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Vicky purohit Ji

* हाथों की लकीरें झूठी होती ,, दोस्त नसीब उनके भी होते जिनके नहीं होते #Newyear2024-25 शुभ विचार

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New Year 2024-25 * यू वक्त की खामोशियों पर सवाल ना उठाए,,

* खुद बदलता भी है और दूसरों को बदलने पर मजबूर कर देता हैं।।

* हाथों की लकीरें अक्सर विक्की झूठी होती,,

* नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते...!!


(बदलाव जरूरी 2025-:)
by-Vicky purohit

©Vicky purohit Ji * हाथों की लकीरें झूठी होती ,, दोस्त नसीब उनके भी होते जिनके नहीं होते #NewYear2024-25  शुभ विचार

Praveen Jain "पल्लव"

#lostinthoughts सत्ताओ के हाथों युवा के भविष्य का होता कत्ल है

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पल्लव की डायरी
जोश और जुनून को लेकर
युवाओं का संघर्षो भरा जीवन है
अध्ययन और हुनर पनपे
हकीकतो से जूझता जुझारूपन है
कितने अवरोधों भरा सिस्टम है
एग्जाम पर माफिया होते हावी
संकट पेपर लीकेजो का है
सपने टूटते धनबल पर
सड़को पर युवा दल है
झड़पे पुलिस से होती
घायल तन मन है
सत्ताओ के हाथों युवाओं का
 होता भविष्य कत्ल है
                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #lostinthoughts सत्ताओ के हाथों युवा के भविष्य का होता कत्ल है

Anuradha T Gautam 6280

उसने कहा तेरे पैरों की पायल बन जाऊं क्या मैंने भी कह दिया हां कानों की झुमकी गले की चैन और हाथों के कंगन उंगलियों की अंगूठी जितना हो

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katha Darshan

हाथों की लकीरें - Katha Darshan wlove quotes in hindi wlife quotes in hindi

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नवनीत ठाकुर

#शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव

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"शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद,
माथे पे चंद्र, गले में विष,
 त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष।
कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल,
महादेव हैं सृष्टि के आदि और अंत का आधार।
अर्धनरेश्वर रूप, जहां शक्ति संग विराज,
गले में सर्प, हाथों में त्रिशूल का राज।
वृत्रासुर संहारी, करुणा के सागर,
शिव की महिमा में जग गाता है जैकार।"

©नवनीत ठाकुर #शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद,
माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष।
कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल,
महादेव

नवनीत ठाकुर

#वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।

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वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली।
छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई,
कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने।

वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया,
जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया।

©नवनीत ठाकुर #वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।

pramod malakar

हाथों में तलवार थाम लो ।

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@ हाथों में तलवार थाम लो @
चलो जागो उठो निकलो ,
हाथों में तलवार थाम लो ।
तुम्हारा सनातन ख़तरे में है ,
यही सच है तुम मान लो ।
कांग्रेस,सपा,राजद और ,
झामूमो का साथ छोड़ दो।
जो धर्म विरोधी है देश विरोधी,
उसका राह मोड़ दो।
दुनिया से हिन्दू खत्म,
पाकिस्तान में हिन्दू खत्म ,
बंगलादेश में खून बह रहा है।
चलो जागो उठो निकलो ,
हाथों में तलवार थाम लो ।
कल औरंगजेब बाबर ने मंदिर तोड़ा,
आज पाकिस्तान बंगलादेश में टूट रहा है।
नहीं जागे तो तुम्हारा खत्म होना तय है,
हो रहा भारत इस्लाम मय है ।
वक्त कम है खून गर्म करो ,
दिल कठोर करो नहीं नर्म करो‌।
चलो जागो उठो निकलो ,
हाथों में तलवार थाम लो ।।
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प्रमोद मालाकार ... 26.11.24

©pramod malakar #हाथों में तलवार थाम लो ।

नवनीत ठाकुर

कभी करीब आ, धड़कनों में झांक तो सही, इस खामोशी के पीछे की बातें पहचान तो सही। तेरे दावे और वादे हैं बहुत, अब निभा तो सही, क़िस्मत को अपने हा

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White कभी करीब आ, धड़कनों में झांक तो सही,
इस खामोशी के पीछे की बातें पहचान तो सही।
तेरे दावे और वादे हैं बहुत, अब निभा तो सही,
क़िस्मत को अपने हाथों में ला, अपना बनाकर देख तो सही।

©नवनीत ठाकुर कभी करीब आ, धड़कनों में झांक तो सही,
इस खामोशी के पीछे की बातें पहचान तो सही।
तेरे दावे और वादे हैं बहुत, अब निभा तो सही,
क़िस्मत को अपने हा

बेजुबान शायर shivkumar

// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी // उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है, चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है

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// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //

उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है ।
जिन्होंने देखा है अपने ज़माने का वो हर रंग,
वही है जीवन के असली आनंद का संग ।

चलते वक्त से " सफर " तो उनका आगे का है
हर बात में उनकी " सच्चाई " का वो अक्स उभरता है,
ज्यों चाँद का असर ।
खामोश रहते हैं, पर दिल में " ज्ञान " का समंदर है,

उनकी सलाहों में " जिंदगी " का असल वो सिकंदर है।
वो न हों तो घर वीरान सा अब लगता है,
उनकी मौजूदगी में हर कोना अब भी " महकता " है ।
 इस " परिवार " की धरोहर उनसे ही तो है 

 हमारा असली " जोहर " तो हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी  हैं
हरेली तिहार से एक दिन पहले 
मैने अपने घर के सबसे बड़े 
बुजुर्ग यानी दादाजी को खोया है...

जो मेरी हर " सोच " और " सपने " ,आदि का हिस्सा थे

©बेजुबान शायर shivkumar // हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //

उनके हाथों की लकीरों में वो " #संघर्ष  " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " #अनुभव  " की निशानी है

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#जीवन आखिर इंसान मजबूर हो ही जाता है वक्त के हाथों जब इंसान की लगी लगाई जॉब छूट जाती हैं कोई नहीं रहता साधन कमाई का जब सारी हिम्मत ट

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White आखिर इंसान मजबूर हो ही 
जाता है वक्त के हाथों 
 जब इंसान की लगी लगाई  
जॉब छूट जाती हैं 
कोई नहीं रहता साधन कमाई का 
जब सारी हिम्मत टूट जाती हैं 
और अपने भी साथ छोड़ जाते है!


यही जीवन की सच्चाई है

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #जीवन  आखिर इंसान मजबूर हो ही 
जाता है वक्त के हाथों 
 जब इंसान की लगी लगाई  
जॉब छूट जाती हैं 
कोई नहीं रहता साधन कमाई का 
जब सारी हिम्मत ट
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