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Stories related to ख़ुदा हाफ़िज़

Khushi Kandu

इश्क़ को उस मंज़िल तक लेकर जाना है
जहां मिरी "रूह" रब को देकर आना है
शेर सं०- १

©Khushi Kandu #ख़ुदा 
#इबादत #khushikandu

नवनीत ठाकुर

#नवनीत हर ग़म को अपनी ताक़त बना, हर ठोकर को अपनी इबादत बना। जो डिगे न कभी, वो इरादा बना, और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना। तेरे ख्वाब तेरे हौ

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green-leaves हर ग़म को अपनी ताक़त बना,
हर ठोकर को अपनी इबादत बना।
जो डिगे न कभी, वो इरादा बना,
और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना।

तेरे ख्वाब तेरे हौसले की दुआ हैं,
तेरी मेहनत ही तेरी सबसे बड़ी वफ़ा है।
ख़ुदा भी देगा तुझे ताज-ए-क़ामयाबी,
बस चलते रहना, यही रास्ता सच्चा है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीत 
हर ग़म को अपनी ताक़त बना,
हर ठोकर को अपनी इबादत बना।
जो डिगे न कभी, वो इरादा बना,
और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना।

तेरे ख्वाब तेरे हौ

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night तुम्हें ही पाने को, तुमसे ही लड़ गए, ऐसी क्या ज़रूरी हो, इतना सब कर गए। पता हो तुम्हें, मैं ख़ुद कहाँ जा रहा, तोड़ा भी तुमने,

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White तुम्हें ही पाने को, तुमसे ही लड़ गए,
ऐसी क्या ज़रूरी हो, इतना सब कर गए।
पता हो तुम्हें, मैं ख़ुद कहाँ जा रहा,
तोड़ा भी तुमने, और सब कुछ सह गए।

दिल के राज़ हमने खुद से सुलझाए,
बिन कहे, कई सवाल खुद में दबाए।
ख़ुदा से पूछा था, ये क्यों कर गए तुम,
फिर भी तुम्हें खोने से डरते रहे हम।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night  
तुम्हें ही पाने को, तुमसे ही लड़ गए,
ऐसी क्या ज़रूरी हो, इतना सब कर गए।
पता हो तुम्हें, मैं ख़ुद कहाँ जा रहा,
तोड़ा भी तुमने,

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड

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ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो,
ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई।

दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें,
मगर हर धड़कन अदब के साए में घुट गई।

अब इल्तिज़ा है कि थोड़ा खुला आसमान मिले,
वरना ये हसरत भी वक्त के साथ ही मिट गई।

ज़िंदगी जो हँसते हुए बसर करनी थी,
वो शिकायतों के दायरों में ही सिमट गई।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो,
ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई।


दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें,
मगर हर धड
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