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प्रेम कुमार रावत
Jai shree ram चप्पा चप्पा गूंज उठा श्री राम नाम जयकारें से सज गया अयोध्या देखो सुंदर चाँद सितारों से आ रहे प्रभु हमारे मंगल गीत सब गाएंगे हर घर दीप जलाके दिवाली सुन्दर मनाएंगे ©cg_poet_ prem _kumar #JaiShreeRam चप्पा चप्पा गूंज उठा श्री राम नाम जयकारें से सज गया अयोध्या देखो सुंदर चाँद सितारों से आ रहे प्रभु हमारे मंगल गीत सब गाएंगे
Kiran Bala
घर -घर बाजत , बधैया सखि वो शुभ दिन आज आयो है मनमोहन मोहन प्यारे ,को सखि सुन जन्म-दिवस,आज आयो है गावो रि मिल, मंगल गीत सखि वो आज, दरस दिखावन आयो है लीलाधारी लीला से , सखि हिय के कष्ट मिटावन आयो है #gif घर -घर बाजत , बधैया सखि वो शुभ दिन, आज आयो है मनमोहन मोहन प्यारे ,को सखि सुन जन्म-दिवस,आज आयो है गावो रि मिल, मंगल गीत सखि वो आज, दरस दिखावन
Rajkumar pal
Happy New Year नया साल मनाऊं कैसे मंगल गीत गाऊ कैसे जिन हिजड़ों ने चंद्रशेखर आजाद को घेर कर मारा उनका त्यौहार मनाऊं कैसे कोई भी हिन्दू भाई अंग्रेजी नववर्ष की बधाई ना देवे क्यों की हम हिन्दू है ओर हमारा नया वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है कृपया कर हिन्दू सभ्यता एवं संस्कृति को अपनाएं - जय जय श्री राम नया साल मनाऊं कैसे मंगल गीत गाऊ कैसे जिन हिजड़ों ने चंद्रशेखर आजाद को घेर कर मारा उनका त्यौहार मनाऊं कैसे कोई भी हिन्दू भाई
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
भादों काली रात में , आये तारन हार । व्यथा सभी अब भूलकर , मना रहे त्यौहार ।।१ घर-घर में होने लगे , सुन लो मंगल गीत । आये तारनहार है , बनकर सबके मीत ।। बनकर सबके मीत , प्रीत वो सबकी पाके । रहते सबके पास , दूर वह सबसे जाके ।। धुन बंसी सुन आज , काल भी कापें थर-थर । आये दौडे़ ग्वाल , नंद के देखो घर-घर ।। कान्हा माखन चोर है , कहते गोकुल ग्वाल । अब जन-जन के मुख यही , देखो आज सवाल ।।२ ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR भादों काली रात में , आये तारन हार । व्यथा सभी अब भूलकर , मना रहे त्यौहार ।।१ घर-घर में होने लगे , सुन लो मंगल गीत । आये तारनहार है , बनकर स
Manak desai
धन्य-धन्य हुई अयोध्या नगरी, आये है जगत के पालनहारे, खुशियां छाई अवध में देखो, जन्मे हैं माँ कोशल्या के लाल, माताओं के आंखों के तारे, दशरथ जी के राज दुलारे, नाचें बुढ़े बच्चे नर नार, मिलकर झुमे गाए मंगलचार, घर-घर में बटे मिठाई, देवों ने भी दरश को लाइन लगाईं, त्याग प्रेम की भावना जगाने, पधारे हैं तीनों लोकों के नाथ हमारे..! ©Manak desai सर्व प्रथम नोजोटो की टीम को आभार जो ये खुबसूरत तस्वीर दी जहां मैं हृदय के भाव लिख पाऊं, तो ये तस्वीर देखकर ही इतनी खुशी हुई कि सभी के गले मि
Shree
ये चंद्र पूर्ण हो गगन में उतरा तर हृदय जैसे भवसागर हुआ, मोहभंग करे कोई अब मेरा, या तुम्हें देखूं भर रैन, आरंभ ऐसा, पा लूॅं, मन में आए संतोष जैसा। Beautiful background by सलिल @ सलिल सर 🙏🏻 कुछ पंक्तियां जोड़ी हैं: ये चंद्र पूर्ण हो गगन में उतरा तर हृदय जैसे भवसागर हुआ, मोहभंग करे कोई
Shweta Sinha
Sangeeta Kalbhor
Red sands and spectacular sandstone rock formations एकाग्र होकर प्रयास करो.. एकाग्र होकर प्रयास करो सफलता कदम चुमेगी कबतक रहेगी मंजिल दूर खुद होकर मिलने आयेगी रहना ना मगर गाफिल तुम पल पल की खबर लेते रहना स्वयं का साथी स्वयं बनकर हौसला ,बल खुद ही देते रहना नजर होगी लक्ष्य पर तो परिश्रम से हिम्मत ना थक पायेगी कबतक रहेगी मंजिल दूर खुद होकर मिलने आयेगी सुबह शाम ना देखा करो ना देखो तिज त्यौहार को अनुभूति ही समझ लेना सफलता से पहले वार को फूंकफूंकर रखना पग बहारे भी मंगल गीत गायेंगी कबतक रहेगी मंजिल दूर खुद होकर मिलने आयेगी खुद होकर मिलने आयेगी..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Sands एकाग्र होकर प्रयास करो सफलता कदम चुमेगी कबतक रहेगी मंजिल दूर खुद होकर मिलने आयेगी रहना ना मगर गाफिल तुम पल पल की खबर लेते रहना स्वयं
Nisheeth pandey
शीर्षक -तुम बिन कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन.... अब सुर लगता नहीं मेरा तुम बिन.. लिखूं तो लिखूं क्या ??? कोड़ा कागज़ पर तुम बिन ..… अब शब्द मिलते नहीं तुम बिन.... जाने किधर छुपा कर चली गयी तुम ....... बन्द कमड़े में बंद हूँ पर .... वीरान जंगल मे भटकता सा दिखता हूँ तुम बिन ..... बीस बाई बीस का कमड़ा भी बीस मील सा .... बंज़ड़ ही बंज़ड दिखता है तुम बिन .... नज़ारे धुंधला धुंधला सा है ..... अब मन विचलित विचलित है तुम बिन... ख्याल थिडक रहीं ..... भाभनाये कैद है .... कदम बंधा बंधा सा है तुम बिन.... ये कैसी मायाजाल है ..... ये कैसी चक्रभ्यूं में फसा फसा सा हूँ तुम बिन... किसको दिखाऊँ ज़ख्म पर भिनभिनाती मखियाँ .... सुना है लोग मलहम कम ज़ख्म खडोचते ज्यादा हैं .... तड़प की पीड़ा अपनी चरम की सीमाएं लांघ रहीं ... तुम ही बताओ अब किसको सुनाऊं अपनी व्यथा तुम बिन... अपने ढूंढते नहीं अब गैर से मिलते हम नहीं ..... भविष्य डुबा है अंधियारे में अब कौन दिखाए रोशनी तुम बिन ....... ज़िशम जो बीमारियों में लिपट लिपट सा गया है..... जिंदगीं भी नसीब नहीं मरघट भी नसीब नहीं तुम बिन.. ये कैसा जीवन का पड़ाव है ...... कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन... अब सुर लगता नहीं मेरा....✍ 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey शीर्षक -तुम बिन कैसे गाउँ मंगल गीत जीवन की तुम बिन.... अब सुर लगता नहीं मेरा तुम बिन.. लिखूं तो लिखूं क्या ??? कोड़ा कागज़ पर तुम बिन ..…