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neelam Arora
भर भर कर पिया जहर का प्याला, असर अभी भी जिंदा है। वक्त भी उड़ गया पंख लगाकर, असर अभी भी जिंदा है। मौत ने की गुफ्तगू, तुझे गले लगाऊं कैसे, पथरीले पथ ने तेरे लिए, कांटो की लहर सजाई है। कही आग के शोलो की तो, कही मरहम की बस्ती बनाई है। लहू के अश्कों से रंग भरके, तुझको तस्वीर बनानी है, अधूरे जीवन की कहानी , मोतियो से सजानी है, है इंतजार मे दुश्मन कई, तुझे पल पल गिराने को , अश्कों से धोकर उठा लेना, एक नया मोती सजाने को। पत्थर से भी आ जाए खुशबू, कुछ ऐसा करके जाना है, मुट्ठी मैं उठा जब तू मिट्टी, तो उसे सोना बनकर दिखाना है, है जज्बो की माला तुझमें , कोई कैसे तोड़ पाएगा, ना अब तक मिटी है , न कोई आगे मिटा पाएगा, मैं मौत , जिस दिन तुझे लेने आऊंगा, तेरे कदमों मैं फूलो को बिछा कर सीने से लगाकर ले जाऊंगा ©neelam Arora #poem# असर अभी भी जिंदा है#राइटर नीलम अरोड़ा #ValentineDay
neelam Arora
दर्द भरे तोहफों से नवाजा है हमे अपनो ने । मौत ना मिली तो जिंदा दफना दिया नीलम ©neelam Arora # शायरी #दर्द भरे तोहफे # शायरी ... नीलम अरोड़ा
NEELAM ARORA
तेरी जुस्तजू मे जिन्दगी तमाम कर देगे अपनी उल्फत का दुनिया मे नाम कर देगे।। कैसे बिछड़ोगे तुम तुम्हारी यादो की वफा है। इक जिन्दगी तो क्या हम जन्मो को फना कर देगे।। डर है कि तुझसे हाँले दिल बयाँ किया तो। तेरी आँखों में अशको का गुनाह कर देगे।। ए जिन्दगी तू खवाब मे बस गई इस कदर। तुझसे रूबरु हुये तो खुद को तमाम कर देगे।। #नीलम ©NEELAM ARORA #गजल # तेरी जुस्तजू में # शायरा.... नीलम अरोड़ा #Books
neelam Arora
दो बूंद अश्कों के न बहे तो कोई बात नहीं जिंदगी भर अश्क मैने बहाए है जब शव निर्जीव हो जाए मेरा अच्छे से उसे सजा देना बिंदिया चूड़ी और पायल सब उसको पहना देना माथे पर मिट्टी का बड़ा तिलक लगा देना जिंदगी भर तरसा था जो दो पल की खुशियों के लिए उस कहानी को जड़ से मिटा देना बस दो बूंद अश्कों के न बहे कोई बात नही मेरी अर्थी को सजा देना नीलम ©neelam Arora # दो बूंद अश्क के न बहे # कवित्री.. नीलम अरोड़ा
neelam Arora
मुझे उजाड़ कर तमाशा देखने वालो जरा गौर से देखो हम तो बरबादियो में भी राह बनाने का हुनर रखते है नीलम ©neelam Arora #shyai जरा गौर से देखो #shyara... नीलम अरोड़ा #jail
neelam Arora
अब ना मोह बचा ना रिश्तों की गठरी अंतरमन भी कराह रहा दुनिया की राजदारी से सुकून की खुशबू जब घूम चुकी वायु मंडल मे निराश्रित हो आंसुओ से भरकर मेरे सीने से लग कर बोली किसे ढूंढ रही है तू यहां तेरा कोई हमराज नही अब तक जितना दिल जला है तेरा ये दुनिया और भी जलाएगी दो बूंद पानी की आस न कर तेरी आग और भी भड़काएगी एक सूनी डगर चुन अपनी हिम्मत की गठरी उठा एक एक पग पर अपना नया रास्ता बना अपने ही आंसुओ से ये जलती आग बुझा याद रख एक दिन वो भी आएगा ढंडी होगी तेरी डगर तुझे कोई मिटा न पाएगा नीलम ©neelam Arora #कविता#कोई मोह नहीं बचा#कवित्री... , नीलम अरोड़ा #BookLife
Parasram Arora
असल मे मरघट और महल का फासला उनके लीए ही है जिनके मन मे महल की आकांशा है मरघट और महल मे कोई फासला नही है फासला हमारी आकांक्षाओं मे है हम महल चाहते हैँ... मरघट हम नही चाहते इसीलिए फासला है. जहा महल खड़े हैँ वहा मरघट बहुत बार बन चुके जहाँ.मरघट बने हैँ वहा बहुतपहले महल बन कर गिर चुके हैँ और सब महल अंततः मरघट बन जाते है और सब मरघटोपर महल खडे हौ जाते हैँ फर्क क्या है? फासला क्या है? ©Parasram Arora फर्क क्या है? फासला क्या है?