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Madhu Kurmi

White काश छोड़कर जाने वाले 
तुझे मैं रोक पाता 
बता पता की जी नहीं सकता 
मैं तेरे बिना 
तू ही है मेरे जीने का सहारा 
पर यह सोचकर चुप रह गया मैं 
अगर तू समझ पाता ये
 तो जाता ही क्यों मुझे छोड़कर ऐसे

©Madhu Kurmi #Sad_Status #जुदाई

dilkibaatwithamit

तुझे लिखना ही मेरा काम क्यूँ है तेरा याद आना ही इलहाम क्यूँ है जुलाई में अगर टूटा था ये दिल तो फिर ये #फरवरी बदनाम क्यूँ है कभी नफ़रत को

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White तुझे लिखना ही मेरा काम क्यूँ है
तेरा याद आना ही इलहाम क्यूँ है

जुलाई में अगर टूटा था ये दिल 
तो फिर ये #फरवरी बदनाम क्यूँ है

कभी नफ़रत को भी सूली चढ़ाओ 
मुहब्बत का ही क़त्ल ए आम क्यूँ है

हर इक इंसान को चाहत है इसकी 
फिर उलफ़त इस क़दर बे दाम क्यूँ है

जुदाई बेवफ़ाई और आँसू
मुहब्बत का यहीं अंजाम क्यूँ है

तड़पना और रोना शेर लिखना 
यहीं सब इश्क़ का इनआम क्यूँ है
...

©dilkibaatwithamit तुझे लिखना ही मेरा काम क्यूँ है
तेरा याद आना ही इलहाम क्यूँ है

जुलाई में अगर टूटा था ये दिल 
तो फिर ये #फरवरी बदनाम क्यूँ है

कभी नफ़रत को

Mahesh Patel

सहेली... जुदाई... लाला...

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White સહેલી.... કેમ જાણે કેમ.
હું જ એની વેદના થઈ આંખમાંથી ટપકતો હતો..
મારી એક મુલાકાત માટે..
હું જ એની તપસ્યા થઈ જુદાઈ થી ઝળહળતો હતો..
લાલા.....

©Mahesh Patel सहेली... जुदाई... लाला...

Mahesh Patel

सहेली... जुदाई... लाला...

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White सहेली......
 आंखें होते हुए भी 
जीवन में इतना अंधेरा क्यों..
प्यार होते हुए भी 
 मुलाकात में इतनी जुदाई क्यों..
लाला.......

©Mahesh Patel सहेली... जुदाई... लाला...

Mahesh Patel

सहेली... जुदाई... लाला...

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White સહેલી.......
 ન હતી ખબર કે આવો સમય આવશે..
સાથે રહીશું આપણે પણ જુદાઈ કેમ લાગશે..
રડવું હશે આંખની પણ પાપણ માં ફરક લાગશે..
સાથે રાખેલ પથારી પણ કાંટા જેવી આપણને લાગશે..
લાલા.....

©Mahesh Patel सहेली... जुदाई... लाला...

theABHAYSINGH_BIPIN

गुज़रा हुआ वक्त अब किस दौर से आयेगा, गुज़रा हुआ साथी अब किस ओर से आयेगा। बिछड़े कारवां जिंदगी से लौटने की उम्मीद है, मुकरा हुआ शख़्स अब किस

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गुज़रा हुआ वक्त अब किस दौर से आयेगा,
गुज़रा हुआ साथी अब किस ओर से आयेगा।
बिछड़े कारवां जिंदगी से लौटने की उम्मीद है,
मुकरा हुआ शख़्स अब किस ओर आयेगा।

वाजिब है मुझे छोड़कर उसका जाना भी,
रास्ते बहुत हैं, जाने कौन किस मंज़िल को जायेगा।
जुदाई बहुत हो चुकी, अब उसको पाने की उम्मीद है,
तलाश में जंगल अब किस शहर को जायेगा।

अकेला सफ़र किस मंज़िल तक जायेगा,
दिल की बेचैनी अब किससे सुकून पायेगा।
यादों के नक्शे पर कदमों के कई निशान हैं,
खुद को खोकर शायद कोई राज़ पायेगा।

©theABHAYSINGH_BIPIN 
गुज़रा हुआ वक्त अब किस दौर से आयेगा,
गुज़रा हुआ साथी अब किस ओर से आयेगा।
बिछड़े कारवां जिंदगी से लौटने की उम्मीद है,
मुकरा हुआ शख़्स अब किस

Mahesh Patel

सहेली... जुदाई... लाला....

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset सहेली.....
तेरी जुदाई ने सारे ज़ख्म भर दिए..
मैं कभी ऐसा तो नहीं चाहता था..
लाला....

©Mahesh Patel सहेली... जुदाई... लाला....

Ghanshyam Ratre

जुदाई के गम

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theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा

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White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं,
तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए,
कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी सपनों को बहार मिली,
कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं,
कभी दिलों पे ग़मों के छाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी खुशियों का झरना बहा,
कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी सर्द हवाओं में आग जली,
कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहा

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का

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इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला।

अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया,
वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला।

मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे,
जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला।

ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने,
आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे का
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