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Rahul Sontakke
हे मानवा कोकिळा गाते मधुर तुझे सूर बेसूर फुल देते सुंगंध तू आहेस धुंद तुकाराम लावतो कपाळी गंध तू पाहतो दुसऱ्याचे गंध तुझा आहे दुसराच छंद कर तू हे सारे बंद नाहीतर येईल तुझा दुर्गंध तू आहेस मंद कपाळी लाव तू गंध हे मानवा घाल तू तुझ्या मना आळा नाहीतर दाबील तो तुझा गळा म्हणुनी म्हणतो लाव कपाळी टिळा हे मानवा
हे मानवा
read morevaishali
🌷 शोध मानवा शोध 🌷 शोध मानवा शोध रे देव माणसात धावतोस पैश्यामागे विसरुनी माणुसकी अन् नात !! माणुसकी जप मनी अहंकार सोड जगता जगता कळे तुजला तुझ्या जगण्यातील गूढ !! आयुष्य सुंदर असे नको सोडू धीर कितीही येती संकटे हिम्मत ठेवुनी रहा तू खंबीर !! माणूस म्हणून जग लाभे समाधान इथेच राहते सारे आता तू फक्त माणुसकीस जाण !! शोध मानवा शोध#निलकाव्य# अक्षर संख्या (८ ,६ , ८ , १२ )
शोध मानवा शोधनिलकाव्य# अक्षर संख्या (८ ,६ , ८ , १२ )
read moreSarita Prashant Gokhale
षटकोळी लेखन दिनांक-- २७/१०/२०२१ नको तमा दुःखाची मनात बाळगू मानवा शब्द तुझ्या मुखाचा, श्वास आहे सर्वदा त्यातचं असे सोनेरी एक धागा सुखाचा... ©Smita Raju Dhonsale *षटकोळी साहित्यप्रेमी आयोजित* *उपक्रम -- षटकोळी लेखन* *दिनांक-- २७/१०/२०२१* *विषय ~~ एक धागा सुखाचा* *नको तमा दुःखाची*
*षटकोळी साहित्यप्रेमी आयोजित* *उपक्रम -- षटकोळी लेखन* *दिनांक-- २७/१०/२०२१* *विषय ~~ एक धागा सुखाचा* *नको तमा दुःखाची* #मराठीकविता #NojotoRamleela
read moreAshutosh Mishra(निर्वाण)
संकोची मनवा काहे डरे डरे से होत न काम जो जीत ले अंतरात्मा तब होत है जग में नाम.. निर्वाण ये मानवा बैरी है देख जलत है ओरन को जब मन भरे तब चित जगे राम नाम बस तारन को... संकोची मनवा काहे डरे डरे से होत न काम जो जीत ले अंतरात्मा तब होत है जग में नाम.. निर्वाण ये मानवा बैरी है देख जलत है ओरन को जब मन भरे तब
संकोची मनवा काहे डरे डरे से होत न काम जो जीत ले अंतरात्मा तब होत है जग में नाम.. निर्वाण ये मानवा बैरी है देख जलत है ओरन को जब मन भरे तब #Shayari
read moreRaghav
भोले शिवा तुम तांडवा तुम हो शुभंकर नाथ तुम हे नीलकण्ठी हे शिवा दो भक्त का अब साथ तुम। हो शून्य तुम ब्रम्हांड तुम हो जीव तुम, तुम काल हो तुम
भोले शिवा तुम तांडवा तुम हो शुभंकर नाथ तुम हे नीलकण्ठी हे शिवा दो भक्त का अब साथ तुम। हो शून्य तुम ब्रम्हांड तुम हो जीव तुम, तुम काल हो तुम
read moreDivyanshu Pathak
रे मनवा, शुरू करना होगा चेतना जागरण से, विद्या-बुद्धि को प्रेरित करके- ‘धीयो योन: प्रचोदयात्’ की प्रार्थना से। बुद्धि बनती है चेतना से ज्योति तत्व से पूर्णत: शुद्ध; किन्तु बुद्धि के साथ रहते हैं तीनों गुण सत-रज-तम, ढंकते हुए चेतना को। प्रार्थना कर मेरे मानस कि वही शुद्ध ज्योति सूर्य प्रदत्त ही प्रवेश कर जाए तेरी बुद्धि में। समझ ले मन माया के रूप को घड़ती है देह को चिति के द्वारा और बैठ जाती है इस पर स्वयं ही चेतना बनकर चितेनिधेय रूप, रोककर मार्ग भीतर जाने का चेत
BinTu Galiyon
#GodMorningTuesday मांस आहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस जान। मुख देखो न तास का, वो फिरै चैरासी खान।। जो व्यक्ति माँस खाते हैं, वे तो स्पष्ट
#GodMorningTuesday मांस आहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस जान। मुख देखो न तास का, वो फिरै चैरासी खान।। जो व्यक्ति माँस खाते हैं, वे तो स्पष्ट #Food #Smile #followme #nojotophoto #instagramers
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