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Meenakshi Sharma
शायरी प्यार का एहसास हो तुम, अंधेरी रातों का प्रकाश हो तुम, मेरे घर की लक्ष्मी, दुर्गा हो तुम, एक मां की जिंदगी को पूरा, करने वाला हसीन तोफा हो तुम। Meenakshi Sharma सन्तान
Dr_Mukesh Choudhary
सन्नाटा छा गया बटवारे के किस्से में जब माँ ने पूछा मैं हूँ किसके हिस्से में.. लानत है ऐसी सन्तानो पर....👿
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। भूरि॒ नाम॒ वन्द॑मानो दधाति पि॒ता व॑सो॒ यदि॒ तज्जो॒षया॑से। कु॒विद्दे॒वस्य॒ सह॑सा चका॒नः सु॒म्नम॒ग्निर्व॑नते वावृधा॒नः ॥ पद पाठ भूरि॑। नाम॑। वन्द॑मानः। द॒धा॒ति॒। पि॒ता। व॒सो॒ इति॑। यदि॑। तत्। जो॒षया॑से। कु॒वित्। दे॒वस्य॑। सह॑सा। च॒का॒नः। सु॒म्नम्। अ॒ग्निः। व॒न॒ते॒। व॒वृ॒धा॒नः ॥ हे सन्तानो ! जो आप लोगों के माता-पिता दूसरे विद्यारूप जन्म नामक द्विज ऐसा नाम विधान करते हैं, उनका सेवन निरन्तर तुम लोग करो ॥ o child ! Those of you, your parents, who do such a name for the second birth as a Dwij, do continue to use them. ( ऋग्वेद ५.३.१० ) #ऋग्वेद #वेद #सन्तान #द्विज #सेवा
Ashish 9917374450
Mere Shabdo Ki Duniya
kumaarkikalamse
आज की संतानें देखता हूँ क्या आज ज़माना आ गया है , माँ - बाप का मज़ाक बनाना आ गया है! जो पोछते है बच्चों के आँसू हमेशा हँसकर, उन बच्चों को माँ-बाप को रुलाना आ गया है! माँ की सलाह बनने लगी है घुटन जाने क्यों , हर बात पर ममता को आजमाना आ गया है! सिसकती है अकेले में, पर कुछ कह नहीं पाती, अरमानों को रोंद कर सपनें सजाना आ गया है ! बड़ी हो गयी हैं संतानें जिन्हें माँगा मुरादों से, बिन रिश्तेदारों के अकेले घर चलाना आ गया है। क्यों पढ़े ➡️ आज के दौर में संताने कितनी बदली है उसी का एक चित्रण #cinemagraph #paidstory #kumaarsthought #माँबाप #सन्तान
Prabhakar Prajapati
अपनी खुशियां त्याग दी जिसने, चाही बस सन्तान की... माता-पिता की ख़ुशी न जिसमें.. वो खुशियां किस काम की?? -प्रभाकर अपनी खुशियां त्याग दी जिसने, चाही बस सन्तान की... माता-पिता की ख़ुशी न जिसमें.. वो खुशियां किस काम की?? -प्रभाकर प्रजापति
आयुष पंचोली
माता-पिता अपना सबकुछ बलिदान कर के भी अपनी सन्तान का लालन पोषण करते हैं। उनका जीवन संवारने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। मगर कभी कुछ ऐसा हो जाता हैं की उनके कुछ निर्णय बहुत ज्यादा गलत हो जाते हैं। जिसे वे भी समझते हैं। मगर सन्तान का अपने दुखो का हर बार उनके आगे रो रोकर अपने दुखड़े सुनाना उन्हे जितनी तकलिफ पहुचाता उतना कुछ और नही। हर व्यक्ति के शरीर और दिमाग की एक उम्र होती हैं, सहने और बर्दास्त करने की। ठीक ऐसा ही माता-पिता का हैं। वे भी एक उम्र तक ही सह सकते हैं। और जब उनका शरीर और दिमाग ही उनका साथ ना दे उस उम्र मे भी जो सन्तान अपने दुखड़े उनके सामने रोती रहती हैं, वही उनकी आकस्मिक मृत्यू का कारण बनती हैं। हृदय घात और मानसिक प्रताड़ना के होने वाली सभी मृत्यू का लगभग एक कारण यही होता हैं। जिसे कोई स्वीकार करना नही चाहता। सन्तान चाहे लड़का हो या लडकी अगर अपने माता-पिता की एक उम्र के बाद भी उनका रोना और मांगना उनसे जारी हैं, तो यकीन मानिये वह सन्तान सिर्फ उनकी मृत्यू की राह देख रही हैं। बात कड़वी हैं मगर सत्य हैं। और ऐसी सन्तानो के होने से अच्छा हैं, सन्तान का ना होना।🙏🙏🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch माता-पिता अपना सबकुछ बलिदान कर के भी अपनी सन्तान का लालन पोषण करते हैं। उनका जीवन संवारने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। मगर कभी कुछ ऐसा हो जा