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AD Kiran
मैं सामंती का शिकार होकर उसका हर जुल्म को बड़े ही करीब से देखा है! उसके हर शिकार को उसके जुल्म से निजात मिले इसलिए, "आदर्श जीवन निर्माण सिद्धांत" मैने लिखा है!! जिसका प्रयोग करके मैं अनेकों को प्रेम का पाठ पढ़ऊंगा! कलह भरी जिंदगी से सदा के लिए निजात दिलाऊंगा !! जिसे आने वाले पीढ़ी भी अपनाएंगे ! अशोकवाद के राह पर चलकर अपने समाज को आदर्श बनाएंगे!! हाँ ,यह भी सच है कि- मैं श्रृंगार रस पर भी लिखता हूँ ! क्योंकि,मैं अंदर से अपने आप को हर उम्र में युवा रखना चाहता हूँ !! ©Ashok Deewana मैं सामंती का शिकार होकर.... #philosophy
Kartik Pratap
जब रात ढले लिखना हो कोई गीत तब मत लिखना अपने दिलदार को लिख देना कोई नज़्म जिसमे इंसान, इंसान ही नज़र आए लिख देना अपनी सारी पर्तें खंगाल कर कुछ अटरम-सटरम बिखेर देना खुद को उस गीत में इस तरह कि बस जैसे लिखा जा रहा हो दुनिया का आखिरी गीत #NojotoQuote आखिरी गीत #गीत
Kandari.Ak
sunset nature अभोर जब होगा इक नया दौर आएगा बेशक ये हस्ती मिट चुकी होगी मेरे गीत - गजलों से अटल जी सा एक नाम मेरा भी गुजेंगा हर कवि सम्मेलन इक छोर पे हर मुश्यारे के एक मोड़ पे मेरी लिखी पंक्तियां पढ़ी जाएंगी अभोर जब ......... इक नया दौर ....... ✍️ ©Kandari.Ak #गीत#गीत✍🏻 #ग़ज़ल #shyari
Anuj thakur "बेख़बर"
अधूरी मुहब्बत का किस्सा हूं जो कभी सुनाया जाऊंगा! टूटता आईना हूं, अब क्या किसी को दिखाया जाऊंगा बदक़िस्मती ने बखूबी साथ निभाया ताउम्र मेरा! गीत ही तो हूं खुशी में न सही गम में तो गाया जाऊंगा!! बेख़बर गीत
विनय शुक्ल 'अक्षत'
तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। वक्त के तटबंध पर बनकर मैं शीतल जल छहरता। पर तुम्हे तो हार का अवसर दिखाई दे रहा था। एक भयानक त्रासदी का डर दिखाई दे रहा था। मुख से कुछ बोले नहीं तुम पर निगाहें कह रही थी। पीर उर की नैन के कोरों से रिस कर बह रही थी। मौन थे तुम, आँसूओं से थी दुपट्टे पर तरलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। प्राण ! तुमको वक्त का था भान न मालूम मुझको। बंदिशों को तोड़ना आसान न मालूम मुझको। पर शिकायत है कि तुम से कुछ छुपाया जा रहा था। सच न कह कर मुझसे मेरा दिल दुखाया जा रहा था। थी नहीं अब प्राण ! तुझमें पहले जैसी वो सरलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। पर चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ यह मानता हूँ। अब न मुझको जानते तुम मैं न तुमको जानता हूँ। वक्त के हाथों गढ़ी तस्वीर लेकर देख लेंगे। एक दूजे के हृदय की पीर लेकर देख लेंगे। सोचता हूँ कब तलक मुझको सताएगी विफलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। ©©©©विनय अक्षत' गीत
Mann
जाने वो कैसे लोग है जो भुलाये नहीं जाते हम दिन जो गिन रहे है उसकी रातें नहीं आते एक तसव्वुर है और बस एक तस्वीर है उसकी वो इस कदर दिल में बसे निकाले नहीं जाते हम दिन जो गिन रहे है उसकी रातें नहीं आते जाने वो कैसे लोग है जो भुलाये नही जाते नज़र मेरी तरफ उनका, उनकी तरफ जो मेरा जो झुकते थे बेवजह वो अब उठाये नहीं जाते हम दिन जो गिन रहे है उसकी रातें नहीं आते जाने वो कैसे लोग है जो भुलाये नही जाते वो हरेक बात पे हँसना हरेक बात पे लड़ना अब खुद को खुद की बातों से हराये नहीं जाते हम दिन जो गिन रहे है उसकी रातें नहीं आते जाने वो कैसे लोग है जो भुलाये नही जाते गीत