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Sangeeta Kalbhor
White उदित हुआ है प्रभाकर नई आशाओं के साथ चूपचाप क्यूँ बैठा है बंदे मिला दे हाथों में हाथ चल उठ तुझे उठना है यूं ना हारकर बैठ कभी गगन तुझे बुला रहा है चिंताओं की गठरी फेंक दे अभी तू है तेरा सहारा बात ये ध्यान में रखना बहोत देख चुके हो औरों को कभी अपने अंदरवाले को भी देखना खोल आँखें.. जिंदगी बुला रही है तुझे तेरा होने के लिए ही जिंदगी पुकार रही है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #SunSet उदित हुआ है प्रभाकर नई आशाओं के साथ चूपचाप क्यूँ बैठा है बंदे मिला दे हाथों में हाथ चल उठ तुझे उठना है यूं ना हारकर बैठ कभी गगन तुझ
Sadhna Sarkar
संवेदना हृदय की उसकी अपनी सारी मर चुकी है ना जाने कितनी दफा वो मज़बूरी में बिक चुकी है कभी अपने बच्चे की भुख ने उसे बिकवाया , तो कभी खोटे नियति की मार ने उससे ये करवाया जिसकी चाहत ने उससे उसका घर है छुड़वाया उसी ने आज उसे बाज़ार में नीलाम है करवाया लेकिन अब अपनी नियति पे ना उसे रोना आता है और ना ही उसके लबों पर कोई मुस्कान आती हैं जो हो गया था और जो हो रहा है उसके साथ मजबूरी बन गई उसकी जो वो अब एक मां भी है निकलना चाह कर हुए भी ना निकल पाती हैं वो अब एक ऐसे ही जगह की पिंजरे में कैद है कोई तगमा तो नहीं है उन सब स्त्रीयों के लिए लेकिन, थोड़ी सहानुभूति इतना तो हो ज़रूरी चाहें मान सम्मान ना देना हो तो ना दीजियेगा लेकिन उनका कभी अपमान भी ना कीजियेगा। ©Sadhna Sarkar #ankahe_alfaaz वक्त के हाथों मजबूर हैं सहानुभूति ज़रूरी है।
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
Shalini Nigam
अपने "जीवन" की "डोर" अपने "हाथों"में रखो°° क्योंकि.. ऊपरवाले ने हमें "इंसान" बनाया है, "कठपुतली" नहीं.. ©Shalini Nigam #कठपुतली #हाथों #Shayari #Love #Life #Nojoto
Internet Jockey
तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिल-मिल तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल... -रजिंदर कृष्णन ©Internet Jockey तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिल-मिल तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल...
दीपा साहू "प्रकृति"
"हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच, पानी की तरह दर्द निचोड़कर बाहर आना ! फिर धूप में सुखाए कपड़े की तरह, सूखा आना! और झूठी हँसी की इस्त्री कर, गम के सिलवटों को हटाकर, नई निशान के साथ,फिर से चल पड़ना। जहाँ लोगो को हमेशा नए से लगो। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakhar_ #deepliner #love #Pain #intejar #poetry "हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच,
Rishu singh
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. हाथों से उड़ा गुलाल आसमान को लाल कर गया 😍😍😍😍😍 ©Rishu singh #holi2024 हाथों से उड़ा गुलाल आसमान को लाल कर गया 😍😍😍😍😍
Ashraf Fani【असर】
BeHappy -: चंदा और चाँद ;- चंदा हो या चाँद, दोनों हाथों से बटोरे जाते हैं चंदा नेता बटोरते हैं और चाँद शायर कवि दोनों को दोनों मिल जाये तो चेहरे चमक उठते हैं बांछे खिल उठती हैं ग़ज़ब करिश्माई हैं दोनों चंदा और चाँद ©Ashraf Fani【असर】 -: चंदा और चाँद ;- चंदा हो या चाँद, दोनों हाथों से बटोरे जाते हैं चंदा नेता बटोरते हैं और चाँद शायर कवि दोनों को दोनों मिल जाये तो चेहरे च
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।। संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत । तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।। कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप । जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।। दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार । हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।। आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान । हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।। १५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम ब
Praveen Jain "पल्लव"
Village Life पल्लव की डायरी अतीत हमारे सीमित आनन्द मन मे झाँका करता था ताना बाना समाजिक हुआ करता था डर और भय से परंपरा जीवित रहती सहयोग लेना देना भावना का भाव रहता था कम संसाधन भले रहते जुड़ाव और प्रेम बे जोड़ रहता था मगर वैश्विक बाजारवाद के अधीन होकर उजड़े गांव शहर आबादी के बोझ से कराहते है सब का राजनीतिक करण हो गया सियासतो के हाथों हमारे सुख चैन छिने जाते है डिप्रेशन में हम सब पगलाये जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #villagelife सियासतों के हाथों हमारे सुख दुख छिने जाते है #nojotohindi