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i am Voiceofdehati
संस्कृत भाषा का परिचय आखिर क्यों संस्कृत भाषा सर्वश्रेष्ठ है (देखिए अनुशीर्षक में) संस्कृत भाषा सर्वश्रेष्ठ क्यों है #संस्कृत_की_सामर्थ्य_देखिए अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध वाक्य है "THE QUICK BROWN FOX JUMPS OVER A LAZY DOG
Mohan Sardarshahari
होकर वशीभूत समझदारी के हम भूले ठिकाने असली यारी के रखो कोई तो ऐसा अपना जिसकी पगली बातों से जोकर जैसी अदाओं से मिल लें कभी-कभी तो बचपन की निश्छल लीलाओं से।। ©Mohan Sardarshahari निश्छल लीलाओं से
Kaleem Ansari
और कितना लिखू तेरी याद में कोई दम नहीं मेरी फरयाद में मेरी रूह भी छीन के ले गई मुझ से में में ना रहा तेरे बाद में में में न रह तेरे बाद में
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
सागर की लहरों में, मेरे गांव की नहरों में सीमाओं के पहरों में, उथले और गहरों में, सब ओर तुम्हें खोजती, मेरी मौन तलाश। एक दिन तो तुम मिल ही जाओगे पूर्ण है विश्वास। जल सम पारदर्शी गगन सम समदर्शी मेरी भोली आस सागर के किनारे भी अतृप्त है प्यास।। ©Veena Kapoor लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare
( W.T) ग्रुप अनवर अनवर हु यार
रात मे नींद मे खुद से बात करता हु लोग कहते है पागल हु मै ऊन्हे कैसे बाताऊ मै पागल नहि मोहब्बत मे घायल हु मै ©سید انوار حسین रात में नींद में
( prahlad Singh )( feeling writer)
( मैं, मैं हूं मैं, तुम तो नहीं मैं, खुद का आइना हूं में, ओरो में कहीं गुम तो नहीं ) ©( cop prahlad Singh )( feeling writer) #में, में हूं #Sunrise
Amit Kumar
हर बार हम खों जाते है चक्रव्यूह के मेले में ढूंढ़ता कोई और है हमें साथी खुद अकेले में -अनभिज्ञ मेले में अकेले में
Safar Ka musafir
सितम कितने हुए उसका दुःख नहीं, सितम किस - किस ने किए बस ये बात दर्द देती है। में होंश में हूं।।
~Bhavi
मेरे कान्हा.... कान्हा का प्यार,कान्हा का दुलार.. मुबारक़ हो आपको जन्माष्टमी का पावन त्योहार।। मेरे कान्हा अद्भुत ,विशाल, अनुपम, अद्वितीय सुंदरता की पावन छवि हैं।मेरे कान्हा की जितनी भी तारीफ़ की जाए,वह हमेशा उनके कारनामों से कहीं कम है। हिन्दू जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन बहुत ही हर्षोल्लास के साथ पूरे भारत वर्ष में मनाते हैं।यह पावन पर्व मध्यरात्रि में आयोजित किया जाता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण अंधेरे में पैदा हुए थे।श्रीकृष्ण श्री विष्णु के दस अवतारों में से आठवां अवतार हैं।उनके जैसा लीलाधारी इस विश्व में कोई नहीं,उन्होंने अपने जन्म से ही लीलाओं का मंचन आरम्भ कर दिया था,और सदैव अनेकों लीलाओं द्वारा विश्व का कल्याण किया।वह सोलह कलाओं में निपुण थे तभी उन्हें "लीलाधारी"कहा जाता था।श्रीकृष्ण अपनी अनेक लीलाओं का कारण सुप्रसिद्ध रहे हैं,वह बचपन में ही नहाते वक़्त गोपियों के कपड़े उठाकर भाग जाते थे, अपने दोस्तों के संग गोपियों की मटकी फोड़ कर माखन खा जाते थे,उन्होंने कालिया नाग जैसे असुर राक्षस का पल में अंत किया,ऐसे अनेकों कहानियों से उनकी गाथाएं भरी पड़ी हैं।उनके गुणों में सुदामा सी पावन मित्रता,वीरता,रंगलीला, रासलीला, अलौकिक प्रेम जैसे अनेकों गुण विद्यमान थे। ©bhawna gupta कान्हा का प्यार,कान्हा का दुलार.. मुबारक़ हो आपको जन्माष्टमी का पावन त्योहार।। मेरे कान्हा अद्भुत ,विशाल, अनुपम, अद्वितीय सुंदरता की पावन छव