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काश | Akash Tiwari
OMG INDIA WORLD
राधे राधे......!! छम छम "सावन" बीत गया अब "भादव मास" की बारी है ठाकुर जी,, आयेगे घर घर जन्माष्टमी पर्व की तैयारी है 🙏जय श्री कृष्णा 🙏 ,,,,,,,,,,,,,,,,🌹🌹,,,,,,,,,,,,,, ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD राधे राधे......!! छम छम "सावन" बीत गया अब "भादव मास" की बारी है ठाकुर जी,, आयेगे घर घर जन्माष्टमी पर
dream saler
मैं क्या करूँ अपनी दिल की ख़्वाहिशों का जनाब इसे सनम का साथ भी चाहिये और बारिश भी जो एक मान जाये तो दूसरा रूठ जाता है और इस कश्मकश में मेरा सावन बीता जाता है मैं क्या करूँ अपनी दिल की ख़्वाहिशों का जनाब इसे सनम का साथ भी चाहिये और बारिश भी जो एक मान जाये तो दूसरा रूठ जाता है और इस कश्मकश में मेरा
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
मुमकिन नहीं तुम से दूर रहना अब मेरा बरसते मेघों में बेचैन बहुत तुम बिन मन मेरा आ जाओ की ले लो बाँहों में मुझे तन्हा गुज़र रहा तुम बिन पल-पल अब मेरा सोचती रही कि चुप रहूँगी कुछ न कहूँगी मैं दिल अब लेकिन काबू में नहीं रहा मेरा तुम ने जो आगोश में लिया उस क्षण मुझे सिरहन अभी तक महसूस कर रहा तन मेरा आ जाओ कि दूर रहे अब तलक तुम सावन बीत रहा तुम बिन व्यर्थ ही अब मेरा..! 🌹 #मुमकिन नहीं तुम से दूर रहना अब मेरा बरसते मेघों में बेचैन बहुत तुम बिन मन मेरा आ जाओ की ले लो बाँहों में मुझे तन्हा गुज़र रहा तुम बिन पल-पल
Anjali Raj
चिर यौवन की बात चली तो प्यार हमारा याद आया इसकी मोहकता के आगे इंद्रलोक भी शरमाया (पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें) चिर यौवन की बात चली तो प्यार हमारा याद आया इसकी मोहकता के आगे इंद्रलोक भी शरमाया सुरभि इसके नवयौवन की अंतर्मन तक महकाए इसकी मादकता के आगे म
Mahendra Shekhawat
जाता हूँ मैं उस गाँव में लेकिन तेरी गली में जाना छोड़ दिया। तेरे मोहल्ले के उन परिन्दों को अब हमनें दाना डालना छोड़ दिया। जाने कितने सावन बीते मुझे तेरी सखियां बुलाती रह जाती है, नीम की उन साखाओं पर अब हमने झूला डालना छोड़ दिया। जाने कितने पैच लड़ाए हमनें तब उन नीली-लाल पतंगों से, जबसे डोर कटी अपने रिश्ते की हमनें छत पर जाना छोड़ दिया। याद है तुमकों! गोद में तेरे सर रख के अक्सर मैं सो जाया करता था, मीठी नींद के उन ख्वाबो के पीछे अब हमने दौड़ लगाना छोड़ दिया। तुम लौट कर आओ या ना आओ ये तो अब तेरी अपनी मनमर्ज़ी है, पर तेरे साथ के उन रिश्तो को अब हमने आधा-अधूरा छोड़ दिया। @mahendra_muktak जाता हूँ मैं उस #गाँव में लेकिन तेरी गली में जाना छोड़ दिया। तेरे मोहल्ले के उन परिन्दों को अब हमनें दाना डालना छोड़ दिया। जाने कितने #सावन ब
Divyanshu Pathak
बिरहन की अग्नि में झुलसे जब मानसून बल देते हैं। हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। जाने कितने सावन बीते ?हृदय कलश फ़िर भी रीते! प्यासे प्यासे इन अधरों से थोड़ी सी शबनम भी पीते। लेकिन ढुलमुल ज़ज़्बातों में जाने वो कौन चहेते हैं? भीगे भीगे एहसासों को क्षण भर में जो छल देते हैं । हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। बिरहन की अग्नि में झुलसे जब मानसून बल देते हैं। उड़ते बादल, बहती नदियाँ सुर गान पपीहे मोर करें! चलते चलते हो रात कभी चलते चलते ही भोर करें। नींद न आए आँखों में , ना पलकों को आराम मिले। धड़कन हो जैसे भ्रमर कोई मीठा मीठा सा शोर करें! तन के कण कण स्पंदित हों तब प्रश्नों का हल देते हैं। हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। बिरहन की अग्नि में झुलसे जब मानसून बल देते हैं। हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। जाने कितने सावन बीते ?हृदय कलश फ़िर भी रीते! प
Anita Saini
मैं अभागी रही हारती ही गई प्यार की बाजी जीतते जीतते! दिल के ज़ख़्म हरे करे मुआँ सावन और गहरा गए बार-बार सीलते सीलते मालूम है तुम्हें कितने सावन बीते..? तुम्हारे बगैर तन्हा भीगते भीगते सुनो थक गई हूँ अब मैं बहुत बिखरी यादों को बीनते बीनते अब तलक मन मरुस्थल ही रहा सावन की झड़ी में भीगते भीगते! मुद्दत से देखा नहीं ख़ुद को आईने में तुम्हारी कैफ़ियत में खीजते खीजते! अभागी रही हारती ही गई प्यार की बाजी जीतते जीतते! दिल के ज़ख़्म हरे करे मुआँ सावन और गहरा गए बार-बार सीलते सीलते मालूम है तुम्हें कितने साव