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Shabana Nafees
शहर में ज़िन्दगी मुसलसल मशीन पे कसती जाती है कोट सूट के बोझ तले रूह इंसान की दबती जाती है 20/4/20
20/4/20
read moreGiftsy Dorcas
The undercurrents of jealousy Swept by words -- Stealth The fierceness of anger Sugared by words – Stealth The fury of ego Polished by words – Stealth The granite of greed Garnished by words - Stealth The profanity of lust Enticed by words - Stealth The crucible of injustice Blinded by words – Stealth Freeze… How far will stealth roll? In the end it’ll take it’s toll. Random ramblings: 68 STEALTH #yqbaba #newwritersclub #giftsydorcas #3dgdoc #stealth #freeze
Random ramblings: 68 STEALTH #yqbaba #newwritersclub #giftsydorcas #3Dgdoc #Stealth #Freeze
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ये चराग़ जो बुझ रहें हैं सहर तक उन्हें जलाये रखना होगा कि इस अमावस में अब उम्मीदों पे हि रोशनी का फ़रीज़ा है 20/4/21
20/4/21
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बढ़ चुकी हैं जो जानिब ए मंज़िल उन राहों को याद छूटा हुआ चौराहा करता है बस गए परदेस में जो एक मुद्दत से उन लड़कों को याद गली का नुक्कड़ अब भी करता है 4/7/20
4/7/20
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आग जो सूरज में थी पिघल के सब बर्फ़ चाँद की बन गयी गुज़रना मरहलों से ऐसा हुआ तासीर ज़िन्दगी की बदल गयी 4/7/20
4/7/20
read moreShabana Nafees
आज़माइश के इस दौर को , बेहतर होगा ज़ब्त के साथ गुज़ार दिया जाए ग़म हम उठा लेते हैं सब्र तुम कर लो, हिसाब मिलके तय कर लिया जाए 17/4/20
17/4/20
read moreShabana Nafees
हम जब अपने घरों में सुकून से बैठें हैं न जाने कितने ऐसे हैं जो इस वक़्त सड़क पर लेटे हैं सर पर छत नहीं पेट में कुछ दिनों से दाना नहीं बच्चों को क्या कह कर बहलायें बचा अब कोई बहाना भी तो नहीं सैकड़ों किलोमीटर चल चुके हैं थक कर टूट कर अब सड़क पर ही लेट चुके हैं आंखें ख़ाली मिलों दूर तक कोई उम्मीद नहीं कोई आस नहीं अपना गांव होता तो चिंता न होती पर परदेस में तो अपना मददगार भी कोई पास नहीं मेरा मन बेकल है ..मेरा एक सवाल है क्या है कोई मसीहा उनके लिए भी मुअय्यिन या ईश्वर के लिए भी इनकी ज़ात बेकार है ? मर जाएंगे क्या ये यूँही एक एक करके और पैदा होंगे अगले जन्म में फिर से कीड़े मौकौड़े बनके? क्या फिर से पांच दिन की भूख से तड़पता अपने बच्चों को देख कोई बेकस माँ उठा के उन्हें बहती नदी में देगी फेंक हम जब अपने घरों में बैठ के सूकून से बोर हो रहे हैं कुछ लोग हैं जो ज़िंदा रह भर सकें इसकी कोशिश में उलझे हुए हैं 14/4/20
14/4/20
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