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Abhishek Trehan
जो कहते है उन्हें किसी का खौफ़ नहीं, आखों में उनकी भी डर का मंज़र छिपा रहता है, मुमकिन है किनारों को पता भी न चले, ठहरे पानी में भी एक बवंडर छिपा रहता है। कोई माने न माने पर हकीक़त है यही, रिश्तों का मकसद तो मतलब के अंदर छिपा रहता है, लोग ढूढ़ते हैं खु़दा को पत्थरों में कहीं, असली ख़ुदा तो दिल के अंदर छिपा रहता है... #कविता #शायरी #जीवन
Parasram Arora
जीवन कठोर धरातल की उपज हैँ.... ज़ब भी जन्मा बहा और युगो तक चलता रहा लेकिन कविता एक कमज़ोर मन की. तरल अभिव्यंजना हैँ कि ज़ब भी जन्म लेती . सांस पूरी ले भी नहीं पाती कि मर जाती हैँ जीवन गंध हैँ चिठ्ठा हैँ जो इतिहास क़ो रचता हैँ लेकिन कविता कोमल भावनाओं की उहापोह का रसायन हैँ जीवन गति हैँ कभी तीव्र कभी धीमी पर हैँ वो इस पार की कविता उड़ान भरती और उस पार तक ले जातीहैँ जीवन संगम हैँ स्त्रेण और पुरुष चित्त का पऱ कविता हैँ स्त्रेण चित की भावनात्मक मनोदशा कविता अकेलेपन की लाठी बनने की क्षमता रखती हैँ जबकि जीवन परिवारों और भीड़ का चहेता बना रहता हैँ जीवन हैँ खुली आँखों से देखा गया सपना जबकि कविता. कल्पनाओ कि अवशेषों का मात्र एक झरना हैँ. ©Parasram Arora जीवन और कविता
वो SabnamKhatoon
अपने जीवन को संवारने के लिए हम लोग ना जाने कितने परिश्रम करते हैं। जीवन में खुशियां हो या ना हो यह तो दो पहलू पर निर्भर करता है। एक तो कर्म और दूसरा समय। मेरे हिसाब से यह दो पहलू ही अहम है जीवन के लिए। ©वो SabnamKhatoon जीवन पर कविता
@Anuj K Solanki
अन्न के तो भूख से सम्बन्ध हैं सच कहूं जीवन के सुख-दुख अंग हैं भूख लगने पे निकलता है मनुज भूख देखे न कभी अग्रज-अनुज रास्ते खुलते कभी जो बन्द हैं सच कहूं जीवन के सुख-दुख अंग हैं बिल्लियाँ जब आँख अपनी मूंदती हैं तब निबाले पे वो अपने कूदती हैं बंद आँखों के भी अपने ढंग हैं सच कहूं जीवन के सुख-दुख अंग हैं है अगर जज़्बा तो मुश्किल पार होगी देर से हो पर विजय स्वीकार होगी पंच पाण्डव ने ही जीतीं जंग हैं सच कहूं जीवन के सुख-दुख अंग हैं कामगारों को है चाह काम की चापलूसों को फिकर बस नाम की जी हुज़ूरी की गली कुछ तंग हैं सच कहूं जीवन के सुख-दुख अंग हैं अनुज कुमार सोलंकी #मौलिक रचना लॉकडाउन 2.0 इफेक्ट 😀🙏 जीवन और भूख #कविता #जीवन #भूख