Find the Latest Status about उठी उठी गोपाला सोंग from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, उठी उठी गोपाला सोंग.
K R SHAYER
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को । मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१ चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी । झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२ हिदायत तो यही सबको मिली है । कि भूलोगे न फिर अपने वतन को ।।३ न जाने पाये वो बचकर इधर से । डगर में आज बैठा दो नयन को ।।४ नहीं आती हमें है नींद तुम बिन । करूँ क्या मैं भला जाके शयन को ।।५ उठी आवाज है दिल से अभी ये । निभाना है हमें सारे वचन को ।।६ वफ़ा का नाम मत लेना प्रखर तुम । तरसते रह गये वह सब कफ़न को ।।७ १२/०४/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को । मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१ चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी । झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२ हिदा
AYUSH SINGH
White सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग रूठे रूठ जाए। उलटी गति सीधी हो न भले, प्रति जन की दाल गले न गले, टाले न बान यह कभी टले, यह जान जाए तो ख़ूब जाए। ©AYUSH Kumar सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग र
jayram Kumar
Vinay Sharma
Anjali Singhal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- हर किसी को यार मिलती ज़िन्दगी है । फिर खुशी इंसान को क्यों लाज़मी है ।।१ बस्तियाँ वो बेकसूरों से भरी थी और उसपे उँगलियाँ सबकी उठी है ।।२ तू जिसे अब तक दुआएं दे रहा था क्या उसी को आज कहता ज़िन्दगी है ।३ होश आता तो बता देते तुम्हें भी । किस तरह से तुमको हासिल ये खुशी है ।।४ हक गरीबों का हलक से मैं उतारूँ । मौत की ही तो सही फिर बन्दगी है ।।५ १५/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हर किसी को यार मिलती ज़िन्दगी है । फिर खुशी इंसान को क्यों लाज़मी है ।।१ बस्तियाँ वो बेकसूरों से भरी थी और उसपे उँगलियाँ सबकी उठी है ।।२
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विषय :- माँ सीता विधा :- सार छन्द राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता । कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।। राम-राम सुन बोल उठी फिर ..... लगता तुम भी मायावी हो , छल करते हो हमसे । होते भक्त अगर तुम प्रभु के , छुपे न होते हमसे ।। नार पराई को हर लेना , लंकापति को भाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर..... सुनो मातु मैं भक्त राम हूँ , तुम्हें खोजने आया । साथ शक्ति मैं इस लंका की , आज परखने आया ।। देर नही अब और लगेगी , मैं विश्वास दिलाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर .... कह दो जाकर मेरे प्रभु से , मन मेरा घबराता । पापी रावण की लंका में , और न ठहरा जाता ।। आकर संग चले ले हमको , वो हैं सबके दाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर .... कभी-कभी तो सोच-सोच कर , होती मन में उलझन । बिन उनके बीतेगा कैसे, मेरा अब यह जीवन ।। क्यों इतनी अब देर लगाये , तोड़ लिए क्या नाता । राम-राम सुन बोल उठी फिर .... ०९/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :- माँ सीता विधा :- सार छन्द राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता । कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।।