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Prashant Dubey
मेरी वफाओं का सिला कुछ यूं मिला मुझे जिस शख्स से मोहब्बत हुई उसी ने छोड़ दिया मुझे ©Prashant Dubey जिस शख्स से मोहब्बत हुई उसी ने छोड़ दिया मुझे 😄😇 #Hopeless
Swati Bhargava
#sbhargava ©Swati Bhargava जब छोड़ दिया मुझे #Sbhargava #SwatiBhargava #Love #Life #Nojoto #nojotohindi #Shayari #Quote #poem #SAD
Thakur pushpendra Singh
ki तेरी गलियों से आना जाना है मेरा और Tu hai की नजर अंदाज करती हैं सच बता पसन्द नहीं हू या किसी और से प्यार करती हैं ©Thakur pushpendra Singh ठुकरा के छोड़ दिया मुझे ab क्या कहना है उसे 💕💕💕 #Travelstories
खुद से मुलाकात!...yad1shi
शायद तुमने तो छोड़ दिया मुझे को वे-सहारा करके! हम भी जिंदा है तेरी यादों पर गुजर करके!! कभी कोई छोड़ दे तुम्हें तुम्हारी तरह वे-सहारा करके! मैं लौट आऊंगा तुम बुला लेना मुझको इशारा करके! ©गुमनाम शायर शायद तुमने तो छोड़ दिया मुझे को वे-सहारा करके! #patience #SAD #Love #alone #2liner
KUNWA SAY
Anuradha Vishwakarma
छुपकर ही सही, वो मुझे याद तो करता होगा, कयू छोड़ दिया मुझे, ये सवाल खुद से करता तो होगा, इशक मिल ही जायेगा उसे मुझ से बोहतर, मेरा लिए रोता तो होगा, छुपकर ही सही, वो मुझे याद तो करता होगा, कयू छोड़ दिया मुझे, ये सवाल खुद से करता तो होगा, इशक मिल ही जायेगा उसे मुझ से बोहतर, मेरा लिए रोत
सुसि ग़ाफ़िल
सपना ☹️ सपना☹️ जब तुम अकेली बैठी थी तो मैं तुझे छुप छुप कर देख रहा था तो तुम्हारी नजर पड़ी और मुझसे नजरें चुराने लगी ! और मैं तुझसे बहुत कुछ बोलना
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मुझे हल्के रंग कि आंखे अच्छी लगती है, क्यों कि मेरी आंखें गहरी है, मुझे बेहतर लगती है मेरे ख्वाबों कि दुनिया, क्योंकि वो हकिकत की दुनिया से बेहतर है, मुझे सुरज का उगना उसके डुबने से बेहतर लगता है, मुझे शौर से बेहतर खामोशियां लगती है, मूझे वो दुरियां बेहतर लगती है,जो उन नजदीकियों से बेहतर है, जहां नज़दीकियां होकर भी करिबियां न हो, मुझे बेहतर लगती है सुरज की तपिश, जो बेहतर है बर्फ कि ठंडक से, मुझे बेहतर लगती है बहुत सी चीजें, जिनका मैंने यहां जिक्र नहीं किया, बजाय उनके जिन्हें मैंने अनकहा छोड़ दिया, मुझे खाली शुन्य बेहतर लगते हैं, बजाय उनके जो संख्याओं के पीछे लगे हो, ..….....…..…....…................…..........🌿🌿 ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) मुझे हल्के रंग कि आंखे अच्छी लगती है, क्यों कि मेरी आंखें गहरी है, मुझे बेहतर लगती है मेरे ख्वाबों कि दुनिया, क्योंकि वो हकिकत की दुनिया से
Shubham Anand Manmeet
✧✧Breakup✧✧ हां सही कहती थी तुम, सही कहती थी तुम कि कभी मुझे रिश्तो को अप्रोच करना नहीं आता... जानती है क्यों नहीं आता क्योंकि मैंने कभी रिश्ते देखें ही नहीं है.. क्योंकि मैंने तो जब भी होश संभाला खुद को अकेले ही देखा.. कोई कभी मेरे पास ऐसा था ही नहीं जो मेरा हाथ पकड़ सके मैं तो जब भी गिरा खुद ही उठा.. जब भी रूठा खुद ही खुद को मनाया... जब भी रोया खुद ही खुद के आंसू पहुंचे... अब तुम बताओ उस लड़के के लिए तो रिश्तो से बढ़कर खुद के सपने होंगे ना जिनको बनाने के लिए वो दिन रात एक कर रहा है जिनके लिए शायद वो जी रहा है लेकिन एक बात बताओ तुम तो थी ना मेरे पास तुम तो थाम सकती थी ना मेरा हाथ।। तुम तो मुझे रिश्ते और सपनों में अंतर समझा सकती थी ना।। लेकिन तुमने भी तो वही किया जो लोगों ने किया छोड़ दिया मुझे अकेला।। तो एक बात बताओ अपने रिश्ते में गलत मैं अकेला कैसे।। क्यों मुझे हर बार यही सुनने को मिलता है कि ये रिश्ता मेरी गलती से टूटा है।। यह बात है बड़ी चुभती है मुझे।। तोड़ के रख देती है मुझे कि मैंने तुम्हें अपनी गलती से खोया।।❤️✍ ©Shubham Anand Manmeet ✧✧Breakup✧✧ हां सही कहती थी तुम, सही कहती थी तुम कि कभी मुझे रिश्तो को अप्रोच करना नहीं आता... जानती है क्यों नहीं आता क्योंकि मैंने कभी रि
Nisheeth pandey
क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... मां की ममता पिता का दुलार जाना नहीं … .… सुना है अपने शिशु की भूख देख, अपनी भूख भूल जाती है..…. रोये अगर तो नींद उसे नहीं आती है... छाती से लगा कर जाड़े की ठिठुड्ती रातों में, स्तनपान कराने में कभी नहीं घबराती है….… क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... बेटे का भूख प्यास का उत्तरदायित्व याद ना रहा...… फर्ज क्या ममता भी याद ना रहा.... खेलना था मुझे तुम्हारे आंचल की छांव में, वह आंचल का स्नेह भी याद न रहा.... क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... पिता मेरी अंगुली पकड़े नहीं शायद इसलिए सही से चलना सीख न पाया..... पिता को भी मेरा एक क्षण भी याद नहीं आया.... मिली नहीं वो खुशी के पल जब बनते वो घोड़ा, मुझे अपनी पीठ पर खिलखिला कर बैठाते ? क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... किसको दूँ दोष सृस्टि रचयता को या जन्मदाता को मेरा बचपन कितना कड़वा रहा होगा.... पर क्या उनका मुझे छोड़ जाना मेरा कौन सा पाप रहा होगा? अन्दर कोमल बाहर कठोर पिता की पहचान कहाँ से लिखूं , क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... मिला नही माता या पिता का छंद , सुना नही अमृतवाणी । मेरा उज्जव भविष्य सोचने वाला कहाँ मेरा कोई अपना था जिज्ञासा भूखा था भर पेट खाना दिलाने वाला न था, क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... मेरे ऊपर नजरदोष या बलाए उतारने वाली मां की दुआएं न थी मुझ कुरूप को निःछल सबसे सुंदर मेरा बेटा कहने वाली मां न थी... बेटे की जो चाहत या पसन्द को दिलवाने वाला पिता न था दोस्तो को अपने बेटे की मनमोहक हडक्क्त बताने वाला पिता न जाने कहाँ थे क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... मेरे लिए ईश्वर, से प्रार्थना , दीया मंदिर में मेरे नाम का जलाने वाली हर कदम पर सफलता की मांग करने वाली भगवन मां न थी , मेरी हर उड़ान पर भरोसा , हर कदमों में हौसला देने वाले पिता न थे क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... उन्होंने ने मेरे प्रति सभी दायित्व से मुख्मोड दिया... कैसी पीड़ा में छोड़ दिया मुझे .... मां-बाप-बहन-भाई का प्यार अपने न रहे, छोड़ कर दुनिया के भवड में सबसे अज्ञान रहा मैं ... क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... कलेजा मां का सुना नही बेटे का कितना चीत्कार रहा.…. आंचल भी उसका उनको घिककरा जरूर रहा होगा……. कोसती दूध अपने को होगी जो मुझे न पिलाया था, ईश्वर मेरा और नसीब दोनों का कातिल था .... क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... #Parentsday2021 #Parents #Nojotoimagepromt #निशीथ ©Nisheeth pandey क्या लिखूं कैसे करूँ वो सुखद अनुभव जब मिला नहीं मात-पिता का साथ... मां की ममता पिता का दुलार जाना नहीं … .… सुना है अपने शिशु की भूख दे