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ashish gupta
लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ऊची नीची खाई पर्वत फिर आती है बंगाल की खाड़ी डर के भाग न जाना खतरो के तुम हो अच्छे खिलाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ईमान के चुभते काटो की जला दो तुम झाड़ी साधु संत फकीर संग आशीष ये लिख देता माड़ी ©ashish gupta #Time लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की
Dr Upama Singh
“गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक की मेरी यात्रा” अनुशीर्षक में गंगा किनारा बचपन से ही देखा रहा मेरा गुरुकुल सुबह–ए–बनारस कितने दिन और शाम हमने गुजारे बैठ सब दोस्त गंगा किनारे कभी दशाश्वमेध कभी अस्सी कभी
Satish Chandra
#YourQuoteTimesNews #HoliNews🎯 और अब खबरें विस्तार से :- 1) आज दोपहर कुछ गुप्त सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इंस्पेक्टर जोरा
Prashant Mishra
बंगाल को गुजराती का भौकाल न भाया जिस तरह बबीता को जेठालाल न भाया गुजरातियों ने कोशिशें करी हैं हमेशा पर आज तलक किसीने बंगाल न पाया --प्रशान्त मिश्रा बंगाल में BJP की हार
Ek villain
विधानसभा में हिंसा शीर्षक से प्रकाशित संप्रदाय में बंगाल के लगातार हिंसक व दूषित होते हुए राजनीति पर सटीक चर्चा की गई है तृणमूल और भाजपा विधायकों के बीच हिंसा की झपट अत्यंत दुखद और नींद आई है भाजपा विधायकों ने बीरभूम के दिल दिलाने वाली घटना पर सदन में चर्चा की मांग की थी इसमें कुछ गलत नहीं था लेकिन उन्हें इजाजत नहीं दी गई जब उन्होंने जीत के तोड़ मूल सदस्य हिंसा पर उतर आए तो अपने शासन में शर्मनाक है हालांकि बंगाल में यह कोई घटना नहीं है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तृणमूल नेता और राज्यपाल और अक्सर बुद्ध के आरोप लगाते रहिए बिल्कुल सही नहीं है ©Ek villain #दूषित होती बंगाल की राजनीति #selfhate
Namrata Singh
ज़िंदगी भी क्या कमाल है जवाब से ज्यादा सवाल है, सपने देखे हैं बहुत मग़र इस दिल का बुरा हाल है, लड़ रहे हैं लोग ऊचाईयों को पाने के लिए यहाँ सबके हाथ खून से लाल हैं, कुछ ख़्वाब खुद टूट रहे हैं कुछ तोड़ जाते ये सवाल हैं, कैसा हो गया है देश मेरा क्यूँ ऐसा हुआ इसका हाल है, चाह कर भी कुछ ठीक नहीं है होता ये कैसा माया जाल है, इंसानियत का पता ही नहीं हवानियत पर उतरा पूरा बंगाल है... #बंगाल
Kavi Manish Pratap Singh Suman
राजनीति की सजी बिसात, रक्तरंजित बंगाल हुआ हार जीत की चालों पर, मानव मानव का काल हुआ ©Manish Pratap Singh राजनीति की सजी बिसात, रक्तरंजित बंगाल हुआ
Ek villain
बंगाल के बीरभूम जिले में भयानक हिंसा के कारण विपक्षी के निशाने पर आई तोड़ मूल कांग्रेस के नेता इस घटना में कितने चिंतित है इसका पता इस दल के संसद के गृह मंत्री अमित शाह से की गई उसे मुलाकात से चलता है जिन्होंने उन्हें राज्यपाल जगदीप धनखड़ ए को हटाने की मांग की क्या वह विचित्र नहीं है कि जब उन्होंने बंगाल की बदहाली पर ध्यान देना चाहा था तब उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साध कर बेहतर समझा राज्यपाल को हटाने की मांग पहली बार नहीं की गई राज्यपाल बंगाल की बदहाल कानून व्यवस्था और खासकर में राजनीतिक हिंसा की नात हमें वाली घटनाओं पर जब भी कुछ कहते हैं तो दूर-दूर कांग्रेस के नेता उन पर हमला पर हो जाते हैं कई बार तो खेत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उन्हें खरी-खोटी सुना चुकी है उन्हें सार्वजनिक तौर पर अपमानित भी कर चुकी है इसके साथ ही वे जब जब ढांचे की बात करती रहती है एक नेता की हत्या के बाद के विरोधी माने जाने वाले लोगों को जिस तरह जिंदा जलाकर मार दिया गया है लेकिन ममता बनर्जी की की तरह की घटना दूसरे राज्यों में भी होती रहती इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि बीरभूम की घटना के पीछे बंगाल सरकार के बदनाम करने की साजिश नजर आती है यह रवैया यदि कुछ कहता है तो यही है कि कानून व्यवस्था को ठीक करना ममता सरकार की प्राथमिकता नहीं वास्तव में यही कारण है कि बंगाल की गिनती उत्तर प्रदेश में लगी है जहां कानून एवं व्यवस्था की हालत राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है इसके लिए एक बड़ी वजह हिंसा और अवैध गतिविधियों में लिप्त तत्वों को दिया जाने वाला राज्य संरक्षण है इसी कारण बंगाल पुलिस को यह तो कानून की व्यवस्था को चुनौती देने वाले सक्षम आसाई अभी दिखती है ©Ek villain #ममता की प्राथमिकता बंगाल के लिए #Hope
Ek villain
राजनीतिक हिंसा की घटनाओं से मुंह मोड़ने की किसे गंभीर परिणाम होते हैं इसका परिणाम है बंगाल के हरिपुर जिले में तृणमूल कांग्रेस के एक नेता की हत्या के बाद इसे दल के विरोधी समझ जाने वाले गुट के करीब 10 लोगों की हत्या की घटना इसलिए को पैदा करने वाली है क्योंकि लोगों को जिंदा जला दिया गया बंगाल में इस तरह की घटना नहीं है कुछ समय ही पहले 1 दिन में 2 पार्षद की हत्या की गई यह दोनों हत्या निकाय चुनाव के बाद हुई थी हत्या में हिंसा ने अन्वेषण कर्ताओं को याद दिलाई थी जो विधानसभा चुनाव में बाद में हुई थी जिन्होंने तोड़मल कांग्रे समर्थन भाजपा वामदल और कांग्रेसी समर्थन में टूटे पड़े थे प्रदेश के साथ करने वाले थे बल्कि और लूटपाट की थी यह इतनी भीषण थी कि तमाम लोगों को जान बचाने के लिए पड़ोसी राज्य असम करना पड़ता था मुख्यमंत्री ने उनकी आलोचना हुई थी यह भी है कि हिंसा के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही थी इसी कारण कोलकाता न्यायालय में इन घटनाओं की सीबीआई जांच के आदेश देने पड़े उच्च न्यायालय घटनाओं की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी कराई थी जिसे अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बंगाल में कानून का राज नहीं सत्ता में बैठे लोगों का कानून चल रहा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ना तो बंगाल शासन को लज्जित करने वाली मानव अधिकारी आयोग की रपट रास आई और ना ही उन्होंने कोई सबक सीखा इसी का परिणाम है कि बंगाल में राजनीतिक हिंसा का सिलसिला थमा नहीं रहा था इसका कारण यह है कि परिवर्तन के नारे के साथ सत्ता में आई तो उन कांग्रेसी तौर-तरीकों को अपना लिया और जो वामदलों ने अपना रुख रखे बंगाल की स्थिति है ना केवल कानून व्यवस्था के चिंताजनक है बल्कि लोकतंत्र के लिए भी उचित होगा चुनाव आयोग इस राज्य में होने जा रहे उपचुनाव के केंद्रीय बल तैनात करने की मांग पर गंभीरता से विचार करें ©Ek villain #बेलगाम बंगाल को समझाने की जरूरत #Connection