका लगा देता हूँ...!!! ©Vivek #काजल का टीका
jatin joshi
जब भी कभी घर से निकलता हूँ , माँ माथे पर एक छोटा सा टीका जरूर लगाती है। क्यों लगाती होगी ? आज तक नहीं जान पाया। उसकी आँखें देखकर लगता है कि, उसे बड़ा विश्वास है उस छोटे से टीके पे , तभी तो हमेशा मुस्कुराती है उसे देखकर।। अब तो मुझे भी इस टीके की आदत होने लगी है। उसके बिना लगता है अधूरा हूँ मैं। मुँह धोता हूँ तो माथे पर उसकी अधूरी छाप रह जाती है, और अगली सुबह वह छाप, फिर से मेरी माँ बन जाती है।। #NojotoQuote माँ का टीका। hindikavitakoshblog.blogspot.com
Gurdeep Kanheri
कोरोना मारी कभी इधर कभी उधर दौड़-भाग का टीका वो बेचारी भाग्य कीकर रही थी पल-पल मर रही थी बार-बार वहाँ से हटाई जा रही थी टीका नहीं लगा,संक्रमित बताई जा रही थी वह विधवा राशन लेने आई थी सड़ी गेहूँ, जो नेता ने भिजवाई थी मगर वहाँ भी सफेदपोश खड़े थे हड़प जाने को सब,यूं अड़े थे गुहार लगाती बार -बार कर रही चीख -पुकार मगर अंधे-बहरे गिद्ध अपना स्वार्थ कर रहे सिद्ध किसी ने पूछा-क्या चाहती हो? टीका लगवा लो,क्यों सबको मारती हो? बेटा, मैं गयी थी टीका लगवाने मगर लाइन से सब लगे मुझे हटाने सबसे की प्रार्थना, सबको ही मनाया किसी को भी मुझ पर तरस नहीं आया थक-हार कर लौट गयी घर भूख- से बच्चे मरे,तड़प कर संवेदनाओं का ज्वार उमड़ा फिर भावनाओं का बुखार चढ़ा फिर सब हमदर्दी दिखाने लगे अपनी बेदर्दी छुपाने लगे मगर संतान- विरह में तड़प माँ के प्राण ,यम गए हड़प समाज का बस यही चेहरा है जेब में पैसा है तो तेरा है,मेरा है। ©Gurdeep कोरोना का टीका #Stars
Shailesh Aggarwal
वो काला टीका, जो"मां" हमे हर रोज लगाती है वो दुआ है उसकी, जो हर बुरी नजर से बचाती है ©Shailesh Aggarwal मां का काला टीका
Bheem Bheemshankar
ए समय तु खेल रहा मेरी जिंदगी से का एईमे कोई नादानी बा ©Bheem Bheemshankar माथे का पसीना
Sumit Kumar
बढ़ते जा रहे है शमशानों में शव, तो आखिर किस बात का उत्सव.. ©Sumit Kumar किस बात का उत्सव.. टीका उत्सव..
Pooja Udeshi
तेरे नाम का सिन्दूर माथे पर लगाई थी! विद्यवा होने के लिए नहीं सिन्दूर सजाई थी! क्या पता था कि हाथ क़ी मेहदी मिटने से पहले सुहाग को मेरे सरहद पर चलती गोलियों खून से रंग डालेगी, अभी तो ठीक से देखा भी ना था! उसे उसकी अर्थी देखने को मिल जाएगी! माँग सूनी हो गई मेरी अब कभी ना ये सिंदूर से भर पाएगी!जख्म जो दे गया वो जालिम उसे कैसे मै भूला पाऊंगी! तेरे नाम का सिन्दूर माथे पर कैसे मै सजाऊगी 😓 ©POOJA UDESHI #sindoor माथे का सिन्दूर #standAlone