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Parasram Arora
ये माना क़ि कंचन कामिनी तुम्हे भरमाये रखती है कीर्ति की गुदगुदी तुम्हारी चेतना को सुलाए रखती है ये और भी अच्छा है क़ि काल का. चक्र तुम चलता हुआ कभी देख नहीं पाते क्यों क़ि सुषुप्ति तुम्हारी तुम्हे निस्सीम अनंतता को देखने नहीं देती जिस दिन खुलेगी आँख और जागरण का बढ़ेगा भार तुम्हे लगेगा जो कुछ पाया व्यर्थ था वो क्योंकि चेतना का 'अधिकांश ' उस दरमियान था सोया हुआ # चेतना का अधिकांश
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
anil.gangwar.1994000
इंसानियत में यादि समानता है। तो धर्म की भिन्नता का कोई मूल्य नहीं।।।। @gangwar anil ©anil.gangwar.1994000 सकारात्मक चेतना का अनोखा क़दम। #Corona_Lockdown_Rush
Ek villain
भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान निर्माताओं ने सैकड़ों वर्ष की अवधि परमपिता और दास्तां को मिटाकर भारतीय राजनीति के एक सर्वप्रिय और विशेषकर शुरू प्रदान करने की भी कोशिश की है उसे गणतंत्र दिवस पर गहराई से समझना आवश्यक है कुछ कम्युनिस्ट्स विचारों को ने धर्म को मजाक के सामर्थ्य मानने की भूल करते हुए सनातन धर्म के सरस्वत मानवीय मूल्यों को शंकर ने दृष्टि से समझने का जो कार्य किया है उसे मिटाते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय जीवन पद्धति को धर्म का मूल मानते हुए राष्ट्रीय के कल्याण के लिए उनका सूत्र वाक्य में प्रयोग किया है और धर्म शब्द की वास्तविकता संज्ञा की यूरोपीय विचारक और वामपंथी इतिहासकार भारत के जीवन दर्शन की गहराई तथा थावे नाम ना सके और उसे स्वतंत्र भारत निर्मित चिंतकों और पूर्णता करने में काम किया गया उसके रुख को स्पष्ट किया इसी कारण धर्म चक्र परिवर्तन को भारत संसद की परिणति के रूप में स्वीकार किया गया तो भारत की न्यायपालिका की 1 धर्म रक्षित रक्षित भारतीय संविधान की मूल प्रति में जिनसन के चित्रों का उपयोग हुआ है वह भारतीय संस्कृत से ही लिए गए हैं परंतु दुर्भाग्य हमारे संविधान का मूल स्वरूप आम लोगों को सहज उपलब्ध नहीं है संविधान का जो पाठ बाजारों में उपलब्ध है उसमें से वह संकेतिक चित्र नहीं दिए होते संविधान के किस भाग में भारतीय नागरिकता का उल्लेख है उसी भाग का 12 में वैदिक काल के गुरुकुल से किया गया है ऐसे गुरुकुल जहां वैदिक उपनिषदों का पाठ हो रहा है और हवन भी हो रहा है वैदिक ऋषि द्वारा जाने वाला यह हवन ही भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को बताने के लिए पर्याप्त है ©Ek villain # राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है सविधान #RepublicDay
Chetna Vinay Tiwari
मैं "चेतना" न जाने कितने लोगों की "प्रेरणा" ०७-०७-२०२३ ©Chetna Vinay Tiwari #चेतना
CHARCHIL DIARY....
इतना संघीन पाप कौन करे.. मेरे दुख पर विलाप कौन करे... चेतना मर चुकी है लोगो की... पाप पर पश्चियाताप कौन करे.... ©CHARCHIL DIARY.... #चेतना
Vimlesh Miledar Saroj
शर्दियों में सबसे खूबसूरत दोपहर का पहर होता है, गाँव के हर एक घर में एक छोटा सा शहर होता है। बड़ी होशियारी से संभल कर रहना मेरे यारों, क्योंकि,गैरों से घातक अपनों का ज़हर होता है। -सरोज #चेतना
डॉ.अजय कुमार मिश्र
White चेतना के चाहरदीवारी में नव चेतना की खोज कर,चेतन मन में मैने भी चेतना का संचार किया।। चेतन पुरुष में अचेतन प्रकृति के मिलन से नित्य नव-नव चेतना का अनुराग मिला।। कैसे कहें चेतन और अचेतन के संयोग से मिले आनंद को;क्योंकि मुझ जैसे चेतन में तुझ जैसे का अचेतन अनुराग मिला।। जैसे चेतन मोती को अचेतन पराग मिला,वैसे अचेतन सागर को चेतन जीवों का संसार मिला।। चलो आज तुम भी मन मय नदी के एक छोर पर बैठ कर चिंतन करो,कैसे चेतन को अचेतन का इतना सारा प्यार मिला।। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र चेतना