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SM HADI
कभी सोचो कि हम कितने बुरे हैं हमको जन्नत से निकाला गया है ~अब्दुल हादी कभी सोचो कि हम कितने बुरे हैं हमको जन्नत से निकाला गया है ~अब्दुल हादी
कभी सोचो कि हम कितने बुरे हैं हमको जन्नत से निकाला गया है ~अब्दुल हादी
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अगर मैं तेरे बारे मे बता दूँ उसको तो मेरी माँ तुझको बद्-दुआ देगी ~अब्दुल हादी अगर मैं तेरे बारे मे बता दूँ उसको तो मेरी माँ तुझको बद्-दुआ देगी ~अब्दुल हादी
अगर मैं तेरे बारे मे बता दूँ उसको तो मेरी माँ तुझको बद्-दुआ देगी ~अब्दुल हादी
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~अब्दुल हादी जवाबात की तलाश मे खो गई ये हयात कितना दुश्वार है तालिब-ए-हन्दिस्ता होना ~अब्दुल हादी
जवाबात की तलाश मे खो गई ये हयात कितना दुश्वार है तालिब-ए-हन्दिस्ता होना ~अब्दुल हादी
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बिछड़ते वक़्त मेरे हाथ मे पत्थर नहीं था, वगरना हिज्र अंजाम कुछ दूसरा होता..! ~अब्दुल हादी बिछड़ते वक़्त हमारे हाथ मे पत्थर नहीं था, वगरना इस हिज्र अंजाम कुछ दूसरा होता..! ~अब्दुल हादी
बिछड़ते वक़्त हमारे हाथ मे पत्थर नहीं था, वगरना इस हिज्र अंजाम कुछ दूसरा होता..! ~अब्दुल हादी #Shayari
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आँचल ऐसा कि मरियम जैसा कहें जिसे ईसा के बाद भी पाकीज़ा कहें जिसे ~अब्दुल हादी आँचल ऐसा कि मरियम जैसा कहें जिसे ईसा के बाद भी पाकीज़ा कहें जिसे ~अब्दुल हादी
आँचल ऐसा कि मरियम जैसा कहें जिसे ईसा के बाद भी पाकीज़ा कहें जिसे ~अब्दुल हादी #Shayari
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तअल्लुक़ में कुछ भी नहीं दोस्ती की तरह बेहतर था कि रहते हम अजनबी की तरह ~हादी तअल्लुक़ में कुछ भी नहीं दोस्ती की तरह बेहतर था कि रहते हम अजनबी की तरह ~हादी
तअल्लुक़ में कुछ भी नहीं दोस्ती की तरह बेहतर था कि रहते हम अजनबी की तरह ~हादी
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खुशबु बनना है तो ऐसा मर्तबा भी रखना फ़ूलों से जुदा होने का हौसला भी रखना ~अब्दुल हादी खुशबु बनना है तो ऐसा मर्तबा भी रखना फ़ूलों से जुदा होने का हौसला भी रखना ~अब्दुल हादी
खुशबु बनना है तो ऐसा मर्तबा भी रखना फ़ूलों से जुदा होने का हौसला भी रखना ~अब्दुल हादी
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~अब्दुल हादी जवाबात की तलाश मे खो गई है जिंदगी कितना दुश्वार है तालिब-ए-हन्दिस्ता होना ~अब्दुल हादी
जवाबात की तलाश मे खो गई है जिंदगी कितना दुश्वार है तालिब-ए-हन्दिस्ता होना ~अब्दुल हादी
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दिल के सारे ज़ज्बात उतर के आते हैं क़लम पकड़ता हूँ तो हाथ थरथराते हैं ~अब्दुल हादी दिल के सारे ज़ज्बात उतर के आते हैं क़लम पकड़ता हूँ तो हाथ थरथराते हैं ~अब्दुल हादी #imhadi149
दिल के सारे ज़ज्बात उतर के आते हैं क़लम पकड़ता हूँ तो हाथ थरथराते हैं ~अब्दुल हादी #imhadi149
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मोहब्बत की नफ़रत भी सह रहे हैं हम उसके हक़ में ग़ज़ल भी कह रहे हैं हम ~अब्दुल हादी मोहब्बत की नफ़रत भी सह रहे हैं हम उसके हक़ में ग़ज़ल भी कह रहे हैं हम ~अब्दुल हादी
मोहब्बत की नफ़रत भी सह रहे हैं हम उसके हक़ में ग़ज़ल भी कह रहे हैं हम ~अब्दुल हादी #Shayari
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