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theABHAYSINGH_BIPIN

#moon_day ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं, हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं। साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़

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White ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं,
हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं।
साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़ा बताते हैं,
हीर-रांझा की क़िस्सागोई में, अपने दिल बहलाते हैं।

इश्क़ की हक़ीक़त से, ये नादान अनजान हैं,
सिर्फ़ कलियों की ख़ुशबू तक, इनके अरमान हैं।
हमने सदियों इश्क़ के हरम में, वक़्त गुज़ारे हैं,
सब्र-ए-इश्क़ का मतलब, इनसे बेहतर समझे हैं।

ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ को खेल समझते हैं,
हर दर्द-ए-दिल को, बस अफ़साना कहते हैं।
इश्क़ की राहों में, सब्र का इम्तिहान होता है,
हर आशिक़ का दिल, सच्चे इश्क़ का मक़ाम होता है।

इनकी मोहब्बत में, गहराई की कमी है,
सिर्फ़ बाहरी चमक-धमक, दिलों में नर्मी है।
इश्क़ की असलियत, तजुर्बे से समझ आती है,
हर दिल में मोहब्बत की, अलग ही कहानी बसी है।

ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं,
पर इश्क़ की गहराई को, कहां ये समझ पाते हैं।
हमने इश्क़ में सब्र और वफ़ा के क़िस्से लिखे हैं,
इनकी मोहब्बत में, बस ख़्वाबों के सिलसिले हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #moon_day 

ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं,
हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं।
साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़

अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳Nojoto App #हिंदी #सियासत #हक़ीक़त #फ़साना #ज़माना #फँसाना #राजनीति #Instagram #Facebook #अदनासा शायर

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बापू की बोझिल सांसें शायरी में कहती है......




ज़मीन  जहान से मैं हो चुका हूं  फ़ना अब नही रहा वह ज़माना
भला  कैसे कह दूं  हक़ से  हक़ीक़त है  क्या और क्या है फ़साना
सुना है मैंने हुकूमत हांसील है चंद सफ़ेद लिबासी मुजरिमों को
जो सीखाते है वतन परस्ती  और  सीखाते किसे कब है फँसाना

©अदनासा- चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳Nojoto App

#हिंदी #सियासत #हक़ीक़त #फ़साना #ज़माना #फँसाना #राजनीति #Instagram #Facebook #अदनासा 
शायर

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का

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इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला।

अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया,
वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला।

मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे,
जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला।

ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने,
आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे का

Harshvardhan असरार जौनपुरी

मुनीर नियाज़ी हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में ज़रूरी बात कहनी हो कोई वा'दा निभाना हो उसे आवाज़ देनी हो उसे वापस बुलाना हो हमेशा द

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theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_quotes यूहीं बात क्यों ना करते तुम, जज़्बात जाहिर क्यों ना करते तुम। रोज़ सपनों में आकर मुस्काते हो, हक़ीक़त में पास क्यों ना आते तुम।

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White यूहीं बात क्यों ना करते तुम,
जज़्बात जाहिर क्यों ना करते तुम।
रोज़ सपनों में आकर मुस्काते हो,
हक़ीक़त में पास क्यों ना आते तुम।

जब दिलरुबा तुम मेरी ही हो,
नज़रों से क्यों ना इशारे करते तुम।
मेरी हर खुशी से जुड़े हो जो,
फिर मुलाक़ात क्यों ना करते तुम।

तुम्हें पता है, तुमसे मोहब्बत है,
फिर मुझपर ऐतबार क्यों ना करते तुम।
माना कि दुनिया साथ नहीं देती,
लेकिन खुद को क्यों हार मानते तुम।

दिल की बातें जो तुम समझते हो,
अपने जज़्बात क्यों छुपाते तुम।
तुम मेरे जहां का हिस्सा हो,
फिर करीब आकर क्यों ना रहते तुम।

बंदिशें तोड़ने का हौसला रखो,
इस दिल के अरमान क्यों रोकते तुम।
जिंदगी संग गुजारने का ख्वाब है,
फिर साथ में क्यों ना चलते तुम।

दुनिया के डर को भूलो ज़रा,
अपने सपनों को उड़ान क्यों ना देते तुम।
सिर्फ तुम्हारा ही नाम है लबों पर,
फिर मेरा हिस्सा क्यों ना बनते तुम।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 
यूहीं बात क्यों ना करते तुम,
जज़्बात जाहिर क्यों ना करते तुम।
रोज़ सपनों में आकर मुस्काते हो,
हक़ीक़त में पास क्यों ना आते तुम।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम

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चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का समंदर, साहिल न हो सका।

ज़ख़्मों ने मुझे सीखा दिया सब्र का हुनर,
पर दर्द था जो, दिल से ज़ाहिर न हो सका।

हर ग़म को सीने से लगाया ख़ुशी समझ,
मगर वो, हक़ीक़तों में क़ाबिल न हो सका।

अरमान थे चाँद छूने के, मगर ऐ दिल,
जो पास था भी, वो हासिल न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का सम
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