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हिमांशु Kulshreshtha
White ख़बर है तुम्हारी नाराज़गी की ए हुज़ूर ग़र ये रात आखिरी हुई हमारी तो क्या करोगे, जब हम ही ना रहेंगे तब नाराज़गी का क्या करोगे ... ©हिमांशु Kulshreshtha खबर है...
Arora PR
White उस बस्ती मे उठती हुई दिखी थीं आग की लैपटे.... पर धुँवा उठता हुआ नहीं दिखा हैं पहले भी इसी तरह जलाई गई थीं कई बस्तिया पर धुँवा नहीं उठने के कारण वे " खबर" नहीं बन सकी थीं ©Arora PR खबर
Arora PR
White आज आँखे मेरी अटक गई आज के ताज़ा अख़बार क़ो देख कर ज़ब देखी मैंने एक अच्छी खबर एक लम्बे अंतराल के बा द कि प्रभु श्री राम ने अयोध्या मे पुनः जन्म लेने का अयोध्या वासियो क़ो सन्देश भेजा हैं ©Arora PR अच्छी खबर
ranjit Kumar rathour
Beautiful Moon Night अब दिन गिन रहा हूँ एक एक पल जी रहा हूँ पहले ऐसा नही था अब साथ चुन रहा हूँ और थोड़ा वक्त साथ मिलता धड़कनों की सुन रहा हूँ कितना मुश्किल होता है मुकर्रर तारीख का इंतज़ार जैसे पल पल मर रहा हूँ अच्छा होता खबर आती अचानक से कहती जाती हूँ न सोचने का वक्त और न रोने का सहूर होता बस मिलते गले सिसकते और निहारते जाते उसे कपकपाते ओठ होते भींगे नयन या फिर धड़कने थम जाती हा धड़कने घाम जाती ©ranjit Kumar rathour तेरे जाने की खबर
Himanshu Prajapati
Men walking on dark street किसी को अहसास नहीं किसी को असर नहीं, हम अब भी वहीं है, किसी को खबर नहीं..! ©Himanshu Prajapati #Emotional किसी को अहसास नहीं किसी को असर नहीं, हम अब भी वहीं है, किसी को खबर नहीं..!
Parasram Arora
न जाने इस पुरे जगत ने कैसे मान लिया कि अब हमारा इस दुनिया मे कोई वज़ूड ही नहीं है समझ lनहीं सके हम कि आखिर एक ज़िन्दा आदमी क़ो उसके जीते जी मरने क़ी ये झूठी खबर न जाने किसने और क्यों उड़ाई है ©Parasram Arora झूठी खबर
Mukesh Poonia
अजीब किस्सा है जिंदगी का अजनबी हाल पूछ रहे हैं और अपनों को खबर तक नहीं है . ©Mukesh Poonia #bachpan #अजीब #किस्सा है #जिंदगी का #अजनबी #हाल पूछ रहे हैं और अपनों को #खबर तक नहीं है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Blue Moon ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२ मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं रास्ता दूँगा । खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३ न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते । कोई बतला मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४ जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५ खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें । उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६ सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ । यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७ १६/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म
दूध नाथ वरुण
मेरे इश्क की कोई कदर नही,करूं क्या मै उसे मेरी फिकर नही। मै याद करूं दिन रात उसे पर, उसको मेरी कोई खबर नहीं।। ©दूध नाथ वरुण #इश्क की कोई खबर नहीं