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Nishank Pandey
जंजीरों में तो मैं पहले से था, तुमने तो बस बेड़ियां बदली है.. अपने किस्से के किरदार बदले, मेरे किस्से की कड़ियां बदली है... @@@@ मेरे बदलने से ताज़्जुब हो क्यों, देखो तो, सारी दुनिया बदली है.. दो-चार साल ही कुछ बीते तुम्हारे, मेरी तो जैसे सदियां बदली है... ©Nishank Pandey #सदियां
#Rahul
वो क्या जाने सदिया भी कम पड़ जाती है गहरे जख्मों को भुलाने में ।। और कई लोगो को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता । किसी को गम के भेट चढ़ाने में। #सदियां
Manmohan Dheer
दुनिया सिले भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी हमसे मिले भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी मुस्तफ़ा तुम तो कहते थे कि तुम साथ हो ये बात कहे भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी बिक रहा है बाज़ार में जो कह कर गए थे वो सामान भेजे भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी लौट भी आओ देखो कि दुनिया बची हुई है कहीं हो बताये भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी पता नहीं हम तुम्हें पहचान पाएंगे या नहीं पर हमें देखे भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी धीर से मिलो तुम वो बात करना चाहता है किसी से मिले भी तो तुम्हें सदियां हो चुकी सदियां
SarkaR
देखा है हमने इंतजार में सदियां बीते हुए, कुछ गुलाब सिर्फ किताबों में सुख जाते है।। #RohitRaj. . . ✍️ ©dilsekalamtak #सदियां #Rose
maher singaniya
डर सबको लगता है पर सदियां गुज़र गयी किसी को अपना बनाने में, मगर एक पल भी न लगा उन्हें हमसे दूर जाने में... लोगो की सजिशों का रंग उनपे ऐसा छाने लगा, के उसके बाद तो हम उन्हें अपना दुश्मन नज़र आने लगे... हम फिर भी हसते रहे उनके जुल्मों को सह कर भी, धीरे धीरे उनके सितम सह कर हमे मजा आने लगा... जब थक गए हमारी रूह तक को तड़पा कर वों, तब वो धीरे धीरे हमसे दूर जाने लगे... ये गम, तन्हाई, दर्द और यादों के साये, ये सब तोहफा हमने उनसे ही है पाए, मेरी गलती सिर्फ इतनी सी थी के मैं वफादार निकला, जितने दिल से की उनकी मोहब्बत में उतना ही बड़ा गुन्हेगार निकला...!! ©maher singaniya सदियां गुज़र गयी...
Shaikh Imran
समझा है कौन वक़्त की रफ्तार का मिजाज लम्हों में कट गई सदियां शबाब की #सदियां #शबाब #की
Deepak "New Fly of Life"
कड़कती धूप में! शीतल छाँव बन रहे हो!! ठिठुरती ठंड में! गर्म अलाव बन रहे हो!! बुनते हैं आशियां! तिनके तिनके से पंछी जैसे!! लगता है सदियों से! तुम बन के शब्द! मेरी गज़ल बुन रहे हो!!! ©Deepak Bisht #सदियां-ए-नाता
Nidhi Gupta
तेरी गलियों में कभी मेरी शामें हुआ करती थी। आज बिना दीदार के सदियां गुज़रती जा रही है।। मेरी बाहों में जो अपने सपने संजोया करती थी। आज मेरी ज़िंदगी से रुख्सत होती जा रही है।। - निधि गुप्ता सदियां गुज़र गयी।