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MohiTRocK F44

#HappyMothersDay ये दुनिया तेरा हालचाल जरूर पूछेगी मगर तेरे मायूस होने पर 100 सवाल तेरी मां पूछेगी किनारा कर लेगी वो दुनिया से सिर्फ तेरे #MohitRockF44

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||स्वयं लेखन||

क्यों संसार की बातों से भीग गए तेरे नैना, कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, हर पल है यहां संघर्ष, संघर्षों के साथ तुझे है रहना, #Zindagi #thought #विचार #Life_experience

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क्यों संसार की बातों से 
भीग गए तेरे नैना, 

कुछ तो लोग कहेंगे लोगों
का काम है कहना,

हर पल है यहां संघर्ष, 
संघर्षों के साथ तुझे है रहना,

फ़िर क्यों संसार को आंसू दिखाकर,
ख़ुद को है तुझे कमज़ोर दिखाना।

- स्वयं लेखन

©||स्वयं लेखन|| क्यों संसार की बातों से 
भीग गए तेरे नैना, 

कुछ तो लोग कहेंगे लोगों
का काम है कहना,

हर पल है यहां संघर्ष, 
संघर्षों के साथ तुझे है रहना,

Niaz (Harf)

वो अब मुझे , मेरे ही हमसाये से डरा रहा है। आग।।।।।। आग, लगा कर बस्ती में, खुद ही चिल्ला रहा है। ख़बर सब को है यहां, मेरे क़त्ल की। ख़बर सब क #शायरी #Niaz

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Devesh Dixit

#युवा_शक्ति #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi युवा शक्ति (दोहे) युवा शक्ति अनमोल है, चलें उचित रफ़्तार। कर सुकर्म जो बढ़ रहे, हो उनका #Poetry #sandiprohila

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Devesh Dixit

#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Poetry #sandiprohila

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Shivkumar

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह । भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।। कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता मंदिर मस्जि #कविता

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कुण्डलिया :-
रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह ।
भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।।
कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता
मंदिर मस्जिद देख , दुवाएं में है झुकता ।।
दीन-हीन को कष्ट , दिलाने आगे बढ़ना ।
चाहे फिर भी आज , स्वयं को सुख में रखना ।।

०५/०४/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-
रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह ।
भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।।
कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता
मंदिर मस्जि

A.j9h(9h.a.n)

# एक ही जिंदगी है # उसी को प्रयोग करना है # उसी को जीना है...!

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Sushil Kumar

#Tulips फूलों को फूल पसंद है , दिलों को दिल पसंद है , #Love

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल जुर्म  की  जब  हो  हुकूमत  तो  वकालत  कैसी पूछते   लोग   हैं   फिर   हमसे  शिक़ायत  कैसी #शायरी

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ग़ज़ल
जुर्म  की  जब  हो  हुकूमत  तो  वकालत  कैसी
पूछते   लोग   हैं   फिर   हमसे  शिक़ायत  कैसी

दुनिया   वाले  जो  करें  प्रेम  तो  अच्छा  लेकिन
जब   करें   हम   तो   कहे  लोग  मुहब्बत  कैसी 

दिल  बदलते  हैं  यहां  लोग  लिबासों  की  तरह
हमने  बदला  है  अगर  दिल  तो  क़यामत कैसी

लोग   यूं   ही   तो  नहीं  मरते  हैं  हम  पर  यारों
ये   ख़बर   सारे   ज़माने   को  है  उल्फ़त  कैसी

झूठ  से  बच  तो  नहीं सकता कभी तू भी प्रखर
बोलता   सच   हैं  अगर  तू  तो  सियासत  कैसी

०१/०३/२०२४      -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


जुर्म  की  जब  हो  हुकूमत  तो  वकालत  कैसी

पूछते   लोग   हैं   फिर   हमसे  शिक़ायत  कैसी
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