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Saurabh Pandey
गुलाबी बाग हो कोई उसी की सेज़ लगती हो किसी शायर की पुरानी किताब का कोरा पेज लगती हो गोरे बदन पर पहन लाल वो साड़ी निकलती हो , तो कतई यू पी रोडवेज लगती हो ©Saurabh Pandey गुलाबी बाग हो कोई उसी की सेज़ लगती हो किसी शायर की पुरानी किताब का कोरा पेज लगती हो गोरे बदन पर पहन लाल वो साड़ी निकलती हो , तो कतई यू पी र
Harshita Dawar
Happy World poetry day Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat लिखने की कसक चेहरे की चमक चैन की जिंदगी सेज़ पे सजी फूलों सी मेहनत हैरते ए नूर लेखनी का कुसूर #respect #women #women #words #yqbaba #yqdidi #yqquotes Happy World poetry day Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat लिखने की कसक चेहरे की चम
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ना दीपक की लौ जली ना अरमानों की मेंहदी लगी ना दिल की धड़कन सुनी ना रास्ते भर में प्यास लगी बेदर्द ज़माने की रुसवाई में हर मिनट एक और अरमानों की सेज़ शमशान की राख में जली #reality #lifequotes #zindagikasafar #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ना दीपक की लौ जली ना अरमानों की मेंहदी लगी ना
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat मखमली लिबास में लपेटी वो अल्फाजों की बौछार जो चीरती रही, दिल की कहानी लिखती गई तुमने आवाज़ क्या लगाई ,कमान से अल्फाजों के कटाक्ष से निकाल गए हर बार अरमानों के जलजले जलते लिपटे रोते निकलते गए बाक़ी बचा सक नहीं पर सवाल ऐसे बिछाएं जैसे सेज़ पर कांटों की कारीगरी से रेशम के धागे कड़वाए। #lifequotes #zindagi #zindagikasafar #yqbaba #yqdidi #yqtales Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat मखमली लिबास में लपेटी वो अल्फाजों की बौछार
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat# तुम कहां ठहरें। जहां हम नहीं बहरे। सुनी सुनाई कहानियों । पतझड़ में बिखरे पन्नों में। एडूरी दस्ताने इश्क़ की। अरमान बिखरे सेज़ पर। कलेजे से निकली चखो में। तुम कहां हो। तुम कहां थे। तुम बिन हम। हम बिन तुम। सांसे लेते है। जीते है। मज़बूर नहीं। मगरूर तुम ही। मसरूफ़ तुम ही। हम हम नहीं। जहां थे कभी। #तुमकहाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat# तुम कहां ठहरें। जहां हम नह
Mohammad Arif (WordsOfArif)
याद फिर उनकी चली आई चुपके से मौसम ने फिर ली अंगड़ाई चुपके से। बेकरारी का अजब दौर चला करता है कभी वो थामेंगे मेरी कलाई चुपके से। लबों पे नाम न आया हया के मारे है बात आंखो से हमने दोहराई चुपके से। ये सितम है जो ख्यालों में चले आते है देते है मोहब्बत की दुहाई चुपके से। वस्ले यार की जुस्तज़ू में जिये जाते है सेज़ उल्फत की तारों ने सजाई चुपके से। याद फिर उनकी चली आई चुपके से मौसम ने फिर ली अंगड़ाई चुपके से। बेकरारी का अजब दौर चला करता है कभी वो थामेंगे मेरी कलाई चुपके से। लबों पे
Kr. Mannu
kavi manish mann
जिंदगी हम तेरे मज़दूर, खुशियों से हैं कोसो दूर..... "मन" की बात भाग - 4 कृपया कैप्शन में ज़रूर पढ़ें ✍️✍️ 🙏😊 शीर्षक - "मन" की बात भाग - 4 जिंदगी हम तेरे मज़दूर, खुशियों से हैं कोसो दूर। न कोई साथी न सहारा, हो गए जीवन से मजबूर।