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संदीप धाकड़ तिनस्याई
दिल लगी का कसूरवां हमे ठहरा दिया। इश्क आपने किया दिवाना हमें बता दिया। वेशक तेरे मौज में मस्त हैं हम भी । दूर आपने किया गुनेहगार हमें बता दिया कसूरवार
राज दीक्षित
"कसूरवार" तेरे अल्फ़ाज़ों से शुरू हुई थी जो मोहब्बत। मगर उसके कसूरवार सिर्फ हम ही क्यों थे।। कितनी बार मुझे अपने नाम से पुकारा था। मग़र उसमें भी दागदार सिर्फ हम ही क्यों थे।। हमने तो सुना था मोहब्बत भी खुदा का रूप है। मग़र उस रूप के गुनहगार,सिर्फ हम ही क्यों थे।। भरी महफ़िल में जाम तो तुमने भी पिया था। मग़र उसमें भी बदनाम सिर्फ़ हम ही क्यों थे।। मोहब्बत तो हमारी आब-ऐ-आईने से ना कम थी। मग़र उसमे भी बदसूरत सिर्फ़ हम ही क्यों थे।। सुना था मोहब्बत नसीब वालों को मिलती है। मग़र उसमें भी बदनसीब सिर्फ़ हम ही क्यों थे।। मेरी इल्तिफ़ात में कमी तो बिल्कुल ना थी। मग़र उसके भी शत्रु सिर्फ़ हम ही क्यों थे।। हमारी मोहब्बत सरेआम तोड़ी भी तुमने थी। मग़र उसमें भी उदास सिर्फ हम ही क्यों थे।। ***** #कसूरवार
ganesh suryavanshi
उम्मीदों ने जगाया था कही अरमान... पर हर अरमान बेवफा हो कर हम से बिछ़डते गए... वफाई मे कोई कसर नही छोडी थी.. फिर भी हम कसूरवार बन गए थे.. ©ganesh suryavanshi कसूरवार.. #WritersSpecial
Shyam Gaur
I never said, but जिसकी गलती नहीं वो कसूरवार हो गया जिसने करी गलती वो एक नामदार हो गया कोई आए कोई जाए अब फर्क नहीं पड़ता मतलब पड़ा तो निठल्ला भी कामदार हो गया कच्चे धागे के लोग पक्के रिश्ते कैसे निभाते और वो टूटा एक दिन ऐसे की जंजीर हो गया #कसूरवार #नामदार
Arsh Deep(੧੩ਸਾਇਰ)
एक लम्हे से दीवार बना रहे थे हम के कोई हमरे बीच ना आए।। दीवार मुकमल हुई तो पता चला ये दीवार ही हमारे बीच आ गई।। १३शायर दीप हम खुद कसूरवार
Shrikant D
वफा कसूरवार है बेवफा बरखुरदार है ©Shrikant D वफा कसूरवार है
Roshni
हम तो अपने ही रास्ते जा रहे थे फिरभी न जाने क्यु ?? हमे अपनी मंजिल नही मिली ... हमारा तो कोई कुसूर ही नही था फिरभी ना जाने क्यु ?? हमे कसूरवार ठेहेराया गया ... क्यु कसूरवार theheraya गया ???
Anupama Jha
चाहने की तुझे मैं सज़ा चाहती हूँ,खुद को जो कसूरवार मानती हूँ। करती हूँ रिहा खुद को तुमसे,चलो तुम्हें बेकसूर मानती हूँ।। चाहत को तुम्हारे नज़र और नज़रिये का फर्क मानती हूँ। नहीं होती इश्क़ में कोई शर्त,ये बखूबी जानती हूँ।। दिया था नाम तुमने जिन रिश्तों को जन्मो का मैं उन जन्मो को मानती हूँ तुम भुला बैठे हो उन्हें,मैं जिन्हें अपना दीन ओ ईमान मानती हूँ।। किया जो गुनाह अपना समझने का तुम्हें,उसे अपनी ख़ता मानती हूँ। थी नहीं रज़ामंदी ख़ुदा की,बस वक़्त को ख़तावार मानती हूँ ।। #yqdidi #चाहत #कसूरवार #रज़ामंदी