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Bhawna Arora
और फिर! अचानक कह देना मुझसे बात मत करना आप गलत नहीं हो बस मेरा कुछ पर्सनल मैटर है! Pls don't take it seriously Read more..मिलने की चाह में ना कुछ नजर आता है ना कुछ समझ आता है, अब तो दिलों दिमाग में सिर्फ तु छाया है, मैंने त
Gurudeen Verma
शीर्षक - आऊं कैसे अब वहाँ ----------------------------------------------------------- आऊं कैसे अब वहाँ, मैं यार तुमसे मिलने को। मना जब कर दिया हो तुमने, तुमसे मिलने को।। आऊं कैसे अब वहाँ -------------------------।। मेरी गलती क्या थी, कहा था सच ही मैंने। बोला था तुमने ही, आने को तुमसे मिलने।। रोक दिया हो जब तुमने, तेरी चौखट पर चढ़ने को। आऊं कैसे अब वहाँ --------------------------।। प्यार कभी नहीं मुझे दिया, बदनाम मुझे हमेशा किया। समझा नहीं मेरे दुःखों को, जुल्म मुझपे हमेशा किया।। चाहते नहीं हो जब तुम, कोई बात मुझसे करने हो। आऊं कैसे अब वहाँ -----------------------------।। फिर भी करता हूँ मैं दुहा, यही तुम्हारे लिए। हमेशा खुश आबाद रहो, लम्बी उम्र तुम जिये।। मैं नहीं हूँ जब काबिल, तुमको खुश रखने को। आऊं कैसे अब वहाँ ------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार - गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #आऊं कैसे अब वहाँ
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
ख्वाब जो देखे तेरे संग उन्हें कैसे झुठलाऊं, तू ही बता ओ जाने जाना पास तेरे कैसे आऊं, दिल का मेल जो हुआ था, वो कोई खेल नहीं था, सारी बातें कैसे बताऊं, ख्वाब जो देखे तेरे संग उन्हें कैसे झुठलाऊं, तू ही बता ओ जाने जाना पास तेरे कैसे आऊं......! पास तेरे कैसे आऊं.............!
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
कैसे कैसे रास रचाऊं, राधे तुमसे मिलने मैं आऊं, क्या क्या मैं भेष बनाऊं, राधे तुमसे मिलने मैं आऊं, कोई कहे मदारी आया, कोई कहे चूड़ी वाला, कोई कहे ब्राम्हण आया, कोई कहे ग्वाला, कैसे कैसे स्वांग रचाऊं, राधे तुमसे मिलने मैं आऊं, राधे तुमसे मिलने मैं आऊं......!
Ashutosh Singh Rana
मां मैं कल घर आऊं क्या? तेरे हाथों का खाना मां मुझको याद बोहोत अब आता है , आंखो में मेरे बिन तेरे अब अंधियारा सा छाता है , तेरा हाथ तो सर पे है मां फिर भी दूरी अपनी मिलों की बातें तो हो ही जाती है पर खुशबू नहीं वो झीलों सी। बहुत नहीं कुछ चाहिए बस इस नींद का तू कुछ कर दे मां, अपनी गोदी का कुछ जादू इस तकिये में भी भर दे मां, आंखों में मेरे नींद भरी शायद ख्वाबों के नीचे है, तेरी भाजी रोटी की खुशबू अब भी जैसे मुझे खीचे, है आया हूं तुझसे दूर सही पर दूर नहीं हूं तुझसे मां बस किसी तरह ये कुछ दिन अपने जीवन के तू भर ले मां तेरी खामोशी ही कहती सब तू भले ही कुछ ना कहती मां मैं तो फिर भी रो लेता हूं तू अंदर ही अंदर सेहती मां लेखक: आशुतोष सिंह राणा मां मैं कल घर आऊं क्या?
Rabindra Kumar Ram
" एक काफिला हूं गुजर जाऊंगा , फिर तेरे दर पे कभी आऊं ना आऊं , तमाम फासलों के पैमाने बनेगें , फिर तुझे कभी याद आऊ ना आऊं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " एक काफिला हूं गुजर जाऊंगा , फिर तेरे दर पे कभी आऊं ना आऊं , तमाम फासलों के पैमाने बनेगें , फिर तुझे कभी याद आऊ ना आऊं ."