Find the Latest Status about गांव शहर में अंतर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गांव शहर में अंतर.
pradeep sharma
कक्षा में शिक्षक ने पूछा.? गाॅंव और शहर में क्या अंतर है.? एक बालक ने बहुत सुंदर उत्तर दिया इतना ही अंतर है कि गांव में कुत्ते आवारा घूमते हैं और शहर गौमाता पाली जाती है... शहर में कुत्ता पाला जाता है और गौमाता आवारा घूमती है.. मेरे गांव का अनपढ़ आदमी गाय चराने जाता है और शहर का पढ़ा लिखा आदमी कुत्ता टहलाने जाता है। "जीवन का कड़वा सच" "अनाथ आश्रम में बच्चे मिलते हैं गरीबों के", और.. "वृद्धा आश्रम में बुजुर्ग मिलते हैं अमीरों के" ©pradeep sharma गांव शहर में अंतर #Cityandvillage
गांव शहर में अंतर #Cityandvillage #विचार
read moreनमस्ते भारत
#mohabbatein गांव शहर में अंतर देखिये गांव ही भारत की आत्मा है हमारे यूट्यूब चैनल पर पहुँचे https://youtu.be/za3m_8_AMCI
read moreSiddh Hansraj Manda
फर्क साफ है ©Siddh Hansraj Manda #गांव और #शहर में अंतर
Shradha Rajput
गाव और शहर में क्या फर्क है गांव में कुत्ते आवारा घूमते हैं गौ माता पाली जाती है शहर में कुत्ते पाले जाते हैं गौमाता आवारा घूमती है गांव की अनपढ़ लोग गो माता को चराने जाते हैं और शहर के पढ़े-लिखे लोग कुत्ते को टहलाने जाते हैं गांव के अनाथालय में बच्चे मिलते हैं गरीबों के और शहर के विधवा आश्रम में बुजुर्ग मिलते हैं अमीरों के। ©Sharda Rajput गांव और शहर में फर्क
गांव और शहर में फर्क #विचार
read moreSikandar Chauhan
तेरी बुराई को अखबार कहता है, और तू मेरे गांव को गंवार कहता है और तेरी औकात पता है, तुझे ये शहर तू चूल्लू भर पानी को Watarpark कहता है और थक गया है हर शक्श काम करते-करते और तू उसे अमीरी का बाजार कहता है, कभी गांव आकर भी देख हर शक्श फूरसत में है, तेरी फूरसत तो सिर्फ इतवार कहता है, और अपने पराये बैठ जाते हैं बैलगाड़ी में । जिसमें पूरा परिवार न बैठ सके तू उसे कार कहता है। गांव और शहर में अन्तर
गांव और शहर में अन्तर
read moreSatish Kaushal
शहरों की चका चौंद में खुद को जीना भूल गया हूं, पर्व , त्यौहार यहां तक की दिन महीना भूल गया हूं। रिश्ते नातों का मोल समझ पाया कहां, हर खुशी भूल गया, जबसे आया यहां। माना की दौलत कमाता बहुत हूं, पर सकूं दिल को नही, यही सोचकर पछताता बहुत हूं। शहरों की चका चौंद ने हमे इस कदर जकड़ लिया है, के न चाहते हुए भी शहरों में रहते है, शहर ने जो इस कदर पकड़ लिया है। क्या करें हा ला त से म ज बू र है, शहर पराया होकर भी अपना बना है, और गांव अपना होके भी हमसे दूर है। *.* सतीश कौशल १२.०१.२०२३ ©Satish Kaushal गांव, गांव है और शहर शहर है, गांव में प्यार ही प्यार होता है। और शहर में सिर्फ व्यापार होता है ।
गांव, गांव है और शहर शहर है, गांव में प्यार ही प्यार होता है। और शहर में सिर्फ व्यापार होता है । #कविता
read moreVikram Prashant "Tutipanktiyan "
मेहनत मजदूरी से कभी नहीं बदलेंगे तुम्हारे हाल वो अपने बच्चे को देते रहेंगे तुम्हारे खून से लथपथ जेबरात तुम्हारे हृदय पर होंगे सिर्फ घाव तुम्हारे बच्चे के हिस्से,फिर से रह जाएगा गाँव से शहर शहर से गाँव । क्यों नही जलाते हक की एक मशाल क्यों नही आजमाते मजदूर एकता को इस बार ललकार कर तो देखो दिल्ली को एक बार मत करो अब गाँव से शहर शहर से गाँव । #HamBolenge गांव से शहर, शहर से गांव
#HamBolenge गांव से शहर, शहर से गांव #कविता
read moreशिवानन्द
शहर जिंद का कतरा कतरा निचोड़ कर इच्छाएं ले गया। याद शहर में क़ैद कर खुद को गांव, दिल की वफाएं ले गया। ~~शिवानन्द #शहर #गांव
_avialfaaz
शहर शहर दर्पण दर्पण करती नारी देख अपना सुन्दंर चेहरा सजती सवरती श्रृंगार करती नारी गांव गांव इट्ठलाती बलखाती सर पर गगरीया पकड़े नारी चलती चलती जाए गांव के गलियारो मे पनघट पानी,भरने नारी -अविनाश दुबे । शहर/गांव
शहर/गांव #Poetry
read more