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कवि अर्जून सिंह बंजारा
दिनांक 12/06/2024 ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता कलम के सिपाही
कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता कलम के सिपाही #Poetry
read moreRAVI PRAKASH
White किसी एक का बन के रहना सीखो हजारों से बात करना इश्क नहीं हवस कहलाता है ©RAVI PRAKASH #love_shayari किसी एक का बन के रहना
#love_shayari किसी एक का बन के रहना #शायरी
read morewriter....Nishu...
White मैं बेनाम हूँ मेरी पहचान तू बन जा मुसाफ़िर हूँ भटकती राहों का मेरी मंजिल का मकाम तू बन जा नफ़रत करते लोग इस जहां के मुझसे इन सबसे परे मेरी बे-इन्तहा पाक मोहब्बत तू बन जा खुदगर्ज हैं ज़माना बहुत बिना किसी खुदगर्जी के तू मेरा बन जा रहूँगी तेरी अज़ल तक मैं मेरे इश्क़ का नाम तू बन जा कि मेरी पहचान तू बन जा ©writer....Nishu... #तू मेरा बन जा
#तू मेरा बन जा
read moreKUNWA SAY
White बिश्वास बन के लोग जिंदगी में आते है खाब बन के आँखों में समां जाते है पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है फिर न जाने क्यों बदल जाते है follow kare ©KUNWA SAY #alone_quotes बिश्वास बन के लोग जिंदगी में आते है,,खाब बन के आँखों में समां जाते है ,.. पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है फिर न जाने क्यो
#alone_quotes बिश्वास बन के लोग जिंदगी में आते है,,खाब बन के आँखों में समां जाते है ,.. पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है फिर न जाने क्यो #Life
read moreBheem Bheemshankar
White कभी मोम 💔बन के पीघल🥀 गया । कभी गीरते गीरते संभल गया ।। वो बन के लम्हा💔💯 गुरेज का । मेरे पास से नीकल गया ।। उसे रोकता 💔🥀 भी तो कीस तरह । के वो शख्स ईतना अजीब था ।। कभी तडप उठे 💔💯मेरे आह से वो । कभी अश्क से न पिघल सका ।। सरे राह मिला वो 💔🥀अगर कही । तो नज़र चुरा के गुजर गया ।। वो उतर गया 💯💔मेरी आंखो मे । मेरे दिल से क्युं न ऊतर सका ।। वो चल गया 💯🥀जहा छोड कर । मै वहां से फिर ना पलट सका ।। वो संभल गया 💔💯था फ़राज मगर । मै बिखर के न सिमट सका ।। ©Bheem Bheemshankar #Couple कभी मोम बन के पीघल गया
कवि अर्जून सिंह बंजारा
कवि अर्जुन सिंह बंजारा हिंदू साहित्य ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा
कवि अर्जुन सिंह बंजारा #Shayari
read moreकवि अर्जून सिंह बंजारा
हिंदी साहित्य मंच ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी
कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी #Poetry
read moreShashi Bhushan Mishra
नींद का मारा लगे, कितना बेचारा लगे, स्वाद पहली दफ़ा सा, फिर न दोबारा लगे, दर्द की आग़ोश में, चाँद अंगारा लगे, बिगड़ जाए स्वाद तो, शहद भी खारा लगे, प्रेम की पहचान है, गैर भी प्यारा लगे, हताशा में आदमी, दुनिया से हारा लगे, स्वार्थ में अंधे हुए को, हर कोई चारा लगे, भटकता गुंजन फिरे, हर राह बंजारा लगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #राह बंजारा लगे#
omkar432
एक दिन हम भी भी बो आसमान का तारा बनजायेगे, टूट के आसमान से दुआ मांगने बालों के लिऐ सहारा बन जायेंगे। और कभी लगे की तुम उदास हो, तो आसमान में देखलेना, लाखों करोड़ों तारा गड़ मिल के देखने बालों के लिए नज़ारा बन जायेंगे। ©omkar432 #ArabianNight देखने बालों के लिए नज़ारा बन जायेंगे।
#ArabianNight देखने बालों के लिए नज़ारा बन जायेंगे। #शायरी
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