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Rabindra Kumar Ram

Pic : self " दायरा है अभी कुछ नजदिकीयो का ख्याल उन्हें भी होने दें , अब बात जो भी अभी फिलहाल आनन-फानन कुछ बात तो होने दें ."

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" दायरा है अभी कुछ नजदिकीयो का ख्याल उन्हें भी होने दें , 
अब बात जो भी अभी फिलहाल आनन-फानन कुछ बात तो होने दें ." 

                                                 --- रबिन्द्र राम Pic : self 
" दायरा है अभी कुछ नजदिकीयो का ख्याल उन्हें भी होने दें , 
अब बात जो भी अभी फिलहाल आनन-फानन कुछ बात तो होने दें ."

Rabindra Kumar Ram

*** कविता *** *** कुछ वक़्त निकाल *** " तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं , कभी वक़्त मिले तो कुछ वक़्त निकाल , करनी है कुछ बातें तुम से , आनन #शायरी

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*** कविता *** 
*** कुछ वक़्त निकाल *** 

" तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं ,
कभी वक़्त मिले तो कुछ वक़्त निकाल ,
करनी है कुछ बातें तुम से ,
आनन-फानन में कुछ बात बने तो बने दे ,
इस ख्याल का क्या मिजाज बताये ,
ये अक्ष तेरा है तु ही इसे आ सम्हाल ,
तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं ,
तेरी हसरतें काविज होने लगी है मुझ पे ,
जाने - अनजाने कैन सी बात बन गई ,
ऐसा क्या हुआ जो तुम अच्छे लगे ,
कभी आ तु इस मदहोश धड़कन को सम्हाल ." 

    ‌                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** 
*** कुछ वक़्त निकाल *** 

" तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं ,
कभी वक़्त मिले तो कुछ वक़्त निकाल ,
करनी है कुछ बातें तुम से ,
आनन

Rabindra Kumar Ram

*** कविता *** *** कुछ वक़्त निकाल *** " तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं , कभी वक़्त मिले तो कुछ वक़्त निकाल , करनी है कुछ बातें तुम से , आनन

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*** कविता *** 
*** कुछ वक़्त निकाल *** 

" तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं ,
कभी वक़्त मिले तो कुछ वक़्त निकाल ,
करनी है कुछ बातें तुम से ,
आनन-फानन में कुछ बात बने तो बने दे ,
इस ख्याल का क्या मिजाज बताये ,
ये अक्ष तेरा है तु ही इसे आ सम्हाल ,
तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं ,
तेरी हसरतें काविज होने लगी है मुझ पे ,
जाने - अनजाने कैन सी बात बन गई ,
ऐसा क्या हुआ जो तुम अच्छे लगे ,
कभी आ तु इस मदहोश धड़कन को सम्हाल ." 

    ‌                         --- रबिन्द्र राम
 *** कविता *** 
*** कुछ वक़्त निकाल *** 

" तेरे ख्यालों से उलझ पड़े हैं ,
कभी वक़्त मिले तो कुछ वक़्त निकाल ,
करनी है कुछ बातें तुम से ,
आनन

AB

अच्छा लगता है मेरे सरदर्द होने पर घंटों तुम्हारा मेरे बाल सहलाना, मेरा सर दबाना, अपनापन दिखाना मेरे दर्द को अपना समझकर , मेरे माथे पर भोहो #alpanas

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अच्छा लगता है,!   अच्छा लगता है मेरे सरदर्द होने पर घंटों तुम्हारा मेरे बाल सहलाना, मेरा सर दबाना, अपनापन दिखाना मेरे दर्द को अपना समझकर , मेरे माथे पर भोहो

Ravendra

छत पर सरिया काटने के दौरान हाईटेंशन लाइन से छू जाने पर एक युवक की झुलसकर दर्दनाक मौत हो गई, जबकि दूसरा युवक गंभीर रूप से झुलस कर घायल हो गया #न्यूज़

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अनुज

बलात्कार, शब्दकोश में क्यों है, सरकारें पूछती यूं, जनता आक्रोश में क्यों है, मगर वाजिब सवाल है, बेवजह मचा बवाल है, अब तुम ही बताओ, अपराधी कौ #Poetry #Life #Reality #Hindi #poem #urdu

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बलात्कार 
शब्दकोश में क्यों...
(कृपया अनुशीर्षक पढ़ें)

©अनुज बलात्कार,
शब्दकोश में क्यों है,
सरकारें पूछती यूं,
जनता आक्रोश में क्यों है,
मगर वाजिब सवाल है,
बेवजह मचा बवाल है,
अब तुम ही बताओ,
अपराधी कौ

पत्रकार रमेश सोनी Soni

द न्यूज उत्तर प्रदेश दुल्लहपुर गाजीपुर।क्षेत्र के सिखड़ी पंडित मदन मोहन मालवीय इंटर कालेज में रविवार की रात्रि 10 बजे बसों में भरकर गैर प्रां #nojotovideo

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Swarima Tewari

कैसे सीख जाती है वो लड़की आनन फानन में रसोई की बातें? वो लड़की जिसने होस्टल रूम में आधी ज़िन्दगी गुज़ारी लगभग आधे से थोड़ा ज़्यादा दिन गुज़ार देती #hindiquotes #yqbaba #yqdidi #yqhindi #pc_pinterest #yqdidihindi

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कैसे सीख जाती हो तुम..?
(full in caption) कैसे सीख जाती है वो लड़की
आनन फानन में रसोई की बातें?
वो लड़की 
जिसने होस्टल रूम में आधी ज़िन्दगी गुज़ारी
लगभग आधे से थोड़ा ज़्यादा दिन गुज़ार देती

Asmita Singh

Read the whole poem here- ममता की भूख मैं और उस माँ का कोख दुनिया की रीत गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप.... आज पहली बार उस अंधेरे में #Fear #SAD #nojotohindi

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ममता की भूख

मैं और उस माँ का कोख
दुनिया की रीत 
गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप....
आज पहली बार उस अंधेरे में
मैंने जीवित होने का सुबूत दिया
आंगन में खुशियों की लहर तो आई
पर उनके डर ने मुझे फिर से घेर लिया Read the whole poem here-

ममता की भूख

मैं और उस माँ का कोख
दुनिया की रीत 
गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप....
आज पहली बार उस अंधेरे में

सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

बात मैं उस उम्र की कर रहा हूँ, जिस उम्र में दिल और ज़ुबान सच कहने से कतराता नहीं है। हा मैं बचपन की बात कर हुँ, एक रोज सामने मेरे एक घटना #nojotohindi #nojotoapp #stopacidattacks #personalfeeling

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#StopAcidAttacks    बात उन दिनों की हैं,
जिस उम्र में दिल और ज़ुबान,
सच कहने से कतराता नहीं,
हा मैं बचपन की बात कर हुँ, 
एक रोज सामने मेरे एक घटना घटी, 
कुछ लोगों ने एक अजनबी बहन के चेहरे पे कुछ फेंक कर वो फरार हो गए,
वो चीखी चिल्लाई,
मैं बहुत घबराया, 
पुछा सबसे उन लोगों ने ऐसा बहन के साथ क्या था किया,
सब मौन थे,
किसी ने भी मुझे कुछ ना समझाया।
समझ थोड़ी उस दिन पाया दर्द उस बहन का, 
मौसम थी ठंड की सुहानी,
दादी मेरी थी कुछ तेल में थी तल रही, 
मैं था कर रहा मस्ती,
सहसा कुछ ऐसा हुआ, दादी रखी थी गरम तेल की कडाही, 
उसमें मैं जा गिरा, आनन फानन में घरवालो नें मुझे हंस्पताल पहुँचाया,
घरवालो के साथ डॉक्टर ने हाथ मेरा जला देख कहा देखा मस्ती करने का नतीजा,
डॉक्टर के उस बात में मुझे उस बहन का था दोबारा याद दिलाया, 
कहा फिर घरवालो को उस दिन मुझे आपने ये बात क्यों ना बताया और फिर 
पुछा डॉक्टर से उन लोगों ने उस बहन पे गरम तेल क्यों था डाला,
वो तो मस्ती थी ना कर रही फिर उनका चेहरा क्यों जलाया।
सब मौन हो थे मेरे और देख रहे सच कहुँ तो उस दिन भी मैं पुरी बात समझ ना था पाया। बात मैं उस उम्र की कर रहा हूँ, 
जिस उम्र में दिल और ज़ुबान
सच कहने से कतराता नहीं है। 
हा मैं बचपन की बात कर हुँ,
एक रोज सामने मेरे एक घटना
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