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Brokensky...✒️
सुनो, समन्दर को, सुनसान रहने दो, दिल में अग़र है, तूफ़ान रहने दो, तुम बना लो गुलिस्ताँ सारे शहर को, मेरे हक़ में मग़र सिर्फ शमशान रहने दो, कुछ कोरे काग़ज़, इक़ क़लम और मायूसी, मैं शायर हूँ, मेरी क़ब्र पर इतना समान रहने दो, यूँ मुड़ मुड़ कर ना देखो मेरे जनाज़े को, मेरी मौत को अब थोड़ा आसान रहने दो, ये रिश्ते नाते, रीति रिवाज़, ज़माने भर के, तुम्हे मुबारक़ हो, मुझे इंसानियत के नाते बस, इंसान रहने दो... #समन्दर #शायरी #sad #shayari #emptiness #alone
Dia
समन्दर से ज्यादा गहराई है तेरे खवाबो मे, डूब के मोती पाने का जज्बा ला तो सही, जलता नहीं वो सूरज, इन छोटी-छोटी आगो से, चिंगारी से ज्वाला बनने की सोच, अपने मन में ला तो सही... #समन्दर
kalamkari vijendra
दिल में जो है वो हर किसी से नही,पर किसी से तो कहा करों... मैं शायर बेबाक समन्दर हुँ,ग़र चाहिए किनारे तुम्हे तो मेरे साथ न बहा करों समन्दर
Utkarsh Rastogi
दिखावा करता हूं पर तुझे भुला न सका, मै समन्दर की प्यास को बुझा न सका, चल पडा हूं अब खुद से रूख मोड़कर, पर शायरी में हाल-ए-दिल छुपा न सका.. ✍️✍️उत्कर्ष रस्तोगी #footsteps #दिखावा #भुला #समन्दर #रूख #शायरी Anurag Yadav gajala
Rohan Rajasthani
बन दरिया मे तेरे इश्क मे बह जाऊँ फिर तेरी झील सी आँखों मे बन के झरना रह जाऊँ बन समन्दर किनारों तक आकर बिना मिले भी रह लू बस तू वादा कर साहिल पर खड़े रहने का हवाओं के थपेडे भी सह जाऊँ ©Rohan Rajasthani समन्दर
shailesh pandit intijaar
समन्दर सी गहराई थी मेरे प्यार मे ना जाने उसने किससे तैरना सिखा ©shailesh pandit #समन्दर
_SuMiT_ShRiVaStAvA
||समन्दर|| तुम भी चाहत के समन्दर में उतर जाओगे खुशनुमा से किसी मंजर पे ठहर जाओगे मैने यादों में तुम्हें इस तरह पिरोया है मै जो टूटा तो मेरे दोस्त तुम भी बिखर जाओगे.!! #समन्दर
Priyanka Panwar
मेरा तो बस एक समंदर... कभी-कभी मुझको एक बात सता जाती है नदी है फिर भी क्या जिंदा उसकी प्यास रह जाती है क्या उसकी भी कोई मजबूरी रहती होगी तभी मीठी सी नदी खारे समंदर में मिलती होगी वो खुद उतरी थी समंदर और उसकी गहराईयों में या समंदर ने बाहें फैला छुपाया नदी को परछाईयों में क्या एक बड़ी सी लहर ने नदी को किनारे धकेला था या भर लिया खुद को और खुद को पाया अकेला था नदी को भी समंदर में समाना अच्छा लगता है या बादल ओढ़ धरा की गोद में बहना अच्छा लगता है क्या तुम्हें नहीं लगता तुम अपना अस्तित्व खोती हो मीठी से खारी हो जाने के बाद क्या तुम भी रोती हो हिमालय से बह पहाड़ों को चीर निकल जाती हो फिर समंदर के आगे बताओं क्यों फीकी पड़ जाती हो फिर एक दिन नदी ने मुझको एक बात समझा दी ज़ज्बात है मेरे और मुकद्दर समंदर है बात बतला दी वफा मैं कर देती हूं और बेवफाई समन्दर दे देता है मैं उसमें समाती हूं वो खुद में कई नदियां समा लेता है समन्दर को बेशक हजारों नदियां पसंद हो जाती है मेरा तो बस एक समंदर, नदी तो सागर को ही पाती है Priyanka Singh✍️ ©Priyanka Panwar #समन्दर