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Babli Gurjar
सिर पर पल्लू रखने से अक्ल कम नही होती नजरें अदब से झुकाए से हिम्मत कम नहीं होती मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में सिर ढकना रीत नहीं होती हारे टूटे बिखरे हौसले की कभी जीत नहीं होती दादी नानी बुआ मां और मौसी हंसने रोने में संग होती अनपढ़ बेशक रह जाती जीवन की हर रीत समझती अपने तो क्या गैरों को खाना परोसने का दम रखती चाऊमीन बर्गर पिज्जा के भरोसे नहीं बच्चों को रखती बबली गुर्जर ©Babli Gurjar पल्लू
मानव बदायूँनी
*गुरुजी ने कहा कि मां के पल्लू पर निबन्ध लिखो..* *तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा.....* "पूरा पढ़ियेगा आपके दिल को छू जाएगा" 🥰 आदरणीय गुरुजी जी... माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी छवि प्रदान करने के लिए था. इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को पकड़ने के काम भी आता था. पल्लू की बात ही निराली थी. पल्लू पर तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है. पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने, गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था. माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल कर लेती थी. खाना खाने के बाद पल्लू से मुँह साफ करने का अपना ही आनंद होता था. कभी आँख में दर्द होने पर ... माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, फूँक मारकर, गरम करके आँख में लगा देतीं थी, दर्द उसी समय गायब हो जाता था. माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू चादर का काम करता था. जब भी कोई अंजान घर पर आता, तो बच्चा उसको माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था. जब भी बच्चे को किसी बात पर शर्म आती, वो पल्लू से अपना मुँह ढक कर छुप जाता था. जब बच्चों को बाहर जाना होता, तब 'माँ का पल्लू' एक मार्गदर्शक का काम करता था. जब तक बच्चे ने हाथ में पल्लू थाम रखा होता, तो सारी कायनात उसकी मुट्ठी में होती थी. जब मौसम ठंडा होता था ... माँ उसको अपने चारों ओर लपेट कर ठंड से बचाने की कोशिश करती. और, जब बारिश होती तो, माँ अपने पल्लू में ढाँक लेती. पल्लू -- एप्रन का काम भी करता था. माँ इसको हाथ तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल कर लेती थी. पल्लू का उपयोग पेड़ों से गिरने वाले मीठे जामुन और सुगंधित फूलों को लाने के लिए किया जाता था. पल्लू में धान, दान, प्रसाद भी संकलित किया जाता था. पल्लू घर में रखे समान से धूल हटाने में भी बहुत सहायक होता था. कभी कोई वस्तु खो जाए, तो एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर निश्चिंत हो जाना , कि जल्द मिल जाएगी. पल्लू में गाँठ लगा कर माँ एक चलता फिरता बैंक या तिजोरी रखती थी, और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो कभी-कभी उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे. "मुझे नहीं लगता, कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूँढ पाया है !" "मां का पल्लू कुछ और नहीं, बल्कि एक जादुई एहसास है" ! स्नेह और संबंध रखने वाले अपनी माँ के इस प्यार और स्नेह को हमेशा महसूस करते हैं, जो कि आज की पीढ़ियों की समझ में आता है कि नहीं........ "अब जीन्स पहनने वाली माएं, पल्लू कहाँ से लाएंगी" पता नहीं 🤔....!! कड़वा है पर सच्चाई यही है 🙏🙏 ©मानव बदायूँनी # पल्लू
Mohan
तेरी हक़ीक़त मुझसे बयाँ न हो जाए। ये दिल फिर से किसी और का न हो जाए।। उसके पल्लू का सिरा पकड़ कर बैठ हूँ। कहीं आज फिर मुझसे नाराज़ न हो जाए।। उसके शाने पर सर रख सोया था मैं सपना टुटा मेरा कहीं ये ब्रह्म फिर न हो जाए #पल्लू
thakur ji
जिस तरह मौसम का कुछ अता पता नहीं चलता कि कब बारिश आए कब तूफ़ान ,उसी तरफ अब तक करोना का कुछ अता पता नहीं चला है,,इस लिए अब अपनी सावधानी खुद के हाथो में है। मौसम की
Ankur Mishra
कुछ यूँ था वो आलम कुछ यूँ बदल गया वो मौसम जब पल्लू उसने अपने सर से हटाया जुल्फों को खुला छोड़ हवाओं में लहराया एक काली घटा सी घिर आई थी तपती धुप में ठंडी छांव खिल आई थी बरखा हो गई उस दिन बिन मौसम जब वो मुस्कुराई थी मानों कयामत ही हो गई जब वो शर्माई थी उसके नज़रों का वार कुछ फिर यूँ चला की मदहोश सारा आलम हो गया वहाँ कौन ऐसा ना था जीसे इश़्क ना हो गया हर शख्स अपना दिल उसके कदमों में धर गया उसके लिए मानों खुद से ही बगावत कर गया वो पल वो लम्हा आज भी याद है मुझे आखिर मैं भी तो उसके इश़्क का बिमार हुआ था रोग इश़्क वाला हमें भी एक अरसे तक रहा था ©Ankur Mishra #पल्लू #dawn
Anamika
सरेआम आंखें ब्यां न कर दे प्रेम, वो इस कदर पल्लू नीचे सरका चले गए.. #प्रेम #पल्लू
Arora PR
इस गुलशन के फूल. पूरी ताजगी और त्वरा से.. खिलना चाहते है लेकिन ये हसरत. पूरी कैसे हो ज़बकि मौसम की बेरुखी के कारण हवाएं भी प्रतिकूल. बह रही हो ©Arora PR मौसम की बेरुखी
Kavita Ghosh
मई - जून का महीना और बादल का गरजना बे मौसम बरसना आंधी को भुला देना जैसे भरी दोपहरी ईद का चाँद निकलना ।। ©Kavita Ghosh #मौसम की मस्ती
sumi
मौसम की मासूमियत के किस्से को आज हम बयाँ करते ह, वो पैर काट कर कहते ह चल आज तुझको आज़ाद करते ह ... # मौसम की मासूमियत...