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Secret Quotes
ब्लॉक करून मला खुश आहेस आज ती, दुःख नाही त्या गोष्टीच पण वाईट वाटतंय आज ज्या गोष्टी मी जवळ असताना नाही करू शकली ती त्या आता मला दूर करून करत आहेत, थोडक्यात सांगायच म्हटलं तर स्टेटस डीपी फ्रेंड्स कॉल एसएमएस विडिओ कॉल अजून बरच काही, एक एक गोष्ट दिसतीये मला नीट अडचण नव्हती मला तेव्हा पण त्या गोष्टीची पण माझ्या समोर कुठलीच गोष्ट नाही केली तिने मग याचा अर्थ तिच्या जीवनात मीच तिची सर्वात मोठी अडचण होतो, सरळ आहेत या गोष्टी माझ्या साठी काहीच नव्हतं तिच्या कडे माझ्या विषयी फक्त नफरत केली आणि मी फक्त प्रेम किती मुर्ख असेल मी जिच्या साठी स्वतःची किंमत इज्जत सगळं काही निलाम करून आलोय, प्रेमात एवढा अंधाळा होतो की स्वतःच अस्तित्व जे नाही ते शब्द तिच्या साठी झेलले मी डाग लावले स्वतःला तरीही तिला कसलाच फरक पडला नाही, आपण काय केलं कुणाशी कसं वागलो त्याची चूक एवढीच की त्याने स्वतःची कुठलीच गोष्ट न बघता निस्वार्थी प्रेम केलं..? AS Patil✍️ का एवढं कुणी स्वार्थी असू शकत जिला स्वतःची फॅमिली स्वतःची इज्जत इगो स्वाभीमान प्यारा झाला कुणाच्या भावना पुढे त्याला कधी इज्जत होती सगळी त्य
Singer Raaj Patel
पता है मैं हमेशा खुश क्यो रहता हु। क्यो की मैं खुद के सिवा किसी और से उमीद नही रखता। लावली
Kuldeep Shrivastava
जीभ कभी नहीं फिसलती है, याद रखें, दिमाग में जो चल रहा है वह ही हमेशा जीभ पर आता है।। ©Kuldeep Shrivastava #Likho #जीभ
Hiren. B. Brahmbhatt
अपनी अलग ही बोली होती है, व्यक्तित्व की , वो लोगों के अंर्तमन को छु जाती है, बिना कलम या जीभ के इस्तेमाल बिना.. #कलम #जीभ
Ek villain
विधाता की सृष्टि संरचना बड़े विधि विधान से की गई है इसमें 8400000 प्रकार के जीवो का अवतरण होता है जिनमें से मनुष्य को भी दूसरे जीवो की ही भांति एक शरीर देखकर जगत व्यवहार करने का अधिकार दिया जाता है यही शरीर दस इंद्रियों का एक स्थूल स्वरूप है जिसमें मन नामक एक चेतन इंडिया में अवस्थित है और यही अन्य इंद्रियों के द्वारा ग्रहण किए गए विषयों को चेतन आत्मा तक पहुंचाती है मन के अतिरिक्त अन्य जो दस इंद्रियां हैं उनमें से चाहा तो 4 नेत्र नासिका मुख्य है क्योंकि प्रत्येक यही शब्द स्पर्श रूप रस और गंदे विषयों को ग्रहण करती है वैसे तो कहा गया है कि प्रत्येक इंद्रियों को अपने लिए निर्धारित एक ही विषय ग्रहण करने का समर्थन प्राप्त है परंतु जी हां ही एकमात्र ऐसी इंद्रियां है जिसकी शब्द और रस के रूप में दो विषय ग्रहण करने की क्षमता मिली है जी हां यदि बिना विचार किए शब्द का प्रयोग करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में ना केवल छोटे-मोटे विरोधी खड़े हो जाते हैं आपूर्ति महाभारत जैसे युग परिवर्तन युद्ध तक छोड़ जाते हैं जिनमें पूरे के पूरे परिवार का विनाश हो जाता है यहां जी हां का ही असहयम है कि जिसे मांसाहारी की स्वाभाविक अवस्था नहीं लेकिन वह आशा एवं बिहार के स्वाद के लिए प्रतिदिन हजारों हजार मेरे जीवो की हत्या का निर्माता बनता है बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो अपनी जीवा के स्वाद के लिए फेर में फंस कर अनेक प्रकार के अनुचित और मादक पदार्थ का सेवन करते हुए ना केवल अपना जीवन संकट में डालते हैं आपूर्ति अपने परिवार के लिए भी मुसीबतों को निमंत्रण दे बैठते हैं इसलिए हमें यह विचार करना चाहिए कि हम अन्य सभी जीवो से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि हमें बुद्धि और विवेक का ऐसा प्रसाद मिला है जो मनुष्य से भी न किसी भी जीव को नहीं मिला इसलिए हम सहमत होकर मनुष्य जीवन को सार्थक कर सकते हैं ©Ek villain #जीभ का संयम #Love