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Shubhro K
Ashok Topno
Village Life जिस दिन तुम्हें अपने मूल्य का पता लग गया उस दिन के बाद तुम्हें किसी के द्वारा की गई प्रसंशा निंदा से कोई फर्क नहीं पड़ेगा ©Ashok Topno फ़र्क़#villagelife #viral #nojoto #hindi
SHUBHANKAR MISHRA
Vivek
न कोई फ़र्क़ न कोई दूरी मैं तुम्हारे दरमियाँ तुम भी मेरे करीब...!!! ©Vivek # न फ़र्क़ # न दूरी
Neena Jha
एक भाई की ओर से बहन को रक्षाबंधन की अनेकानेक शुभकामनाएँ ...🙏🏽🎊🎊🎊 तुम दूर रहो या पास, क्या फ़र्क़ पड़ता है, तू मेरी बहन है और हमेशा रहेगी ये ध्यान रखना, झटपट दौड़ा आऊँगा तेरी हर बला टालने, कोई मुसीबत आन पड़े तो मुझे याद करना, तेरी एक राखी बेशक दुकानों में बिकती है, मग़र जज़्बातों का तोहफ़ा तूने भली भाँति सम्भाला मेरा, छोटी सी भेंट से तू बच्चों-सा चहकती है, बस! तेरी इसी बात से सदा धनवान मैं बना रहा, कभी-कभी मेरी रक्षा करती माँ-बाप की डाँट से, फिर भी हर बार तुझसे लड़ने का मज़ा लेता रहा, सौभाग्यशाली हूँ कि एक बहन से प्रभु ने आँगन सँवारा, सूनी कलाई देख तुझे याद सदा करता रहा, मुबारक हो बहना तुझे ये पावन रक्षाबंधन, जिस पर तुझे खुश करने का बहाना ढूँढता रहा। नीना गुप्ता संजोगिनी ©Neena Jha #rakshabandhan #neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ वीणावादिनी 🙏 विषय... एक भाई की ओर से बहन को रक्षाबंधन की
SK Singhania
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ मैं दिल को उस मुक़ाम पे लाता चला गया मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया #Skg ©SK Singhania #rain ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ मैं दिल को उस मुक़ाम पे लाता चला गया मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया #SKG
Avinasha
तुम्हारी आँखें बहुत कुछ कहती थी, चमक ऐसी मानो कोई नूर बिखरा हो। इन आँखों में किरकरी रूंआसा दे रही है। त्रिवेणी 3 पंक्तियों पर आधारित एक विशिष्ट काव्य विधा हैI त्रिवेणी का आविष्कार गुलज़ार ने कियाI त्रिवेणी की पहली दोनों पंक्तियाँ अपना पूर्ण अर
Vedantika
हज़ीमत हज़ारों मिली हैं सफ़ऱ-ए-ज़ीस्त में हमें ज़िद्दी है हम भी कि उठ खड़े हुए गिरने के बाद भी ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "हज़ीमत" "haziimat" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है पराजय, हार, शिकस्त एवं अंग्रेजी
Ada
आज़ादी हुई हमारी 75 बरस की मना रहें है बड़े उत्साह से हम इसे सभी प्रश्न है मेरा देशवासियों से यही ,कि क्या सच में आज़ादी देश की 75 बरस की हुई .. जो नक़्शे में दिखता है भारत हमारा क्या सच में ऐसा बना पाए हम उसे न धर्म से न कर्म से न जाति से न ग़रीबी और अमीरी से फ़र्क़ आज भी है वही ,जो था पहले कभी भ्रष्टाचार की जड़ें यहाँ गहरी हैं बड़ी न सूखती है न ही भस्म होंगी ये कभी महल खड़े हैं जवानों की कब्र पर यहाँ राजनीति से गन्दा यहाँ कोई क्षेत्र नहीं काग़ज़ के टुकड़ों के लिए होते हैं सौदे जहाँ बिक रहा है ईमान यहाँ पानी की तरह माँ भारती को छलनी होना पड़ता है पल पल में यहाँ चीर कर धरती का सीना फसलें उगती थी जहाँ आज लालच की फसलें उगती हैं वहाँ फ़ायदे के लिए अपनों का भी सौदा होता देखा है हमने आज़ादी के दीवानों ने खून के कतरे कतरे से सींचा था जिस धरती को अब जवानों की शहादत पर राजनीति की रोटियाँ सिकती हैं यहाँ सुरक्षित नहीं बहन बेटियाँ अपने कुटुम्ब और समाज में अब भारत माँ की लाज कोई क्यूँ बचाएगा यहाँ दर्द बड़ा सीने में छुपा के रखा है मैंने एक ज्वालामुखी दिल में दबा है कब से बलि चढ़ते वीरों के लिए एक टीस सी उठती है दिल में मेरे क्या आपके सीने में भी ऐसा दर्द होता है कभी क्यूँ अपने से बाहर निकल कर आते नहीं कभी हम हम से मैं हो गए ,क्या फिर से मैं से निकलकर बन सकते नहीं हम देश की सोचें तो बात बड़ी है नहीं तो कुछ भी नही जज़्बे और खून में कमी है कहीं जो दिल से देश की मिट्टी को माँ कहते नही करो प्रण इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी दिखाने के लिए तिरंगा फहराओ मत दिल से भावनाओं से जुड़ कर एक दूसरे से सब माँ भारती की करेंगे सदा रक्षा हम आँच न आने देंगे इस मिट्टी पर कभी बन के रहेंगे सहारा सदा एक दूसरे का हम जय हिन्द ! Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 आज़ादी हुई हमारी 75 बरस की मना रहें है बड़े उत्साह से ह
Rahul Sharma
जब भूल गए हो तुम हमको क्यों सोचे गुजरे जमाने को मत आया करो ख्वाबों में तुम अब भी हमें सताने को त्रिवेणी 3 पंक्तियों पर आधारित एक विशिष्ट काव्य विधा हैI त्रिवेणी का आविष्कार गुलज़ार ने कियाI त्रिवेणी की पहली दोनों पंक्तियाँ अपना पूर्ण अर