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the.poem_writer
आंसू नही रुकते आंखों से अब मेरे दिल को दर्द से शिकायत नही अब किस से करे शिकत भी उनकी ये मुहब्बत है इसमें कोई कवायत नही ©the.poem_writer कवायत #FadingAway
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
gudiya
कवायद ज़ख्म भरने की हो रही मुसलसल और बारिशें चोट की थमती नहीं हैं धुंधली हो रही आँखो की चमक और ये शाम आस की ढलती नहीं है। ©gudiya कवायतें ज़ख्म भरने की हो रही मुसलसल और बारिशें चोट की थमती नहीं हैं धुंधली हो रही आँखो की चमक और ये शाम आस की ढलती नहीं है। #Woman #noj
शिवानन्द
अब तो दर्द के जरें जरें को 👉 भी शिकायत है मुझसे। दिल के कोरे कागज को... 👇 डुबों दूं काली स्याह मे 👉 दिल को कवायत है मुझसे। अब तो #दर्द के जरें जरें को 👉 भी शिकायत है मुझसे। #दिल के कोरे कागज को... 👇 डुबों दूं काली स्याह मे 👉 दिल को कवायत है मुझसे। #रातकाअफ़साना
Ashutosh Mishra(निर्वाण)
हमने तुम्हे कुछ बताया था अपना समझकर हमे कहां मालूम था तुम पंचायत शुरू कर दोगे अगर तुम्हे साथ नही देना था तो नही देते हमे कहां मालूम था तुम हमे गिराने की कवायत शुरू कर दोगे. ©Ashutosh Mishra(निर्वाण) हमने तुम्हे कुछ बताया था अपना समझकर हमे कहां मालूम था तुम पंचायत शुरू कर दोगे अगर तुम्हे साथ नही देना था तो नही देते हमे कहां मालूम थ
gudiya
बहुत ही अजीब मोड़ पर खड़ी है ज़िन्दगी चल रही बहुत तेज़ गती से पर बहुत धीमी है ज़िन्दगी एक अजीब सा सुनापन, एक अजीब सी खामोशी एक अजीब सा कश्मकश और एक अजीब तन्हाई कोशिश जारी रहती है मुस्कराने की मुसलसल लाख कोई करे कवायतें रुलाने की हमको । ©gudiya बहुत ही अजीब मोड़ पर खड़ी है ज़िन्दगी चल रही बहुत तेज़ गती से पर बहुत धीमी है ज़िन्दगी एक अजीब सा सुनापन, एक अजीब सी खामोशी एक अजीब सा कश्मकश और
gudiya
एक नयी शुरुआत, आओ करे हम नयी शुरुवात भूल कर सारे वो कड़वे ज़ज्बात क्या हुवा गर तुमने न पहचाना आओ हम समझ लें तुम्हारे हालात बिछाये हम कुछ ऐसे बिसात खुशियों की हो तुम्हारे मन में बरसात आओ करें हम नयी शुरुवात रूह को तुम्हारे सूकून मील पाये बन जाये हम वो चैन- सूकून दूर हो हम एक दूजे से कभी आओ करे कुछ ऐसे कवायत ©gudiya आओ करे हम नयी शुरुवात भूल कर सारे वो कड़वे ज़ज्बात क्या हुवा गर तुमने न पहचाना आओ हम समझ लें तुम्हारे हालात बिछाये हम कुछ ऐसे बिसात खुशियों
gudiya
एक नयी शुरुआत, आओ करे हम नयी शुरुवात भूल कर सारे वो कड़वे ज़ज्बात क्या हुवा गर तुमने न पहचाना आओ हम समझ लें तुम्हारे हालात बिछाये हम कुछ ऐसे बिसात खुशियों की हो तुम्हारे मन में बरसात आओ करें हम नयी शुरुवात रूह को तुम्हारे सूकून मील पाये बन जाये हम वो चैन- सूकून दूर हो हम एक दूजे से न कभी आओ करे कुछ ऐसे कवायत । ©gudiya आओ करे हम नयी शुरुवात भूल कर सारे वो कड़वे ज़ज्बात क्या हुवा गर तुमने न पहचाना आओ हम समझ लें तुम्हारे हालात बिछाये हम कुछ ऐसे बिसात खुशियों
RJ कैलास नाईक
किती दिवस झाले मी मला भेटलोच नाही तडजोडीत कुणाला परका वाटलोच नाही हसरा असतो म्हणे मी म्हणून का रडूच नये थकलेत उसासेही मी मात्र हसलोच नाही उधळले होते गुलाबी रंग नात्यात दरवेळी खोडले अस्तित्व जरी माझे पुसलोच नाही किती करावी सावरण्या शब्दांची कवायत गुंतलो असा शब्दपाशात की सुटलोच नाही शोधले मी अंतरात जाऊन माझे मला सगळे होते पण मी कुठे दिसलोच नाही RJ कैलास #किती दिवस झाले मी मला भेटलोच नाही तडजोडीत कुणाला परका वाटलोच नाही हसरा असतो म्हणे मी म्हणून का रडूच नये थकलेत उसासेही मी मात्र हसलोच नाही