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बेजुबान शायर shivkumar
White फूल खिलते हैं बिखर जाते हैं, रंग चढ़ते हैं कि उतर जाते हैं.. जो चल पड़े उजालों में उनकी क्या फ़िक्र जो निकले हैं अंधेरों में, वो किधर जाते हैं ? लाख मुश्किलें ही सही मुस्करा देते हैं, और वो कहते हैं हम बिफर जाते हैं..... उड़ते बादल, सर्द हवाएँ, बदलता मौसम यहीं हैं जो अब फकत नज़र आते हैं.. कहने को उस मोड़ पर घर है उसका पर देखे उसे जमाने गुज़र जाते हैं.. सुना है आज़ भी बला की खूबसूरत है वो कोई देख ले तो कदम ठहर जाते हैं.. बैचैन हूं पर जाता नहीं उसकी चौखट पर कभी एक मर्तबा उसने कहा था, बेकार यूँ ही चले आते हैं... तुम मिलो कभी तो हाल उसका मुझे सुनाना, सुना है वो अब मिलने की वज़ह चाहते हैं... अब जो निकल आयें हैं उन गलियों से, तो मुड़ना कैसा उनसे कहना कि मिलने के मौसम गुज़र जाते हैं.. उतरे हैं किसी के जहन में हम भी बेइंतहा, पर हमारी नजरों में वो कहाँ बसर आते हैं.. ज़रा ठहरो, इश्क़ का जुनूँ जो ढल जाने दो, फिर देखो ये रिश्ते किधर जाते हैं.. जो चल पडे उजालों में उनकी क्या फ़िक्र ©Shivkumar #flowers #Flower #FlowerBeauty #Nojoto #nojotohindi #kavita #फूल खिलते हैं बिखर जाते हैं, #रंग चढ़ते हैं कि उतर जाते हैं..
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read moreGeetkar Niraj
तेरे बिना मैं जी न सकूंगा, तुमसे जुदा हुये तो मर जाऊँगा। मैंने तो झूठ कहा था तुमसे, और तू इन बातों पर यकीन कर ली, जुदा होने का फैसला कर ली। ©Geetkar Niraj मैंने झूठ कहा था तुमसे। #duniya #sadShayari #lovesayari #geetkarniraj #झूठ #यकीन
मैंने झूठ कहा था तुमसे। #duniya #sadShayari #lovesayari #geetkarniraj #झूठ #यकीन #शायरी
read moreAnjuu
मैं कभी तुमसे ये नहीं कहूंगी कि तुमसे मोहब्बत के बदले मैं कुछ नहीं चाहूंगी। मेरी चाहतों की सूचि बड़ी लंबी है, मैं तुमसे बहुत कुछ चाहूंगी। मैं चाहूंगी तुम्हारे चेहरे की खुशी तुम्हारे लबों की हंसी मुझे चाहिए अपने हाथ में तुम्हारा हाथ, मांगूंगी मैं उम्रभर का साथ हां मैं बस तुम्हारी रहूंगी मगर तूझे मेरा कहने का हक भी मुझको मांगूंगी चाहूंगी तुमसे इतनी आज़ादी कि जहां मैं बेबाकी से अपने पंख फैला सकूंगी चाहूंगी एक कैद जिससे मुझे कभी रिहाई न चाहिए होगी चाहूंगी करीबी कि जहां तुम्हारा माथा चूमकर तुम्हारे सारे तनाव निगल जाऊंगी तुम्हारी आंखों को चूमकर तुम्हारे सारे आंसू पी जाना चाहूंगी सुनो तुम्हारी जिंदगी के सारे दर्द में मैं बराबरी का हिस्सा भी मांगूंगी हां मैं वो दूसरी इकलौती हकदार होना चाहूंगी तूझे अपनी गोद में सुलाने की मुझे चाहिए होगी तुम्हारी जिद्द, तुम्हारा जुनून भी मुझे तुम्हारा बनाने की चाहूंगी तुम्हारी हर मुमकिन कोशिश यूं ही उम्रभर मेरे साथ_साथ चलने की बनना चाहूंगी वो ख्याल जिसके एहसास से तुम शुकून के समंदर में डूब जाओगे मैं चाहूंगी तुम्हारी दिन भर की परेशानियां भी ताकि तुम रातों में चैन से सो सकोगे ©Anjuu थक गए न सुनते_सुनते कहा था मैंने "सूचि बड़ी लंबी है".....।। #संदेश #महबूब #के #नाम 💓💓
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मॉंगना, युधिष्ठिर का अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारी के दृष्टिपात से युधिष्ठिर के पैरों के नखों का काला पड़ जाना, अर्जुन का भयभीत होकर श्रीकृष्ण के पीछे छिप जाना, पाण्डवों का अपनी माता से मिलना, द्रौपदी का विलाप, कुन्ती का आश्वासन तथा गान्धारी का उन दोनोंको धीरज बँधाना. 📜 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं-जनमेजय ! गान्धारी की यह बात सुनकर भीमसेन नें डरे हुए की भॉंति विनय पूर्वक उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा। माताजी ! यह अधर्म हो या धर्म मैंने दुर्योधन से डरकर अपने प्राण बचाने के लिये ही वहॉं ऐसा किया था अत: आप मेरे उस अपराध को क्षमा कर दें। 📜 आपके उस महाबली पुत्र को कोई भी धर्मानु कूल युद्ध करके मारने का साहस नहीं कर सकता था अत: मैंने विषमता पूर्ण बर्ताव किया। पहले उसने भी अधर्मसे ही राजा युघिष्ठिर को जीता था और हम लोगों के साथ सदा धोखा किया था, इसलिये मैंने भी उसके साथ विषम बर्ताव किया। कौरव सेना का एक मात्र बचा हुआ यह पराक्रमी वीर गदा युद्ध के द्वारा मुझे मारकर पुन: सारा राज्य हर न ले, 📜 इसी आशड्का़ से मैंने वह अयोग्य बर्ताव किया था। राजकुमारी द्रौपदी से, जो एक वस्त्र धारण किये रजस्वला अवस्था में थी, आपके पुत्र ने जो कुछ कहा था, वह सब आप जानती हैं। दुर्योधन का संहार किये बिना हम लोग निष्कण्टक प्रथ्वी का राज्य नहीं भोग सकते थे, इसलिये मैंने यह अयोग्य कार्य किया। 📜 आपक ेपुत्र ने तो हम सब लोगों का इससे भी बढ़कर अप्रिय किया था कि उसने भरी सभा में द्रौपदी को अपनी बॉंयी जॉंघ दिखायी। आपके उस दुराचारी पुत्र को तो हमें उसी समय मार डालना चाहिये था, परंतु धर्मराज की आज्ञा से हम लोग समय के बन्धन में बँधकर चुप रह गये। 📜 रानी ! आपके पुत्र ने उस महान् वैर की आग को और भी प्रज्वलित कर दिया और हमें वन में भेजकर सदा क्लेश पहुँचाया इसीलिये हमने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया है। रणभूमि में दुर्योधन का वध करके हमलोग इस वैर से पार हो गये। राजा युधिष्ठिर को राज्य मिल गया और हम लोगों का क्रोध शान्त हो गया। 📜 गान्धार्युवाच गान्धारी बोलीं –तात ! तुम मेरे पुत्र की इतनी प्रशंसा कर रहे हो इसलिये यह उसका वध नहीं हुआ (वह अपने यशोमय शरीर से अमर है) और मेरे सामने तुम जो कुछ कह रहे हो, वह सारा अपराध दुर्योधनbने अवश्य किया है। भारत ! परंतु वृषसेन ने जब नकुल के घोड़ो को मारकर उसे रथहीन कर दिया था, 📜 उस समय तुमने युद्ध में दु:शासन -को मारकर जो उसका खून पी लिया, वह सत्पुरुषों द्वारा निन्दित और नीच पुरुषों द्वारा सेवित घोर क्रूरता पूर्ण कर्म है। वृकोदर ! तुमने वही क्रूर कार्य किया है, इसलिये तुम्हारे द्वारा सत्यन्त अयोग्य कर्म बन गया है। भीमसेन उवाच भीमसेन बोले—माताजी ! दूसरे का भी खून नहीं पीना चाहिये फिर अपना ही खून कोई कैसे पी सकता है ? 📜 जैसे अपना शरीर है, वैसे ही भाई का शरीर है।अपने में और भाई में कोई अन्तर नहीं है। मॉं ! आप शोक न करें। वह खून मेरे दॉंतो और ओठों को लॉंघकर आगे नहीं जा सका था। इस बात को सूर्य-पुत्र यमराज जानते हैं, कि केवल मेरे दोनों हाथ ही रक्त में सने हुए थे। 📜 युद्ध में वृषसेन के द्वारा नकुल के घोड़ो को मारा गया देख जो दु:शासन के सभी भाई हर्ष से उल्लसित हो उठे थे, उनके मनमें वैसा करके मैंने केवल त्रास उत्पन्न किया था। द्यतक्रीडा के समय जब द्रौपदी का केश खींचा गया, उस समय क्रोध में भरकर मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसकी याद हमारे हृदय में बराबर बनी रहती थी। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्
#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क् #कोट्स
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White महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत्नी गान्धारी और बहू कुन्ती के साथ नृपश्रेष्ठ पृथ्वी पति धृतराष्ट्र वनवास के लिये चले गये, विदुर जी सिद्धि को प्राप्त होकर धर्मराज युधिष्ठिर के शरीर में प्रविष्ट हो गये और समस्त पाण्डव आश्रम मण्डल में निवास करने लगे, उस समय परम तेजस्वी व्यास जी ने जो यह कहा था कि मैं आश्चर्यजनक घटना प्रकट करूँगा वह किस प्रकार हुई? यह मुझे बतायें। अपनी मर्यादा से कभी च्युत न होने वाले कुरूवंशी राजा युधिष्ठिर कितने दिनों तक सब लोगों के साथ वन में रहे थे? प्रभो। निष्पाप मुने। सैनिकों और अन्तःपुर की स्त्रियों के साथ वे महात्मा पाण्डव क्या आहार करके वहाँ निवास करते थे? वैशम्पायन जी ने कहा । कुरूराज धर्तराष्ट्र पाण्डवों को नाना प्रकार के अन्न-पान ग्रहण करने की आज्ञा दे दी थी, अतः वे वहाँ विश्राम पाकर सभी तरह के उत्तम भोजन करते थे। 📒 इसी बीच में जैसाकि मैनें तुम्हें बताया है, वहाँ व्यास जी का आगमन हुआ। राजन्। राजा धृतराष्ट्रके समीप व्यास जी के पीछे उन सब लोगों में जब उपयुक्त बातें होती रहीं, उसी समय वहाँ दूसरे-दूसरे मुनि भी आये। भारत। उन में नारद, पर्वत, महातपस्वी देवल, विश्वावसु, तुम्बरू तथा चित्रसेन भी थे। धृतराष्ट्र की आज्ञा से महातपस्वी कुरूराज युधिष्ठिर ने उन सब की भी यथोचित पूजा की। युधिष्ठिर से पूजा ग्रहण करके वे सब के सब मोरपंख के बने हुए पवित्र एवं श्रेष्ठ आसनों पर विराजमान हुए। कुरूश्रेष्ठ। उन सब के बैठ जाने पर पाण्डवों से घिरे हुए परम बुद्धिमान राजा धृतराष्ट्र बैठे। गान्धारी, कुन्ती, द्रौपदी, सुभद्रा तथा दूसरी स्त्रियाँ अन्य स्त्रियों के साथ आस -पास ही एक साथ बैठ गयीं। नरेश्वर। उस समय उन लोगों में धर्म से सम्बन्ध रखने वाली दिव्य कथाएँ होने लगीं। प्राचीन ऋषियों तथा देवताओं और असुरों से सम्बन्ध रखने वाली चर्चाएँ छिड़ गयीं। 📒 बातचीत के अन्त में सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं और वक्ताओं में श्रेष्ठ महातेजस्वी महर्षि व्यास जी ने प्रसन्न होकर प्रज्ञाचक्षु राजा धृतराष्ट्र से पुन: वही बात कही। राजेन्द्र। तुम्हारे हृदय में जो कहने की इच्छा हो रही है, उसे मैं जानता हूँ। तुम निरन्तर अपने मरे हुए पुत्रों के शोक से जलते रहते हो। महाराजा। गान्धारी, कुन्ती और द्रौपदी के हृदय में भी जो दुःख सदा बना रहता है, वह भी मुझे ज्ञात है। श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा अपने पुत्र अभिमन्यु के मारे जाने का जो दुःसह दुःख हृदय में धारण करती है, वह भी मुझे अज्ञात नहीं है। कौरवनन्दन। नरेश्वर। वास्तव में तुम सब लोगों का यह समागम सुनकर तुम्हारे मानसिक संदेहों का निवारण करने के लिये मैं यहाँ आया हूँ। ये देवता, गन्धर्व और महर्षि सब लोग आज मेरी चिरसंचित तपस्या का प्रभाव देखें।l ©N S Yadav GoldMine #love_shayari महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत्
#love_shayari महाभारत: आश्रमवासिक पर्व एकोनत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-20 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📒 जनमेजय ने पूछा - ब्राह्मण। जब अपनी धर्म पत् #विचार
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White मैने वक्त को कहा रुक जा उन लम्हों में जो कभी मेरे थे चल वापिस उन घड़ियों में जिन्हें फिर जीना चाहता हूं एक और जिंदगी... कुछ भूल सुधारनी है बिगड़ी बातें संवारनी है वक्त ने कहा.. एक चक्र है वक़्त कभी रुक नहीं पाता पर जो चाहो तुम तो, बस यादें दे सकता हूं वक्त बदल गया लोग बदल गए बस जो नहीं बदला तो वो है यादें....!! ©हिमांशु Kulshreshtha मैंने कहा...
मैंने कहा... #कविता
read moreAshutosh Mishra
White फैलाए बाहों को मैं आज भी तेरा इंतजार कर रहा हूं आकर गले से लग जा,,, तूने कहा था मैं फिर आऊंगी अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Free फैलाएं बाहें मैं आज भी तेरा इंतजार कर रहा हूं आकर गले से लग जा तूने कहा था मैं फिर आऊंगी। #तन्हा #बाहें #इंतजार चाँदनी Vaibhav's P
Divyanshu Rathore
😃😃ना दिल होती ना दिल तुम पर फिदा होती,, ना दिल होती ना दिल तुम पर फिदा होतीl ना तुम इतना हसीन होती ना दिल तुम पर फिदा होतेl🥰🥰 ©Divyanshu Rathore #यह म****** ने कहा था/ 🥰😃😃🥰
Bhanu Priya
White " हर सवाल का जबाव नहीं होता और प्रेम का हिसाब नहीं होता " ......किसी ने कहा था मुझसे , की एक दिवस तुम जान जाओगी खुदसे , कुछ नही छिपा होगा तुझसे। ©Bhanu Priya " हर सवाल का जबाव नहीं होता और प्रेम का हिसाब नहीं होता " ......किसी ने कहा था मुझसे , की एक दिवस तुम जान जाओगी खुदसे , कुछ नही छिपा होगा
" हर सवाल का जबाव नहीं होता और प्रेम का हिसाब नहीं होता " ......किसी ने कहा था मुझसे , की एक दिवस तुम जान जाओगी खुदसे , कुछ नही छिपा होगा #Love
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