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Anita Gupta ki story
बंद खिडकी सुबह के आठ बज रहे हैं,सुगंधा का मन बिस्तर छोडने का नहीं हो रहा है.खिडकी के रास्ते बसंत की गुनगुनी धूप हौले से उसके बिस्तर पर पसर गई है .कितना अच्छा लग रहा है आज का दिन .इतवार जो है .न सुबह की खिट-खिट ,न कोई कालेज जाने की जल्दी .बाकी दिन तो बस भागमभाग .कहीं दूधवाला नहीं आया ,कहीं मेहरी ने देर कर दी .घडी के काँटों के साथ बस उसकी जिंदगी भागती रहती है .आज के दिन मेहरी भी दस बजे बाद आती है ,जानती है जल्दी आने पर मैडम की डाँट खाने का अंदेशा ही रहेगा । .सडक पर चहल-पहल बढने लगी है ,नौ बजने को है .कुछ दूर पर गिरजाघर है ।चर्च जाने वालों की आमद शुरु हो गई है। वह बिस्तर पर बैठे-बैठे हर चेहरे को देख रही है .।नाम से परिचित हो न हो पर शक्ल से सबको पहचानती है .।अपनी सुविधा के लिये उसने सबका नामकरण कर लिया है ।.ये चली आ रही हैं मिस रोजी ,उनके पीछे हैं मिस्टर छडीवाला.लो ये निकली मिसेज टुनटुन ,घेरदार फ्राक पहने ,उनके पीछे –पीछे शायद उनकी गवर्नेस है। यह आ गई प्यारी सी डेजी ,हाथों में सुंदर सी गुडिया थामे ,पापा के साथ चलती ,अनवरत बोलती. ।एक-एक कर सारे परिचित चेहरे निकल गये हैं ,बस एक वही चेहरा नजर नहीं आया,जिसके लिये उसे आजतक कोई सटीक नाम नहीं सूझा है। आते-जाते वह एक बार सिर उठाकर खिडकी की ओर अवश्य देखता है ।.सिर्फ उस एक नजर के लिये वह पूरे सप्ताह इंतजार करती है .।वह कौन है ,कहाँ रहता है ?जानने का कोई उपाय भी नहीं है। अब उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा है। वह पाँच मिनट के लिये चाय बनाने के लिये किचिन में गई थी ।क्या उसी बीच वह निकल गया होगा ? अब तो दस बजने को हैं , चाय का कप लिये वह खिडकी पर आकर खडी हो गई है ।लौटने का भी तो यही रास्ता है, कहीं बीमार न हो गया हो ?अगले ही पल सिर झटकती है .अपने-आप से कहती है-नहीं आ रहा तो मेरी बला से ,मुझे क्या ?पर यह निरपेक्ष भाव ज्यादा देर नहीं टिक पाता।.निगाह बार-बार घडी की ओर उठ ही जाती है ।एक अजीब सी बेचैनी ने घेर लिया है ।दृष्ठि सडक पर स्थिर हो गई है ।वह जिसे खोज रही है ,उसका नाम-पता भी नहीं मालूम ,पर लाखों की भीड में उसे पहचान सकती है।.मन में खीज के भाव उठने लगे हैं .आज का दिन बेकार ही गया .सुबह की प्रफुल्लता कपूर की तरह उडने लगी है.अब क्या करे?थोडी देर में महरी आने वाली होगी बक-बक करके दिमाग खराब कर देगी.क्या सिरदर्द का बहाना बना कर लेट जाये ?अथवा निमा के यहाँ चली जाये .,पर निमा भी हैरान हो जायेगी कि आज सुबह-सुबह ? वह किसी को बता भी तो नहीं सकती है कि आज सुबह से उसका मूड क्यों खराब है?पूरे हफ्ते कितनी हसरत से इस दिन का इंतजार करती है,बस आराम करने के ©Anita Gupta ki story #betiyan ko bahu kyon nahin Mana ja sakta hai
#Betiyan ko bahu kyon nahin Mana ja sakta hai #Motivational
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