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yogesh atmaram ambawale
और भी अच्छा लिख सकता हूँ, जब भी ये प्रशस्तिपत्र देखता हूँ यही सोंचता हूँ| और भी अच्छा लिखना हैं| #withcollabratingyourquoteandmine #yqdidi #yqhindiquotes #प्रशस्तिपत्र #हिंदी_कोट्स_शायरी और भी अच्छा लिख सकता हूँ, ज
SURAJ आफताबी
छिछले पल्लू में छुपकर भीगी आँच जले बादल की हर बूँद बदन पर जैसे कोई काँच गले जरा उल्लेख करो खुदाया कौनसे औजार की है ये कारीगरी हर वक्र देह का, किसी शिल्पकार की नापी-तौली टाँच लगे! जरा सी क्या ठहर ली आँखों की पुतली कटि पर सारी गजल-कविताएँ मिथ्या, फ़कत ये प्रशस्ति साँच लगे है दावा, बिक जाये कायनात की सारी कोहिनूरी शोहरत एवज़ में जिसके गर शफ्फ़ाक हुस्न पर जाँच लगे ! वक्र - curve कटि- कमर प्रशस्ति- किसी की प्रशंसा में लिखा गया ग्रंथ शफ्फ़ाक- निर्मल #yqdidi #yqbaba #yqlove #khoobsurat #love #yqhindi #poet
Alok Vishwakarma "आर्ष"
सरल काव्य की रत्न, सहजता से भीने वे वर्ण चुनें । कभी मौन वे रहें कभी, स्याही छींटें और शब्द बुनें ।। लेखन में निधि का समाव, भाषा व भाव जिनके स्वच्छन्द हैं । शीतलता का निहित स्राव, भर स्नेह रचें वे ऋतु आनन्द हैं ।। सच.. ऋतु दीदी.. आप उन कुछ लोगों में से एक हैं जिनसे हमनें सहज लेखन की कला सीखी है.. सो आज आप अपने अनुज आर्ष की ओर से प्रणम्य भाव सहित यह प्
Anjani Upadhyay
ASHKAR Shahi
सबसे प्यारी प्रशस्ति दी हमारी, कभी चहकती कभी चिल्लाती। गुस्से में गाला घोट देगे ऐसा बोल कर हम सबको डराती। हिंदी में "नमामि गंगे" बन जाती, उर
Alok Vishwakarma "आर्ष"
मृदु घनिष्ठ शब्दों की मानो वे सम्मिश्र हैं, आत्मनाद से प्रोत प्रीति की वो प्रतिमा हैं । लेखन का निर्माण नया वे करें स्वजन हित, अह अनन्त वो शब्द वर्ण की निधि सीमा हैं ।। कैसे वचन का ध्यान धरूँ कैसे कुछ सोचूँ, सहज सरल वे शान्त पूर्णिमा हैं गरिमा हैं । कीर्ति के सन्धान हेतु मैं शब्द समेटूँ, निश्चल असुवन सी पावन दिवमति सीमा हैं ।। #yqdidi #yqhindi #yqfriends #yqpoetry #yqdiary आपकी लेखनी में सरलता का भाव पूर्णरूपेण है.. हिन्दी भाषा का ऐसा प्रयोग तो हम भी नहीं कर पाते ज
Divyanshu Pathak
परम् आदरणीय श्रीमती उषा शर्मा जी के लेखन में क़माल की धार है।पिछले एक साल से मैंने आपकी रचनाओं को पढ़ा एक से एक बेहतरीन रचना देने के साथ ही आपके व्यवहार का माधुर्य यौर्कोट पर बिखरता गया और आपकी रचनाओं की महक़ ने सबका मन मोह लिया। प्रशस्ति-पत्र तो हमेशा बड़ों के द्वारा दिया जाता है मैं आपके इस अमूल्य साहित्यिक योगदान का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।और आशा करता हूँ कि आपका आशीर्वाद युहीं सभी साहित्य प्रेमियों को मिलता रहे। Dedicating a #testimonial to Usha Sharma जी आज से ठीक एक साल पहले मैंने आपके लिए प्रथम प्रशस्ति-पत्र में लिखा था कि----- "सहज सत्य का भान कर
Alok Vishwakarma "आर्ष"
जब जब वो कह देती है, भाई !! तब अश्रु छलक जाते हैं । मन में जो होते हैं भाव, शब्दों के संग ढरक जाते हैं । भाति अक्षरों में मिलाय वो, ध्यात्म धवन की धौल धुलि है । प्रकृति को प्राची से सिंचती, सरस् सुकृता प्रियांजलि है ।। किन शब्दों में कह बताऊँ.. कितना आनन्द होता है आपकी हर वार्ता का हिस्सा बनकर.. आपके शब्द जब अध्यात्म की गूढ़ बातों को सहज भाषा में कह जाते है
Ravendra
Divyanshu Pathak
मुझे ये तो नहीं मालूम कि इस तारीफ़ के काबिल हूँ! लेकिन मुझे लगने लगा है कि मैं तेरे इश्क़ में शामिल हूँ। दुआ भेजते रहेंगे तेरे लिए तेरी खुशीओं में क़ामिल हूँ। जिसने तुमसे मिलाया मुझे उस ख़ुदा का क़ायल मैं हूँ। Neha Pathak 💕😍 मनमोहिनी आपने इतना खूबसूरत और उपमान देकर मेरे लिए जो प्रशस्ति-पत्र लिखा उसके लिए दिल-ओ-जाँ से आपके शुक्रगुजार हैं और ईश्वर से