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Ayush kumar gautam
खुदा के उन बंदो के लिये जो मजलूम हैं जालिम तुमसे तो हम बरजख में मिलेंगे दोजख तो पहले ही तय कर दी है हमने तेरे वास्ते मुनकर-नकीर तो बस रसम अदायगी ही करेंगे बरजख-मौत के बाद और कयामत के बीच का वक्त मुनकर और नकीर- दो खौफनाक दिखने वाले फरिस्ते जो जमीन फाड़कर आयेंगे कयामत से ठीक पहले कब्र पर रूह से सवालात करने को मजलूमों के लिये
Gurinder Singh
# मजलूमों की बात कर https://poetrylandmark.blogspot.com/?m=1
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
मजलूमों को जब -जब तुम सताओगे, एक आंधी आएगी ,तुम बच ना पाओगे ! -- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #चीनीbusकरोना मजलूमों को जब -जब तुम सताओगे, एक आंधी आएगी ,तुम बच ना पाओगे ! -- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी
S N Gurjar
MG Rana U.P12 Wala
Humayoun Naqsh
आजकल मजलूमों पर जुल्म यूं कुछ इस तरह ढाते हैं, आधी रोटी डाल कर दुनिया वालों को दिखाते हैं। #Struggle आजकल मजलूमों पर जुल्म कुछ यूं इस तरह ढाते हैं, आधी रोटी डाल कर दुनिया वालों को दिखाते हैं। Eisha Mahimastan indira Azad ताहिर তা
Ek Manzil
तेरा फैसला अब इस मिट्टी को अफ़सोस दिलाता है तेरी ख़ुद गर्जी भी इस मिट्टी को अफ़सोस दिलाती है किया खता थी उन मजलूमों की जो उनको अब अपने घर
Mohammad Arif (WordsOfArif)
हालत बद से बद्तर अब होने वाली है गरीब मजलूमों की यहां मौत होने वाली है जब भी कोई आफ़त और बला आती है मजदूर बेसहारों पर कयामत होने वाली है जो अमीर है वो यहां कुछ ज्यादा खुश है हर बार गरीबों की ऐसे कैसे मदद होने वाली है जो अपने घरों में बहुत खुश हो ये जान लो गरीबों की आह तुम पर मुस्नत होने वाली है तुम्हें अपने आप पर गुरुर है इस जमीन पर अब देखो आसमानों पर उनकी बात होने वाली है गरीब मजलूमों की आह अगर लग गई तो आरिफ बस क़यामत ही क़यामत होने वाली है हालत बद से बद्तर अब होने वाली है गरीब मजलूमों की यहां मौत होने वाली है जब भी कोई आफ़त और बला आती है मजदूर बेसहारों पर कयामत होने वाली है
Sumit Upadhyay
अगर आपको डर लगता है सच लिखने से। अगर आपकी कलम किसी निजी स्वार्थ या भय के साये में चलती है। अगर आप केवल मक्कारों की वाहवाही लूटने के लिए लिखते हैं । अगर आपको किसानों की मौत, बच्चियों की लुटती इज़्ज़त मजलूमों पर जुल्म दिखाई तो देते है मगर महसूस नही होते। अगर आपकी स्याही हिन्दू या मुसलमान देखकर लिखती है। अगर आप घटिया हैं तो छोड़ दीजिए लिखना । ज़मीर जिंदा न हो तो मुर्दा शब्दों की लाशें मत बिछाइये। अगर आपको डर लगता है सच लिखने से। अगर आपकी कलम किसी निजी स्वार्थ या भय के साये में चलती है। अगर आप केवल मक्कारों की वाहवाही लूटने के लिए लिखत
Ganesh Singh Jadaun
आवारा हूं, बंजारा हूं किसी के दिल का तारा हूं दिल का बजता इकतारा हूं अपने ही दिल से हारा हूं जो सुबह तलक भी तन्हा था, मैं वही शाम का तारा हूं जिनको कुदरत का सहारा है उन मजलूमों का यारा हूं दुश्मन की आंख का हूं कांटा यारों की आंख का तारा हूं इक नज़र प्यार से जो देखे मैं उसी नजर का मारा हूं लडने का है जज्बा 'सिंह' में कहता है जग आवारा हूं _______©® गणेश 'सिंह' जादौन #आवारा हूं, बंजारा हूं किसी के दिल का तारा हूं दिल का बजता इकतारा हूं अपने ही दिल से हारा हूं जो सुबह तलक भी तन्हा था, मैं वही शाम का ता