Find the Latest Status about गुरू पर कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गुरू पर कविता.
Manisha Kaushik
Guru Purnima गुरू एक शक्ति है, एक भाव है, एक आस्था है़.. जो सोच को स्वतंत्र बनाएं, वो गुरू है जो अच्छे बुरे का ग्यान कराएं, वो गुरू है जो निस्वार्थ: भाव से आपको प्रेम का ग्यान कराए, वो गुरू है जो ईश्वर से संपर्क कराएं, वो गुरू है जो जीवन रूपी अंधेरे में ग्यान का दीपक जलाए, वो गुरू है "शिक्षक दिवस पर सभी गुरूओं को नमन" 🙏🙏🙏 #विचार #कविता #गुरू
AnishaDodke
कविता :गुरू कोण?आहेत? नऊ महिने नऊ दिवस पोटात मायेची, प्रेमाची आपुलकीची शिकवण देणारी पहिली गुरू इथूनच खरं जीवन झाल सुरू...! धिरगंभीरतेने अटी लादत मला संस्कार रुपी प्रेमात वाहून नेणारे माझे वडील हेच माझे गुरू इथूनच खरं कुटूंबीक जीवन झाल सुरू...! पाठीवरती अक्षर गिरुनी खऱ्या शिक्षणाची सुरुवात करुनी घेतले ओटीत आम्हा दाविले धडे आम्हा जीवनात यशस्वी होण्या केली मदत आम्हा हेच आमचे गुरू इथूनच झाली संघर्षमय वाट सुरू.....! जीवनाच्या वळणावर बरे वाईट शिकवण देत दुःख सुखात साथ देणारे लहान थोर, नातेवाईक, वाटसरू हेच माझे शिकवणीचे गुरू इथूनच झाल स्पर्धेत जगणं सुरू....! प्रत्येक वळणावर साथ देणारे माझे मित्र परिवार हे माझे आद्य गुरू कारण त्यांनीच दाविले हाती धरुनी शाळा कॉलेजतले गुरू.. ! खऱ्या जीवनाची ओळख ज्यांनी दिली पटवून त्यांच्या कडे पाहून जीवन आलं फुलून इथूनच झाल वास्तविक जीवन सुरू महापुरूष ते थोर आमचे गुरू ... ! कवयित्री; कु आनिशा दिलीप दोडके ©AnishaDodke गुरू कविता #Light
Varun Raj Dhalotra
गुरू बिना ना आधार, गुरू महिमा अपरम्पार, कर सम्मान नित् नेम् से, गुरू ज्ञान की बहती धार, गुरू वाणी का मान रख, कर जग में सारें काम, अंधकार सारा मिट जायेगा, गुरू रूप प्रकाश...!! ©Varun Raj Dhalotra गुरू पूर्णिमा की शुभकामनाएं। #कविता #गुरुपूर्णिमा #Gurupurnima
Ranjit yadav
कई आए थे लेकर फरमान दिल की, हमने देखा , पढ़ा और खारिज कर दी। गरूर न था मुझे अपने दिल पर किसी चिज का, वो तो तेरा सुरूर था कि हम कुछ समझ ना पाए गुरू न था अपने दिल पर।
Gaayu
गुरू हमारे मीत....! गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे गीत, गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे मीत...! गुरुने हमको, गुरुने हमको सिखाया अपना धरम। गुरुने हमको, दिखाईं मंजिल, गुरुके सच्चे करम। गुरूसे से नाता, तुटे ना अपना, यहीं हमारी रीत। गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे मीत....! गुरुने हमको, गुरुने हमको, विज्ञान से जोड दिया। गुरुने हमको दिखाए सपने, जीने का ज्ञान दिया। गुरूसे अक्सर, जुड़े रहे हम यहीं हमारा संगीत। गुरू हमारे ,गुरू हमारे, गुरू हमारे मित....! है गुरुने हमको, गुरुने हमको अपनाही मान लिया। गुरुने हमको, उस छोटेसे घर में विश्व संचार किया। गुरू को हमेशा पूजते रहे हम, यहीं कहे मनमीत। गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे मीत....! गुरुने हमको, गुरुने हमको अच्छे एक विचार दिए। गुरुने हमको सच्ची सलाह पे, चलने के राज दिए। गुरुको हमेशा याद रखेंगे, उनकी गाएंगे जय गीत। गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे मित....! गुरुने हमको, गुरुने हमको पाणी सा निर्मल किया गुरुने हमको, झुटी आदतों के, नजरों से दूर किया। गुरुने जो हमे राह दिखाई, तो होंगी अपनीही जीत। गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे मीत....! गुरू हमारे ,गुरू हमारे, गुरू हमारे गीत, गुरू हमारे, गुरू हमारे, गुरू हमारे मीत....! ©Gayatri Motilal More #Teachersday मेरी कविता .....(सारे गुरू वर्य, गुरुजनों को अर्पण)
VINOD VANDEMATRAM
🙏मेरी गुरु दक्षिणा🙏 शिक्षक दिवस पर स्वरचित कविता- ----------------- सरस्वती का वरद पुत्र ये, शिक्षक है विद्या का दाता। हटा तिमिर उजियारा देता, बच्चों का है भाग्य विधाता॥ भूले को भी राह दिखाता, शिक्षक है विद्या का दाता। गुरु आपको शत शत वंदन, टूटे ना कभी अपना बंधन॥ दया धरम का पाठ सिखाता,मेरा दंभ,अभिमान मिटाता। गुरु ज्ञान का है भंडार, दुर्बुर्धि का करे संहार॥ राष्ट्र समुचित ज्ञान प्रदाता, बिना गुरु के ज्ञान ना आता। सच और झूठ का भान कराता, शिक्षक तो है भाग्य विधाता॥ गुरु सुनाता जग की गाथा, वेद, पुराणों का है ज्ञाता। पाप पुण्य का भेद बताता, जनम मरण का पाठ पढ़ाता॥ गुरु की महिमा बड़ी निराली, कवि विनोद ने कहा है भाई। जो देता है सच्ची शिक्षा, नाम उसी गुरु कहाई॥ ----------------- रचनाकार: विनोद त्रिवेदी पालोदा ©VINOD TRIVEDI PALODA #vTp शिक्षक दिवस पर गुरू को समर्पित-
गोरक्ष अशोक उंबरकर
तुम सूरज चांद नहि बल्की आसमा के तारे हो.. किसी एक के नहीं सबके दिल के सितारे हो.. खेल मे जो हारे है उनके तुम सहारे हो.. डूबने वाली नौका के आप ही एक किनारे हो.. धन्य जो माता पीता जो आपके पालनहारे हो.. हर कोई चाहे आप जैसा गुरू हमारे हो.. दिल से दुवा करते है क्यूकी तुम सच में बहुत प्यारे हो.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर गुरू
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
प्रथम गुरु माता से सीखते हैं हम लिखना पढ़ना। और गुरु बन पिता सिखाते ऊँचाई पर चढ़ना। क़दम - क़दम पर संघर्षों, बाधाओं की ठोकर है- मात पिता ही थाम के ऊँगली सिखलाते हैं बढ़ना। दूजे गुरु जो पूज्य हमारे ज्ञान की दीक्षा देते हैं अनुशासन,कर्त्तव्यनिष्ठता की हमें शिक्षा देते हैं। ज्ञानकोष के अनुपम मोती भरते हैं झोली में- दानी गुरु महान दान में शिक्षा की भिक्षा देते हैं। जीवन गुरु महान सिखाता इन तीनों से ज्यादा नहीं असंभव कुछ भी बंदे कर ले अगर इरादा। बाधाएं कितनी भी आएं कभी हौसला टूटे ना - बिना हार माने है जीतना कर लो ऐसा वादा। जीवन में हम क़दम क़दम पर सीखते हैं जीवन से। जीवन को हम कुछ देते और लेते हैं जीवन से। जीवन जैसा गुरु नहीं कोई जग सा नहीं विद्यालय- सीख दे जाते हैं जो पाते गुरु कितने हैं जीवन से। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #गुरू
कमल "किशोर"
"गुरू" ।। कहाँ अंत है तीन लोक का, कहाँ चराचर हुआ शुरू, कहां गूंजता नाद गगन में, किस से करते बात तरु, गिरि से कैसे छूटी धारा, क्यों है जल से विरक्त मरु, सकल विश्व का ज्ञान समेटे, भृकुटि ध्यान लगा कर के, वचन से अपने एक ही पल में, सब संशय करे दूर गुरू ।। अज्ञान तमस को चीर मिटाये, ज्योति-पुंज-प्रकाश गुरू..।। बिन भेदी के दर-दर डोले, ज्यों स्वामी बिन ढोर "किशोर" हाथ पकड़ कर राह दिखाते, राह भटकों की आस गुरू। ©कमल "किशोर" गुरू